इंडिया टुडे ग्रुप ने पोर्टल को कानूनी कार्यवाही की धमकी दी है, जबकि पेटीएम ने आश्वासन दिया है कि ‘उपयोगकर्ता डेटा 100 प्रतिशत सुरक्षित है‘।
नई दिल्ली: समाचार पोर्टल कोबरापोस्ट द्वारा एक कथित स्टिंग ऑपरेशन में नामित चार मीडिया घरानों ने आरोपों को खारिज किया है जिसमें वे 2019 के आम चुनाव से पहले करोड़ों के भुगतान के साथ हिंदुत्व को बढ़ावा देने के लिए अभियान चलाने और एक राजनीतिक दल का पक्ष लेने के लिए सहमत हुए थे।
एक डिजिटल पेमेन्ट कंपनी, जिस पर पत्थरबाजों की पहचान हेतु कथित रूप से उपयोगकर्ता जानकारी साझा करने के लिए सहमत होने का आरोप है, ने भी आरोपों को ख़ारिज कर दिया है।
इन कंपनियों में टाइम्स ग्रुप, द न्यू इंडियन एक्सप्रेस, इंडिया टुडे ग्रुप, और ज़ी न्यूज के साथ साथ पेटीएम भी है। दिप्रिंट स्टिंग में पहचानी गई अन्य कंपनियों के नाम देगा – जब यह कंपनियां इन आरोपों पर टिप्पणी करेंगी, इस ऑपरेशन का नाम ऑपरेशन 136 इस लिए रखा गया क्योंकि वर्ल्ड प्रेस इंडेक्स में भारत की रैंक 136 है।
स्टिंग
कोबरापोस्ट के अनुसार, पत्रकार पुष्प शर्मा एक हिंदुत्व कार्यकर्ता आचार्य अटल के भेष में गये और कथित रूप से भाजपा के पक्ष में एक अभियान चलाने के लिए कहते हुए मीडिया समूहों में प्रबंधकीय पदों पर कार्य कर रहे लोगों से मिले।
शुक्रवार को जारी किए गए तथाकथित वीडियोज़ के आधार पर पोर्टल ने दावा किया है कि कुछ कम्पनियों ने कथित रूप से कुछ करोड़ में सौदा तय किया है जबकि अन्य ने 500 करोड़ रूपये तक की मांग की है।
कोबरापोस्ट ने कहा कि बर्तमान पत्रिका और दैनिक संबाद दो-पक्षीय पर्दाफ़ाश में लिप्त न पाए जाने वाले एकमात्र अपवाद थे,जबकि अन्य जिनके पास आचार्य गये, वे सभी पहले तीन महीनों के लिए तयशुदा धार्मिक कार्यक्रमों के जरिए हिंदुत्व को बढ़ावा देने और इस के बाद मतदाताओं के ध्रुवीकरण हेतु विनय कटियार, उमा भारती और मोहन भागवत जैसे कट्टर हिंदुत्ववादी लोगों के भाषण के माध्यम से योजनाबद्ध मल्टीमीडिया अभियानों को चलाने के लिए कथित रूप से इच्छुक थे।
राहुल गांधी, मायावती और अखिलेश यादव जैसे विपक्षी नेताओं को भी लक्षित करना अभियान का एक हिस्सा था।
स्टिंग वीडियोज़ को ऑनलाइन जारी करने से एक दिन पहले मीडिया घरद्वारा कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने दैनिक भास्कर कारपोरेशन लिमिटेड से सम्बंधित सामग्री जारी करने को लेकर पोर्टल पर रोक लगा दी थी।
इससे पहले मार्च 2016 में मिल्ली गैजेट में प्रकाशित एक समाचार रिपोर्ट, जिसमें ये दावा किया गया था कि आयुष मंत्रालय मुस्लिमों को नियोजित नहीं कर रहा था, के बाद शर्मा को गिरफ्तार किया गया था और अंततः जमानत पर रिहा कर दिया गया था। एक तरफ जहाँ शर्मा का दाव था कि उन्होंने आरटीआई अधिनियम के तहत सहायक दस्तावेजों को प्राप्त किया था वहीं दूसरी तरफ सरकार ने कहा था कि वे फर्जी थे।
इंडिया टुडे ग्रुप का जवाब
वीडियो में अनुमानतः हिंदुत्व को बढ़ावा देने के लिए कृष्ण और भगवद गीता के आधार पर कार्य को आगे बढ़ाने के विषय पर शर्मा और इंडिया टुडे ग्रुप की उपाध्यक्ष कली पुरी के बीच परस्पर वार्तालाप को दिखाया गया।
