नयी दिल्ली, 14 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय को सोमवार को अदालत द्वारा नियुक्त फोरेंसिक लेखा परीक्षक (ऑडिटर) ने बताया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आम्रपाली समूह के एक पूर्व निदेशक की गलत संपत्तियों को अपराध की आय के रूप में संलग्न किया है।
फोरेंसिक लेखा परीक्षक पवन अग्रवाल ने न्यायमूर्ति यू. यू ललित और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ को बताया कि ईडी आम्रपाली समूह के पूर्व निदेशक प्रेम मिश्रा की संपत्ति होने का दावा कर रही है क्योंकि अपराध की आय वास्तव में आम्रपाली मॉडर्न होम्स प्राइवेट लिमिटेड की संपत्तियां थी, जिसने घर खरीदारों के पैसे की हेराफेरी कर बनाये है।
उन्होंने कहा कि इन संपत्तियों को अलग कर ‘कोर्ट रिसीवर’ आर वेंकटरमणि को सौंपने की जरूरत है ताकि रुकी हुई परियोजनाओं के निर्माण के लिए धन जुटाने के लिए खुले बाजार में नीलाम किया जा सके।
अग्रवाल ने पीठ को बताया कि आम्रपाली समूह और प्रेम मिश्रा के बीच एक हस्तलिखित समझौता था जिसके तहत उन्हें लाभ 60:40 के अनुपात में साझा करना था, जो कानून के तहत स्वीकार्य नहीं है।
उन्होंने बताया कि आम्रपाली मॉडर्न होम प्राइवेट लिमिटेड 100 प्रतिशत आम्रपाली समूह की एक इकाई है जिसमें धन नोएडा में निर्मित परियोजनाओं से लिया गया था और मिश्रा तथा उनके परिवार के सदस्यों ने इसमें कोई राशि का निवेश नहीं किया है।
पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन से मिश्रा से जुड़ी संपत्तियों के बारे में पूछा, जिससे उन्होंने स्वीकार किया कि संपत्ति को अस्थायी रूप से संलग्न किया गया था क्योंकि वे अपराध की आय हैं।
पीठ ने सख्त रुख अपनाते हुए जैन से कहा कि ईडी के अधिकारियों ने जांच को अपराध की कार्यवाही तक सीमित कर दिया है और संभवत: उन संपत्तियों को कुर्क कर लिया है जो वास्तव में आम्रपाली समूह का हिस्सा थीं।
मिश्रा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि ईडी द्वारा जांच की गई लेनदेन कथित तौर पर आपराधिक और दीवानी प्रकृति दोनों के हैं। उन्होंने ईडी की ओर से पक्षपात का आरोप लगाया और किसी भी बकाया राशि को चुकाने की पेशकश की, बशर्ते प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच को मिश्रा के खिलाफ बंद कर दिया जाए।
पीठ ने सिंह को सुनवाई की अगली तारीख तक स्पष्ट करने को कहा कि मिश्रा की कौन सी संपत्ति उनके कर्मियों की संपत्ति है और कौन सी संपत्ति आम्रपाली समूह की है।
पीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि 28 मार्च तय की।
रियल एस्टेट कंपनी आम्रपाली की स्थगित परियोजनाओं को पूरा करने के लिए छह बैंकों के गठजोड़ की अगुवाई करने वाले बैंक ऑफ बड़ौदा ने 300 करोड़ रुपये डाले हैं। उच्चतम न्यायालय को सात मार्च को यह सूचना दी गई थी।
उच्चतम न्यायालय ने गठजोड़ में शामिल अन्य बैंकों को निर्देश दिया कि वे सुनवाई की अगली तारीख 14 मार्च के पहले 1,200 करोड़ रुपये की बाकी राशि भी जारी करें।
भाषा
देवेंद्र उमा
उमा
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