नयी दिल्ली, 21 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा- स्नातकोत्तर (नीट-पीजी) 2022-23 में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए आठ लाख रुपये के मानदंड की प्रयोज्यता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को अंतिम रूप से निस्तारित करने के लिये अप्रैल में सूचीबद्ध किया।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहा, “हम इन मामलों को अंतिम निस्तारण के लिए अप्रैल के महीने में सुनेंगे। अब हमें मामले को सुनना है और सब कुछ कानून में है। संबंधित पक्ष अपनी विस्तृत लिखित दलील दाखिल करेंगे। हमने 27 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण को बरकरार रखा है और अब हम खुद को केवल ईडब्ल्यूएस मानदंड तक ही सीमित रखेंगे।”
सुनवाई की शुरुआत में एमबीबीएस चिकित्सकों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने कहा कि परीक्षा मई में होगी और उसके बाद परिणाम घोषित किए जाएंगे।
उन्होंने कहा, “कृपया इस पर जल्द सुनवाई करें। सिर्फ ईडब्ल्यूएस का मामला रह गया है। यदि सरकार की ओर से कुछ दाखिल करने की आवश्यकता है, तो किसी भी स्थगन से बचने के लिए इसे अग्रिम रूप से दायर किया जाना चाहिए। मामले में दलीलें पूरी हो गई हैं।”
न्यायालय ने 14 फरवरी को नीट-पीजी 2022-23 में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईब्ल्यूएस) के लिए आठ लाख रुपये की आय का मापदंड लागू करने पर स्पष्टीकरण का अनुरोध करने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा था कि वह इस मामले पर सुनवाई कर रहा है और जो कुछ वह फैसला करेगा, वह लागू होगा।
शीर्ष अदालत ने कहा था, “हमने अगले अकादमिक वर्ष के लिए ईडब्ल्यूएस अर्हता निर्धारित करने की प्रक्रिया स्थगित नहीं की है। हमने कहा है कि ईडब्ल्यूएस कोटा हमारे आदेश के मुताबिक होगा। हमने विषय का निस्तारण मार्च में करने के लिए इसे अपने पास रखा है। प्रक्रिया नहीं रूकेगी। हम जो कुछ फैसला करेंगे, वह लागू होगा।”
न्यायालय ने अपने 20 जनवरी के आदेश में कहा था कि योग्यता को एक खुली प्रतियोगी परीक्षा में प्रदर्शन की संकीर्ण परिभाषाओं तक सीमित नहीं किया जा सकता है, जो केवल अवसर की औपचारिक समानता प्रदान करता है। इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय ने यूजी और पीजी चिकित्सा पाठ्यक्रमों के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) में अखिल भारतीय कोटा (एआईक्यू) सीट में अन्य पिछड़ा वर्ग के वास्ते 27 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था को बरकरार रखा था।
भाषा
प्रशांत दिलीप
दिलीप
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