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Sunday, 6 October, 2024
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बिना वारंट भिखारियों की गिरफ्तारी के कानून पर उच्च न्यायालय ने मांगा जवाब

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इंदौर, 14 मार्च (भाषा) भिक्षावृत्ति पर रोक लगाने के लिए करीब 50 साल पहले लागू किए गए एक कानून की संवैधानिक वैधता को लेकर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने सोमवार को राज्य सरकार से जवाब तलब किया। इस कानून में पुलिस को बिना अदालती वारंट हासिल किए भिखारियों को गिरफ्तार करने का अधिकार दिया गया है।

उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति विवेक रुसिया और न्यायमूर्ति अमरनाथ केशरवानी ने गैर सरकारी संगठन ‘मातृ फाउंडेशन’ की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इस कानून को लेकर राज्य सरकार से जवाब तलब किया।

याचिकाकर्ता के वकील अमय बजाज ने संवाददाताओं को बताया कि ‘मध्यप्रदेश भिक्षावृत्ति निवारण अधिनियम 1973’ से मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए पुलिस राज्य में किसी भी व्यक्ति को भीख मांगते पाए जाने पर बिना अदालती वारंट के गिरफ्तार कर सकती है।

उन्होंने कहा कि इस कानूनी प्रावधान से भिखारियों को एक नागरिक के तौर पर देश के संविधान से मिले बुनियादी अधिकारों का कथित तौर पर हनन होता है। बजाज ने बताया कि जनहित याचिका के जरिये उच्च न्यायालय से गुहार की गई कि संबंधित कानून को असंवैधानिक घोषित किया जाए। यह भी मांग की गई कि राज्य में इसके तहत पुलिस के दर्ज वे सभी आपराधिक मामले रद्द किए जाएं जो फिलहाल अदालतों में लंबित हैं।

भाषा हर्ष संतोष

संतोष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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