एक तरफ जहाँ पुरी स्पष्ट रूप से विचार से सहमत हुईं, जिसमें इंडिया टुडे टीवी चैनलों द्वारा प्रसारित कार्यक्रमों में दक्षिण-पंथी नेताओं को मेहमानों के तैर पर बुलाया जाएगा, वहीं दूसरी तरफ उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी गतिविधियों से उनकी आलोचना होगी जिससे समूह सम्पादकीय रूप से सहमत नहीं था।
पुरी से मिलने से पहले पत्रकार ने ग्रुप के एक वरिष्ठ प्रबंधकीय कार्यकारी राहुल शॉ नाम के एक व्यक्ति से बात की, जिन्होंने कहा कि वह सरकार समर्थक हैं।
इंडिया टुडे ग्रुप ने कोबरापोस्ट को चेतावनी देते हुए आरोपों को खारिज कर दिया है कि वह मीडिया हाउस से सम्बंधित प्रसारण को तत्काल रोके अन्यथा कानूनी कार्रवाई का सामना करे।
मीडिया हाउस ने एक वक्तव्य में कहा कि इंडिया टुडे ग्रुप के प्रबंधकों और कोबरापोस्ट संवाददाता के मध्य बैठक के दौरान ग्रुप द्वारा यह प्रकट कर दिया गया था कि वह कुछ भी अनैतिक नहीं करेंगे और जाति या धर्म के आधार पर देश को विभाजित करने वाला कोई भी विज्ञापन न तो स्वीकार्य होगा और न ही उनके चैनलों पर प्रसारित होगा।
मीडिया हाउस ने यह भी कहा, “हालाँकि, ऑनलाइन पोस्ट किए गए आपके वीडियो में यह पर्याप्त रूप से स्पष्ट नहीं हुआ अतः इसने सत्य को विकृत कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह प्रसारण सन्दर्भ से बाहर था और “इंडिया टुडे ग्रुप की प्रतिष्ठा को कलंकित करने के उद्देश्य से तोड़ा-मरोड़ा गया था।”
न्यू इंडियन एक्सप्रेस का जवाब
इनमें से एक वीडियो ने कथित तौर पर कोबरापोस्ट के पत्रकार द्वारा प्रस्तावित कुछ अभियानों को विज्ञापित करने के विचार से सहमत द न्यू इंडियन एक्सप्रेस (टीएनआईई) में एक वरिष्ठ प्रबंधकीय अधिकारी को दिखाया है।
दिप्रिंट के सवालों का जवाब देते हुए न्यूज पेपर ग्रुप के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (मार्केटिंग) जे. विगनेशकुमार ने कहा कि कोबरापोस्ट टीएनआईई में संपादकीय समझौते के बारे में बात नहीं कर सका क्योंकि उनकी बातचीत कुछ विज्ञापन अधिकारियों और केवल विज्ञापन अभियानों तक केंद्रित थी।
उन्होंने कहा कि वीडियो में कहीं भी विपणन अधिकारी ने यह नहीं कहा था कि पत्रकार द्वारा प्रस्तावित अभियान समाचार पत्र में समाचार के रूप में चलाया जाएगा।
उन्होंने कहा,”यह स्पष्ट रूप से एक प्रस्तावित विज्ञापन अभियान का मामला है और वार्तालाप के दौरान कई अवसरों पर केवल ‘विज्ञापन’ का जिक्र किया गया है। इसकी लीपापोती करना अन्यथा बेईमानी है।”
उन्होंने यह भी कहा कि टीएनआईई कोई भी ऐसा विज्ञापन स्वीकार नहीं किया है जिसमें सांप्रदायिक रंग या सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की क्षमता हो।
उन्होंने कहा कि मार्केटिंग स्टाफर्स का तर्क है कि सुझाए गए शब्दों (दूसरों के बीच भगवान कृष्ण की तरह) का उपयोग, यहां तक कि एक विज्ञापन के रूप में, कानूनी तौर पर पेश किया जाना था।
