मुंबई, सात मार्च (भाषा) शिवसेना ने सोमवार को दावा किया कि जब युद्धग्रस्त यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों ने आक्रोशित होकर प्रतिक्रिया दी तब जाकर सरकार ने उन्हें वहां से निकालने की तत्परता दिखाई।
पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित संपादकीय में कहा गया कि युद्ध प्रारंभ होने से पहले जब अमेरिका और यूरोप के देश अपने छात्रों को निकाल रहे थे तब भारत का विदेश मंत्रालय लोगों को यूक्रेन छोड़ने के लिए परामर्श जारी कर रहा था। संपादकीय में सवाल किया गया, “तब सरकार का योगदान कहां था?”
आलेख में कहा गया, “जब छात्र यूक्रेन में फंसे थे और अपना दर्द जता रहे थे तब हमारे प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) डमरू बजा रहे थे। ऑपरेशन गंगा का पाखंड बंद कीजिये और सूमी (यूक्रेन) में फंसे भारतीय छात्रों को बचाइये, यूक्रेन से लौटे छात्र यही कह रहे हैं।”
मराठी दैनिक में दावा किया गया कि यूक्रेन में छात्र इसलिए फंसे रहे गए क्योंकि भारत सरकार ने लापरवाही दिखाई।
इसमें कहा गया है कि यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद कीव और खारकीव से छात्र अपना सामान ले कर वहां से निकले। उनके लिए पानी और खाने के बिना लंबी दूरी तक पहुंचना मुश्किल था। ‘‘उनकी तकलीफों के बारे में उत्तर प्रदेश तक पता चला जहां विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। इसके बाद ऑपरेशन गंगा की घोषणा की गई।’’
संपादकीय में कहा गया है ‘‘यह कहा जा सकता है कि छात्रों को इसलिए निकाला गया क्योंकि उनकी कड़ी प्रतिक्रियाओं के बाद ही सरकार की नींद खुली। छात्रों ने अपने भयावह अनुभव बताए हैं।’’
भाषा यश मनीषा
मनीषा
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