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Monday, 18 November, 2024
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रुद्रनाथ मंदिर के यात्रा पथ पर जल्द नजर आएंगे इको विकास समिति के स्वयंसेवी

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गोपेश्वर, 22 मार्च (भाषा) उच्च गढ़वाल हिमालयी क्षेत्र में स्थित रुद्रनाथ मंदिर के यात्रा पथ पर जल्द ही इको विकास समिति (ईडीसी) के स्वयंसेवी नजर आयेंगे। केदारनाथ कस्तूरी मृग अभ्यारण्य के तहत आने वाले इस मार्ग पर वन और बुग्याल (घास के मैदान) के सरंक्षण में ईडीसी वनविभाग के सहयोगी संगठन के रुप में काम करेगी।

इसके अलावा ईडीसी तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को प्रकृति संरक्षण से जोड़ने में सहयोग प्रदान करेगी। केदारनाथ वन्यजीव वन क्षेत्र के प्रभागीय वनाधिकारी आइएस नेगी की अध्यक्षता में गोपेश्वर में आयोजित बैठक में इस क्षेत्र के 18 से अधिक गांवों के जनप्रतिनिधियों ने ईडीसी के गठन पर सहमति जताई और जल्द से जल्द इसे धरातल पर उतारे जाने का अनुरोध किया।

नेगी ने कहा कि वन विभाग की प्राथमिकता क्षेत्र के वन और वन्य जीवों का संरक्षण करना है जिसे ईडीसी के जरिए और बेहतर तरीके से किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा क्षेत्र की पवित्रता और संरक्षण के साथ ही यहां आने वाले तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को भी बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करायी जा सकती हैं।

श्रीहेमकुंड गुरुद्वारा साहिब और फूलों की घाटी मार्ग पर भ्यूंडार गांव की ईडीसी के उल्लेखनीय कार्य की जानकारी देते हुए वन अधिकारी ने कहा कि संरक्षित क्षेत्रों की सुरक्षा हमारी भावी पीढ़ी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

पंचकेदार श्रृंखला के प्रमुख मंदिरों में से एक श्री रुद्रनाथ मंदिर पहुंचने के लिए न्यूनतम 18 किमी की पैदल यात्रा करनी पड़ती है, जिसमें अधिकतर रास्ता खड़ी पहाड़ी से गुजरता है, इसलिए इसे उत्तराखंड का सबसे दुर्गम तीर्थस्थल कहा जाता है। चारधाम की तरह श्री रुद्रनाथ मंदिर के कपाट भी ग्रीष्मकाल में ही खुलते हैं और शीतकालीन पूजा गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर में होती है। इस वर्ष कपाट 19 मई को खुलेंगे ।

भाषा सं दीप्ति दीप्ति संतोष

संतोष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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