टाइम्स ग्रुप और ज़ी कहते हैं कि उन्होंने भी स्टिंग्स किए हैं
पोर्टल के वीडियो में से प्रदर्शित एक वीडियो में स्पष्ट रूप से है कि टाइम्स ग्रुप के प्रबंध निदेशक विनीत जैन ने शर्मा को बताया कि जब वे उनके साथ काम करने के लिए तैयार होंगे, तो उन्हें कॉर्पोरेट के रूप में जितना संभव हो सके उन्हें निष्पक्ष दिखना होगा।
समूह के कार्यकारी अध्यक्ष (विलय और अधिग्रहण कॉर्पोरेट), संजीव शाह ने भी कथित तौर पर सुझाव दिया कि हिंदू धर्म, हिंदुत्व, भगवान कृष्ण, भगवद् गीता से संबंधित विषयों को फेमिना मिस इंडिया पेजेंट के अंतिम दौर में लाया जा सकता है, जिसे ग्रुप द्वारा आयोजित किया जाता है ।
शाह ने पत्रकार को बताया, जैन ने कहा था कि अभियान के लिए 500 करोड़ रुपये से कम नहीं लिए जाने चाहिए।
लेनदेन करने हेतु व्यवहारिक विकल्प को ले कर दोनों व्यक्तियों को पत्रकार के साथ चर्चा करते हुए देखा गया। पत्रकार इस बात पर जोर देता हैं कि वह नकद में लेनदेन करना चाहता है जबकि जैन और शाह द्वारा उसे चेक के माध्यम से भुगतान करने के लिए आश्वस्त करने का प्रयास किया गया और साथ ही साथ बड़े कॉर्पोरेट समूहों के माध्यम से भुगतान करने के विकल्प को देखने की भी बात की गई।
टाइम्स समूह के मुख्य प्रबंधक बिपीन कुमार ने पोर्टल के माध्यम से हवाला देते हुए कहा, कि मोदी और अमित शाह ग्रुप से बहुत खुश नहीं थे और उन्हें सन्तुष्ट करने के लिए कुछ करने की जरूरत हैं।
जबकि जैन को भेजे गए ईमेल को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली’’ द टाइम्स ऑफ इंडिया वेबसाइट पर, एक लेख, जिसका शीर्षक है ‘मीडिया समूहों पर कोबरापोस्ट का स्टिंग जो कि संशोधत सामग्री और फर्जीवाड़े पर आधारित है , में बेनेट, कोलमन एंड कंपनी के एक प्रवक्ता ने कहा की कोबरापोस्ट ने जानबूझकर जनता को गुमराह करने के लिये और हुई घटना घोटाले में बदलने के लिये सच्चे तथ्यों को सामने नहीं रखा।
(बीसीसीएल) लिमिटेड के एक प्रवक्ता ने कहा कि, बताये गए तथ्य यह है कि बीसीसीएल के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को चर्चा शुरू करने से पहले पता था कि आचार्य अटल होने का दावा करने वाले व्यक्ति (पुष्प शर्मा) एक बहुरुपिया व्यक्ति थे। बीसीसीएल कानूनी टीम की सलाह के तहत काम कर रहा था, जैसे कि वह “धोखेबाजो को रंगे हाथ पकड़ सके और अपने असली इरादों को पूरा कर सके , जिसमे लोगों के विवरण, राजनीतिक संरचनाएं या इस घटना से जुड़े उस व्यवसाय की खोज सके जो उनका समर्थन कर रहे थे।
वास्तव में, बीसीसीएल एक योजना के तहत एक रिवर्स स्टिंग करने की तैयारी में था जिसके तहत तथाकथित आचार्य अटल को एक भी गलती करने या यहां तक कि किसी भी प्रकार के कानूनी अनुबंधों पर हस्ताक्षर करने अथवा उनसे जुड़े संगठन या संगठन के लोगो का भी पर्दाफाश किया जा सके।
