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शुक्रवार, 18 अप्रैल, 2025
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टाइम ने नहीं की पुतिन की तुलना हिटलर से, यूके के डिजाइनर ने बनाई है विवादास्पद तस्वीर

गुस्सा का सामना कर रहे, मुल्डर ने ट्वीट किया कि कला वास्तव में 'सब्जेक्टिव' होती है और 'हर कोई अपनी राय रखने का हकदार है.'

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नई दिल्ली: रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के बीच टाइम मैगजीन का एक फेक कवर सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है जिसमें व्लादिमीर पुतिन की जर्मन के तानाशाह एडोल्फ हिटलर से तुलना की गई है. इस कवर में पुतिन की तस्वीर के ऊपर हिटलर की मूंछे दिखाई गई हैं. कवर को ‘सही’ समझते हुए मुख्यधारा के मीडिया चैनल्स समेत कुछ वेरिफाइड ट्विटर हैंडल्स ने इसे शेयर किया.

हालांकि हकीकत यह है कि यह कवर असली नहीं है बल्कि यूके में रहने वाले ग्राफिक डिजाइनर पैट्रिक मुल्डर के डिजाइन की यह एक नकल है.

वेल्श डिज़ाइनर, लोगों को मुर्ख बनाने में कामयाब रहा कि वो इसे टाइम का असली कवर माने और वायरल करें.

यह तस्वीर उन तीन कड़ियों में से एक हिस्सा है जिसे मुल्डर ने उस दिन बनाया था जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था, क्योंकि उन्हें लगा था कि टाइम के वास्तविक कवर में ‘प्रभाव और दृढ़ विश्वास की कमी’ थी.

मुल्डर ने ट्विटर पर लिखा कि मैं कुछ ऐसा बनाना चाहता था जिससे यूक्रेन के हमले के बारे में चर्चा हो और लोगों के मूड को समझा जा सके.’

उन्होंने आगे कहा कि ‘यह मूल रूप से टाइम कवर होने के इरादे से नहीं बनाया गया था… पूरी होने के बाद तस्वीर काफी शक्तिशाली थी, मुझे लगा कि इसे भी उसी तरह से शक्तिशाली तैयार किया जाना चाहिए था.’

जैसे ही लोगों को पता चला कि कवर असली नहीं है तो मुल्डर को उनके काम के लिए कई तरह की प्रतिक्रिया मिलीं- उन लोगों ने भी मजाक बनाया जिन्होंने इसका यह कहते विरोध किया था कि ‘जो सच नहीं है वो बनाया गया है.’

उनपर उन्होंने ‘इतिहास के गलत पक्ष’ में होने का आरोप लगाया. कुछ ने उनसे युद्ध से तबाह हुए यूक्रेन में मारे गए लोगों की जिम्मेदारी लेने को कहा.


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हालांकि, ग्राफिक डिजाइनर ने अपने आलोचकों का बुरा नहीं माना और कहा कि तस्वीरें तीन कड़ी में बनाई गई थीं और  इनका मकसद सिर्फ कलात्मक प्रतिनिधित्व करना था.

मुल्डर ने लोगों से उनके उल्लेख को सम्मानजनक रखने का अनुरोध किया और कहा कि विचारों और मतभेदों की परवाह किए बिना, लोग एक दूसरे के लिए दयालु हो सकते हैं.

गुस्सा का सामना कर रहे, मुल्डर ने ट्वीट किया कि कला वास्तव में ‘सब्जेक्टिव’ होती है और ‘हर कोई अपनी राय रखने का हकदार है.’

उन्होंने साफ किया कि उनका कभी भी यह इरादा नहीं था कि लोग इसे बिना किसी संबंध, तथ्य-जांच या ‘कला का एक टुकड़ा समझ कर’ इस तस्वीर को शेयर करें. जो हालात पैदा हुए हैं, वह कुछ ऐसे थे जिस पर मूल्डर ने कभी योजना नहीं बनाई थी और वो उसे व्यक्तिगत रूप से कंट्रोल नहीं कर सकता थे. खासकर डिजिटल युग में जहां ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर तेजी से आदान-प्रदान होता है.

अब इस मशहूर और विवादास्पद तस्वीर से फैली गलत जानकारी के लिए उन्होंने इसके लिए माफी मांगी है, हालांकि वो अपने आर्ट के साथ अभी भी खड़े हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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