नई दिल्ली: रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे घमासान के बाद 46 फीसदी भारतीय अपने हवाई यात्रा की योजनाओं को स्थगित कर सकते हैं. इस संघर्ष की वजह से कच्चे तेल के दामों में काफी वृद्धि होने से तेल की कीमतें 120 डॉलर प्रति बैरल हो गई हैं. आगे चलकर इसमें और वृद्धि होने की संभावना जताई जा रही है. इसके चलते घरेलू या अंतर्राष्ट्रीय हवाई किरायों में 30 से 60 प्रतिशत की वृद्धि की संभावना जताई जा रही है. सर्वें में यह पता चला है.
जो लोग इसके बाद भी यात्रा करने की मंशा रखते हैं वे अब भू-मार्ग और समुद्री यात्रा करने पर विचार कर रहे हैं. यह बात सर्वे एजेंसी लोकलसर्कल्स की ओर से कराए गए सर्वेक्षण से पता चली है.
भारत की घरेलू विमान सेवा उद्योग पर पिछले दो सालों से महामारी की तगड़ी चपत लगी थी. ज्यादातर लोग महामारी की दूसरी लहर के चलते अपने घरों में बैठ गए थे, क्योंकि सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय यात्राओं पर एक तरह का प्रतिबंध लगाते हुए सभी उड़ानों पर रोक लगा दी थी. इस प्रतिबंध के चलते काफी दिनों तक हवाई सेवाएं ठप पड़ गई थीं.
लोकलसर्कल्स इससे पहले 23 फरवरी को एक सर्वे कराया था, जिसमें देश के 321 जिलों के लगभग 20,000 लोगों से जवाब मांगे गए थे. सर्वें में शामिल 59 प्रतिशत उपभोक्ताओं का जवाब था कि अगर सरकार प्रतिबंधों में ढिलाई देती है, तो वे मार्च से मई के बीच यात्रा की योजना बना सकते हैं.
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रूस-यूक्रेन संकट के बाद जब सर्वे एजेंसी लोकलसर्कल्स ने दोबारा उनसे संपर्क किया तब ज्यादातर लोगों का जवाब था कि बढ़े हुए विमान किरायों के चलते उनकी योजना पर प्रतिकूल असर हुआ है. एजेंसी ने देशभर के 301 जिलों के 10,389 लोगों से बातचीत की थी. इनमें 62 प्रतिशत पुरुष और 38 प्रतिशत महिलाएं थीं. जवाब देने वालों में से 49 प्रतिशत लोग टियर-1 के शहरों, 34 प्रतिशत टियर-2 के शहरों और 3.4 प्रतिशत लोग टियर 3, 4 और ग्रामीण जिलों के थे.
46 फीसदी लोग या तो अपना प्लान रद्द करेंगे या यात्रा के दूसरे विकल्प तलाशेंगे
जवाब देने वालों में से इस गर्मी में जो लोग हवाई यात्रा करने वाले थे उनमें से 46 प्रतिशत लोग या तो अपनी यात्रा रद्द कर देंगे या यात्रा के दूसरे विकल्प ढूंढ़ेंगे, 32 प्रतिशत लोग दूसरे विकल्प तलाश रहे हैं. वहीं, 14 प्रतिशत लोग अपनी यात्रा को पूरी तरह से रद्द करने का मन बना लिया है. सर्वे से यह बात भी सामने आई कि किराया बढ़ने के पहले मार्च से मई के बीच ही टिकट कटाने वाले 14 फीसदी लोग थे. ऐसे लोग ही अब अपनी यात्रा जारी रख सकेंगे. वहीं, करीब 26 प्रतिशत लोगों का कहना था कि वे टिकट दरों में बढ़ोत्तरी के बावजूद टिकट बुक कराएंगे, वहीं, 14 फीसदी लोग अपनी यात्रा की योजना स्थगित कर देंगे.
ऐसे में जबकि कच्चे तेलों के दाम जल्दी से कम होने वाले नहीं हैं, तो स्थिति ऐसी भी बन सकती है कि इस गर्मी में एयलाइंसों की आय 40 से 50 प्रतिशत तक नीचे चली जाए.
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