नयी दिल्ली, 16 मार्च (भाषा) खाद्य तेल उद्योग के निकाय सीओओआईटी ने फसल वर्ष 2021-22 के रबी सत्र में देश का सरसों का उत्पादन 29 प्रतिशत बढ़कर 109.50 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान लगाया है।
रबी (जाड़े के मौसम) सत्र में उगाये जाने वाले सरसों दाना (तिलहन) का उत्पादन पिछले वर्ष 85 लाख टन हुआ था।
सीओओआईटी ने सोमवार को एक बयान में कहा कि केंद्रीय तेल उद्योग और व्यापार संगठन (सीओओआईटी) ने अपने 42वें वार्षिक सम्मेलन के दौरान सरसों के उत्पादन के अनुमानों को अंतिम रूप दिया। यह सम्मेलन 12-13 मार्च को राजस्थान के भरतपुर में आयोजित किया गया था।
सीओओआईटी ने सोमवार को एक बयान में कहा कि आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021-22 में सरसों का उत्पादन 109.5 लाख टन होने का अनुमान है। सरसों खेती का रकबा 87.44 लाख हेक्टेयर आंका गया है, जबकि औसत उपज 1,270 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होने का अनुमान लगाया गया है।
सीओओआईटी के अध्यक्ष सुरेश नागपाल ने कहा, ‘‘हमने पूरे भारत में विभिन्न टीमों द्वारा व्यापक क्षेत्र का दौरा करने के बाद इस रबी सत्र में सरसों के उत्पादन के अनुमान को अंतिम रूप दिया है। सरसों का उत्पादन रिकॉर्ड 109.5 लाख टन तक बढ़ने की संभावना है।’’
उन्होंने कहा कि सरसों के उत्पादन में संभावित वृद्धि को देखते हुए सरसों तेल का उत्पादन भी अधिक होगा। उन्होंने कहा कि इससे देश के कुल खाद्य तेल आयात में कमी आ सकती है।
नागपाल ने कहा, ‘‘किसानों ने इस रबी सत्र के दौरान सरसों की फसल का रकबा बढ़ाया है क्योंकि उन्हें पिछले साल की फसल से बेहतर कीमत मिली है।’’
सरसों दाना, रबी के मौसम में ही उगाया जाता है। इसकी बुवाई अक्टूबर से शुरू होती है, जबकि कटाई मार्च में शुरू होती है।
सरसों राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण नकदी फसल है।
राजस्थान देश का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। वर्ष 2021-22 के रबी सत्र के दौरान सरसों का उत्पादन बढ़कर 49.50 लाख टन होने की उम्मीद है, जो पिछले वर्ष 35 लाख टन था।
उत्तर प्रदेश में उत्पादन 13.5 लाख टन से बढ़कर 15 लाख टन होने का अनुमान है।
मध्य प्रदेश में सरसों का उत्पादन 8.5 लाख टन से बढ़कर 12.5 लाख टन होने का अनुमान है।
पंजाब और हरियाणा में सरसों का उत्पादन 11.50 लाख टन होने की संभावना है, जो पिछले वर्ष के 9.5 लाख टन से अधिक है।
गुजरात में उत्पादन पिछले वर्ष के चार लाख टन के मुकाबले बढ़कर 6.5 लाख टन होने की उम्मीद है।
पश्चिम बंगाल, पूर्वी भारत और अन्य राज्यों में उत्पादन 14.5 लाख टन के पूर्वस्तर पर रहने की संभावना है।
भारत खाद्य तेलों की अपनी कुल घरेलू मांग का लगभग 60-65 प्रतिशत आयात करता है।
तेल वर्ष 2020-21 (नवंबर-अक्टूबर) में देश का खाद्य तेल आयात 1.3 करोड़ टन पर स्थिर रहा।
हालांकि, मूल्य के संदर्भ में, आयात पिछले वर्ष के लगभग 72,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 1.17 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
सीओओआईटी ने सरसों के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया है। सरसों से लगभग 38-43 प्रतिशत तेल की प्राप्ति होती है। इससे न केवल भारत के खाद्य तेल आयात में कटौती होगी बल्कि छोटी मिलों को उनकी स्थापित क्षमता के इस्तेमाल में भी मदद मिलेगी।
वर्ष 1958 में स्थापित सीओओआईटी, राष्ट्रीय शीर्ष निकाय है, जो देश में संपूर्ण वनस्पति तेल क्षेत्र के हितों का प्रतिनिधित्व करता है।
भाषा राजेश राजेश अजय
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