नयी दिल्ली, आठ मार्च (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने अकादमिक वर्ष 2020-21 से नये फार्मेसी कॉलेज खोलने पर फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा लगाई गई रोक निरस्त कर दी है।
न्यायमूर्ति प्रतीक जालान ने सात मार्च को अपने फैसले में कहा कि एक सांविधिक संस्था को अपनी शक्ति का स्रोत एक सांविधिक प्रावधान में ढूंढना चाहिए और मौजूदा मामले में काउंसिल द्वारा कार्यकारी प्राधिकार का इस्तेमाल उसकी शक्तियों से आगे जाता है।
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘मुझे यह पता नहीं चल पा रहा है कि इस बारे में कोई स्पष्ट शक्ति फार्मेसी अधिनियम,1948 द्वारा प्रदत्त की गई है कि परिषद एक नीतिगत फैसले के तहत रोक लगा सकती है। ’’
अदालत ने आदेश दिया, ‘‘परिषद का 17 जुलाई 2019 का फैसला (रोक पर) और नौ सितंबर 2019 का ( अपवाद पर) निरस्त किया जाता है। ’’
अदालत का यह फैसला 84 रिट याचिकाओं पर आया है, जिनके जरिये उक्त रोक और इसके अपवाद को चुनौती दी गई थी।
उच्च न्यायालय ने 38 पृष्ठों के अपने आदेश में कहा कि एक शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने को उच्चतम न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 19(1)(जी) के तहत एक मूल अधिकार करार दिया है।
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