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Wednesday, 2 October, 2024
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2018 के एसएससी पेपर लीक मामले में सरकारी अधिकारियों की भूमिका की जांच में नाकाम सीबीआई

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अभिषेक शुक्ला

नयी दिल्ली, 15 मार्च (भाषा) सीबीआई अपनी चार साल लंबी जांच के दौरान 2018 के कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) परीक्षा के पेपर लीक मामले में सरकारी अधिकारियों की भूमिका का पता लगाने में नाकाम रही है, जबकि जांच अधिकारी द्वारा विशेष अदालत को बार-बार भरोसा दिलाया गया है कि एजेंसी इस पर गौर फरमा रही है।

केंद्रीय जांच एजेंसी ने 17 से 22 फरवरी 2018 के बीच संयुक्त स्नातक स्तर (टियर-II) के लिए आयोजित एसएससी परीक्षा के दौरान पेपर लीक और अन्य कदाचार के मामले में दो अगस्त 2019 को कुछ निजी व्यक्तियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था। आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण (पीसी) अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय किए गए थे।

सीबीआई ने एक पूरक आरोपपत्र दायर करने के लिए जांच खुली रखी थी। उसने दावा किया था कि वह मामले में लोकसेवकों की भूमिका खंगाल रही है, लेकिन बार-बार स्थगन की मांग के बावजूद जांच एजेंसी मामले में किसी भी सरकारी अधिकारी को पेश करने में नाकाम रही है।

जांच अधिकारी ने पिछले साल अगस्त से कम से कम चार मौकों पर अदालत को बताया है कि उनकी जांच ‘अंतिम छोर’ पर है और जल्द ही एक पूरक आरोपपत्र दायर किया जाएगा।

पीसी अधिनियम के तहत मामले में किसी भी लोकसेवक को पेश न किए जाने के कारण विशेष अदालत सुनवाई आगे नहीं बढ़ा सकती है, क्योंकि क्षेत्राधिकार के मुद्दों के कारण इसे एक अलग अदालत द्वारा सुना जाना होगा।

विशेष अदालत ने जनवरी 2021 में सीबीआई को अपनी जांच पूरी करने का अंतिम मौका दिया था। अदालत ने सीबीआई से इस संबंध में एक स्थिति रिपोर्ट पेश करने को भी कहा था। हालांकि, दो महीने बाद भी जांच एजेंसी किसी सरकारी अधिकारी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने में नाकाम रही है।

पिछली सुनवाई के दौरान सीबीआई की खूब किरकिरी हुई थी, जब विशेष न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने कहा था कि जांच अधिकारी मुख्य रूप से इस दलील पर स्थगन ले रहे थे कि वे मामले में ‘लोकसेवकों की भूमिका की पड़ताल कर रहे हैं’ और इसके चलते विभिन्न मौकों पर किसी न किसी कारण से अतिरिक्त समय की मांग की जा रही है।

न्यायाधीश ने कहा था कि समय मिलने के बावजूद पूरक आरोपपत्र दाखिल नहीं किया जा सका है और यहां तक ​​कि सुनवाई की पिछली तारीख पर भी जांच एजेंसी को जल्द से जल्द जांच समाप्त करने का निर्देश दिया गया था।

न्यायाधीश ने सीबीआई को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा कि ‘अत्यधिक देरी’ के लिए क्यों न उस पर 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाए।

सीबीआई ने लगभग तीन महीने की शुरुआती जांच के निष्कर्षों के आधार पर 22 मई 2018 को मामला दर्ज किया था।

अपनी प्राथमिकी में जांच एजेंसी ने कर्मचारी चयन आयोग की स्नातक स्तर की परीक्षा के पेपर लीक मामले में एसएससी के अज्ञात अधिकारियों और अन्य अज्ञात व्यक्तियों के अलावा सिफी टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड के 10 कर्मचारियों सहित कुल 17 निजी व्यक्तियों को नामजद किया था।

भाषा पारुल उमा अनूप

अनूप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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