नयी दिल्ली, 22 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि एक ही घटना में संलिप्त अन्य अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होना विभागीय जांच में दोषी अधिकारी के खिलाफ आरोप साबित होने पर सजा के आदेश को रद्द करने का आधार नहीं हो सकता।
शीर्ष अदालत ने कहा कि एक ही कदाचार के संबंध में भी प्रत्येक अधिकारी की भूमिका पर उनके कार्यालय के कर्तव्यों को ध्यान में रखते हुए विचार करने की आवश्यकता है।
न्यायमूर्ति एम.आर. शाह और न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना की पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें उत्तर प्रदेश राज्य लोक सेवा न्यायाधिकरण द्वारा पारित एक आदेश को रद्द करने से इनकार कर दिया गया था।
न्यायाधिकरण ने एक कर्मचारी द्वारा दायर याचिका को स्वीकार कर लिया था और अनुशासनात्मक प्राधिकारी द्वारा उस पर जुर्माना लगाने के आदेश को रद्द कर दिया था।
शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले में समानता के सिद्धांत को लागू नहीं किया जाना चाहिए था जबकि जांच अधिकारी और अनुशासनात्मक प्राधिकारी ने दोषी अधिकारी के खिलाफ आरोपों को साबित कर दिया था।
भाषा शफीक उमा
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