आगे यह बताते हुए कि, कोबरापोस्ट और शर्मा के खिलाफ उनकी “अवैध गतिविधियों” और “मानहानि” के लिए, बीसीसीएल उचित कार्रवाई शुरू करने हेतु कानूनी राय ले रहा था। “तथ्य यह है कि वास्तव में कोई भी व्यापारिक सौदा बीसीसीएल के साथ नहीं किया गया था और ना ही किसी भी रूप में पैसे का आदान-प्रदान हुआ था। असल में, वह शर्मा ही थे जो नकदी द्वारा भुगतान पर जोर दे रहें थे, जबकि बीसीसीएल के प्रतिनिधि इस विषय को लेकर उनके असली समर्थको और उनके एजेंडे को समझने के लिये उनके साथ बात करते रहे।”
जबकि ज़ी न्यूज के संपादक सुधीर चौधरी ने प्रिप्रिंट के मैसजों का जवाब नहीं दिया, क्षेत्रीय चैनलों पर प्रसारित एक शो ने शर्मा पर ‘ऑपरेशन राष्ट्रवाद’ नामक एक रिवर्स स्टिंग करने का दावा किया है, जो कि उन्हें और उनके इरादों को बेनकाब करेंगा”।
पेटीएम की प्रतिक्रिया
स्टिंग ऑपरेशन में पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा के भाई और वरिष्ठ उपाध्यक्ष अजय शेखर शर्मा को भी दिखाया गया है, जिसमें उन्होंने यह दावा किया है कि प्रधानमंत्री कार्यालय से किसी ने पत्थरबाजों की पहचान करने के लिए उपयोगकर्ताओं के आंकड़ों की मांग की थी।
हालांकि, पेटीएम ने ट्विटर पर पोस्ट किए गए एक बयान में इससे इनकार कर दिया।
पेटीएम ने ट्वीट किया, “सोशल मीडिया पर केन्द्रित वीडियो की सनसनीखेज सुर्खियों में निश्चित रूप से कोई सत्यता नहीं है। हमारे उपयोगकर्ताओं का डेटा 100 प्रतिशत सुरक्षित है और इसे अनुरोध करने पर कानून प्रवर्तन एजेंसियों को छोड़कर किसी के साथ कभी साझा नहीं किया गया है।आपके निरंतर समर्थन के लिए धन्यवाद।”
डिस्क्लोजर: पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा दिप्रिंट में एक निवेशक है।
कोबरापोस्ट के संपादक कहते हैं, वीडियो पूरी तरह प्रामाणिक हैं
दिप्रिंट से बात करते हुए कोबरापोस्ट के संपादक अनिरुद्ध बहल ने कहा कि वीडियो पूरी तरह प्रामाणिक थे क्योंकि संवाददाता ने उन्हें रिकॉर्ड किया और फिर उन्हें पोर्टल पर डाल दिया।
उन्होंने कहा,”यदि वह बाहर होते थे तो वह वापस आकर विडियो दे देते थे। सुरक्षा कारणों से कभी-कभी हमने कार्यालय कर्मचारियों को भेजकर आउटस्टेशन से(वैसे ही) फुटेज भी एकत्रित किए हैं।”
उन्होंने आगे बताया,”हमने ऊपरी सीमा के अंतर्गत सभी खर्चों का ख्याल रखा। हमने अभी तक पूरी राशि का भुगतान नहीं किया है क्योंकि टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा अनुबंध को समाप्त करने के कारण अभी हमारे पास पूँजी की कमी है, लेकिन हम जल्द ही शेष राशि देने की उम्मीद करते हैं।
बहल के अनुसार, यहाँ संदर्भित “अनुबंध” एक व्यवस्था थी जिसमें कोबरापोस्ट “टाइम्स ऑफ इंडिया को कहानियां प्रदान करता था”। उन्होंने कहा कि स्टिंग का पहला हिस्सा जारी होने के बाद अनुबंध समाप्त कर दिया गया था।
बहल ने कहा, “रिपोर्टर की प्रतिबद्धता इस तथ्य से देखी जा सकती है कि उन्हेंने अपनी जेब से भी काफी अधिक खर्चा कर दिया है।”
उन्होंने कहा,”किसी भी जाँच के लिए समय, धन, प्रतिभा, भाग्य और दृढ़ता की आवश्यकता होती है,अगर आप अपने वकीलों या एकाउंटेंट की अधिक सुनेगे तो भी आप उन्हें प्रकाशित नहीं कर सकते हैं।
Read in English: Cobrapost sting ‘exposes’ media houses: All deny charges, Times Group, Zee claim reverse stings