नयी दिल्ली, 16 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रवर्तक शिविंदर मोहन सिंह की अंतरिम जमानत की याचिका बुधवार को खारिज कर दी। सिंह समेत अन्य पर रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड (आरएफएल) कोष से 2,397 करोड़ रुपये की हेराफेरी का आरोप है।
सिंह ने अपनी बीमार मां को अपने मामा के अंतिम संस्कार में शामिल होने में मदद करने के लिए ‘‘मानवीय आधार’’ पर छोटी अवधि के लिए अंतरिम जमानत का अनुरोध किया। सिंह के मामा की आठ मार्च को हरियाणा में मृत्यु हो गई थी।
न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा, ‘‘हमारा मानना है कि आरोपी की उपस्थिति जरूरी नहीं है।’’
पीठ ने जेल में बंद आरोपी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल जैन, दिल्ली पुलिस की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और मामले में शिकायतकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत की दलीलें सुनीं।
पीठ ने उस अपराध की गंभीरता पर ध्यान दिया जिसमें सिंह आरोपों का सामना कर रहे हैं। सिंह के खिलाफ धन शोधन का भी एक मामला लंबित है जिसमें उन पर जमानत पाने के लिए 200 करोड़ रुपये की रिश्वत देने का आरोप लगाया गया था।
मामले की सुनवाई की शुरुआत में सिंह का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि उनकी मां को दौरा पड़ा था और उन्हें अपने भाई के अंतिम संस्कार में अपनी मां के साथ रहने के लिए मानवीय आधार पर जमानत दी जानी चाहिए।
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सिंह 2400 करोड़ रुपये के वित्तीय घोटाले के आरोपी हैं और उनके फरार होने का खतरा है। विधि अधिकारी ने कहा कि रिकॉर्ड के अनुसार, ऐसा लगता है कि सिंह की मां को कुछ साल पहले दौरा पड़ा था और उन्होंने अंतरिम जमानत याचिका को खारिज करने का अनुरोध किया।
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को पिछले साल 15 दिसंबर तक रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड (आरएफएल) कोष के 2,397 करोड़ रुपये के गबन के मामले में जांच पूरी करने को कहा था। पुलिस ने कहा था कि जांच अग्रिम चरण में है और इस महीने के अंत तक जांच पूरी करने के लिए समय देने का अनुरोध किया।
भाषा आशीष अनूप
अनूप
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.