नयी दिल्ली, 11 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को चिकित्सकों की वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में आरक्षण का लाभ हासिल करने के लिये कम से कम तीन साल तक सुदूर/दुर्गम/ग्रामीण इलाकों में सेवा देने की शर्त को बढ़ाने की पश्चिम बंगाल सरकार की अधिसूचना को चुनौती दी गई थी।
पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि इस अदालत ने अधिसूचना को बरकरार रखा है और तीन साल की न्यूनतम सेवा आवश्यक है।
पीठ ने कहा कि अदालत ने अधिसूचना को बरकरार रखा है और यह नीतिगत फैसला है।
शीर्ष अदालत ने स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में आरक्षण का लाभ हासिल करने के लिये कम से कम तीन साल तक सुदूर/दुर्गम/ग्रामीण इलाकों में सेवा देने की शर्त को बढ़ाने से संबंधित अधिसूचना को चुनौती देने वाली चिकित्सकों की याचिका पर पश्चिम बंगाल सरकार से जवाब मांगा था।
चिकित्सकों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा था कि उन्हें नीट-पीजी परीक्षा देने से पहले इस बारे में बताया जाना चाहिए था न कि परीक्षा में बैठने के बाद।
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जोहेब माधव
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