नयी दिल्ली, सात मार्च (भाषा) दिल्ली सरकार ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी में शराब के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) पर किसी भी छूट पर रोक लगाने के अपने फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं का विरोध किया और दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि इससे (छूट से) अवैध शराब कारोबार को बढ़ावा मिल रहा था।
न्यायमूर्ति वी कामेश्वर राव ने दिल्ली सरकार और विभिन्न शराब लाइसेंस धारकों के वकील का पक्ष सुना। उन्होंने अंतरिम राहत के लिये याचिकाकर्ताओं के आवेदनों पर निर्णय को सुरक्षित रखा। याचिका में दिल्ली सरकार के आदेश को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि इससे कारोबार में कमी के कारण उन्हें अपूर्णीय क्षति हो रही है।
दिल्ली आबकारी आयुक्त के 28 फरवरी के आदेश को याचिकाओं में चुनौती दी गई है। आबकारी आयुक्त ने अपने आदेश में शराब के एमआरपी पर किसी भी छूट या रियायत को बंद कर दिया था।
दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी और राहुल मेहरा ने याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि सरकार तब तक कदम नहीं उठाएगी जब तक कि डीलर निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से कारोबार करते हैं और उसने शराब का अवैध कारोबार होने का पता चलने पर ही कदम उठाया।
सिंघवी ने कहा कि छूट वाली योजनाओं के चलते दिल्ली और यूपी, दिल्ली और हरियाणा और दिल्ली और हिमाचल प्रदेश के बीच शराब की खरीद-फरोख्त हो रही थी।
मेहरा ने कहा कि नई आबकारी व्यवस्था में दिल्ली में सबसे सस्ती शराब है और जब सरकार को पता चला कि शराब की तस्करी हो रही है तो उसने कदम बढ़ाया।
कई याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और साजन पूवैया ने तर्क दिया कि दिल्ली सरकार का आदेश संबंधित प्राधिकारियों बिना किसी अधिकार क्षेत्र के पारित किया था और यह त्रुटिपूर्ण तथा मनमाना है।
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