जयपुर, नौ मार्च (भाषा) राजस्थान के संसदीय कार्य मंत्री शांति कुमार धारीवाल ने बुधवार को विधानसभा में कहा कि राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों में सख्त कार्रवाई की गई है और अनिवार्य प्राथमिकी व्यवस्था के माध्यम से कमजोर वर्ग को न्याय मिला है।
उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग में सहायक उप निरीक्षक के 3500 अतिरिक्त पद सृजित किए गए हैं जिससे कांस्टेबल की पदोन्नति के अवसर बढ़ेंगे। धारीवाल गृह मंत्री की ओर से विधानसभा में पुलिस विभाग की अनुदान मांगों पर हुई बहस का जवाब दे रहे थे।
चर्चा के बाद पुलिस से संबंधित अनुदान मांगों को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। मंत्री ने कहा, ‘‘राज्य में निर्बाध एफआईआर पंजीकरण के माध्यम से कमजोर वर्ग के लोगों को फायदा हुआ है। अपराध में वृद्धि होना और पंजीकरण होना दोनों में बहुत अन्तर है।’’
उन्होंने बताया कि 2013 के मुकाबले 2019 में अपराध 14 प्रतिशत ही बढ़ा था, यानी प्रति वर्ष केवल 2.3 प्रतिशत बढ़ा था। यह एक सामान्य वृद्धि है और राष्ट्रीय औसत 22 प्रतिशत से भी कम है। लेकिन यह इसलिए हुआ क्योंकि इन वर्षों में निर्बाध एफआईआर पंजीकरण नहीं हुआ था। मौजूदा सरकार के आने के बाद निर्बाध एफआईआर पंजीकरण होने से 2018 की तुलना में 2019 में वृद्धि हुई।
धारीवाल ने कहा कि निर्बाध प्राथमिकी पंजीकरण को सख्ती से लागू करने के लिए पुलिस अधीक्षक कार्यालय से थानों की जांच करने के लिए अभियान भी चलाये गए। धारीवाल ने कहा कि कोविड-19 के समय में पुलिस कर्मियों की जिम्मेदारी को सदैव याद रखा जायेगा। कोरोना महामारी के समय पुलिस ने अभूतपूर्व हौसला दिखाया है।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि हिंसक अपराध के मामलों में उत्तर प्रदेश पूरे देश में प्रथम स्थान पर रहा है, जहां राजस्थान के मुकाबले दुगने से भी ज्यादा हिंसक घटनाएं हुई है। हत्या, दहेज, अपहरण जैसे अपराधों में भी उत्तर प्रदेश शीर्ष स्थान पर रहा है।
उन्होंने कहा कि राजस्थान में 2017-18 में बलात्कार जैसे अपराधों में 30 प्रतिशत से अधिक पीड़ित महिलाओं को प्रकरण दर्ज कराने के लिए अदालत जाना पड़ता था। इसमें गत तीन सालों में लगातार गिरावट आई है।
भाषा पृथ्वी आशीष
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