दीमापुर (नगालैंड), 21 मार्च (भाषा) एनएससीएन (आईएम) ने सोमवार को कहा कि संगठन और केंद्र सरकार द्वारा 2015 में हस्ताक्षर किया गया रूपरेखा समझौता नगा राजनीतिक मुद्दे का समाधान खोजने के लिए ‘एकमात्र स्वीकार्य आधार’ है।
नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालिम (आइजैक-मुइवा) (एनएससीएन-आईएम) अध्यक्ष क्यू टुक्कू ने यहां से लगभग 35 किलोमीटर दूर हेब्रोन में संगठन के एक कार्यक्रम में दावा किया केंद्र सरकार उस मुद्दे का समाधान थोपने की कोशिश कर रही है जो रूपरेखा समझौते पर आधारित नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें खुद को रूपरेखा समझौते पर खड़े होने का साहस और दृढ़ संकल्प करना चाहिए जो नगा समाधान के लिए एकमात्र स्वीकार्य आधार है। यह हमारी पहचान और हमारे इतिहास की रक्षा के लिए यह निर्णय लेने का समय है।’’
3 अगस्त, 2015 को एनएससीएन (आईएम) के महासचिव तुइंगलेंग मुइवा और नगा शांति वार्ता के लिए सरकार के वार्ताकार आर एन रवि ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
रूपरेखा समझौता 18 वर्षों में 80 से अधिक दौर की बातचीत के बाद आया था। पहली सफलता 1997 में मिली थी जब नागालैंड में दशकों के विद्रोह के बाद संघर्षविराम समझौता हुआ था, जो 1947 में स्वतंत्रता के तुरंत बाद शुरू हुआ था।
एनएससीएन (आईएम) प्रमुख ने कहा, ‘… नगा राष्ट्रीय ध्वज और नगा संविधान के बिना नगा राजनीतिक समाधान को अंतिम रूप नहीं दिया जा सकता है, जो एक राष्ट्र के रूप में नगा राजनीतिक इकाई का प्रतिनिधित्व करता है।’’
एनएससीएन (आईएम) के साथ रूपरेखा समझौते के अलावा, केंद्र ने दिसंबर 2017 में सात संगठनों (एनएनपीजी) वाले नगा राष्ट्रीय राजनीतिक समूहों (एनएनपीजी) के साथ एक सहमत स्थिति पर भी हस्ताक्षर किए थे।
हालांकि, अंतिम समाधान अभी तक हुआ है जिसका मुख्य कारण एनएससीएन (आईएम) की एक अलग ध्वज और संविधान की लगातार मांग को स्वीकार करने को लेकर सरकार की अनिच्छा है।
केंद्र मांगों को शायद इसलिए मानने को तैयार नहीं है क्योंकि उसने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया है। 2019 में विशेष दर्जे की समाप्ति के साथ, जम्मू कश्मीर के अलग ध्वज और संविधान का अस्तित्व समाप्त हो गया था।
एनएससीएन (आईएम) नेता ने कहा कि नगा मुद्दे का समाधान तभी होगा जब केंद्र सरकार रूपरेखा समझौते का अक्षरश: सम्मान करेगी। टुक्कू ने कहा कि संगठन ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है और गेंद अब केंद्र के पाले में है।
इस अवसर पर विभिन्न नगा नागरिक समाज संगठनों के नेताओं ने भी अपने विचार रखे।
भाषा अमित उमा
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