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Friday, 22 November, 2024
होमशासन'अब कोई उम्मीद बाकी नहीं, सब कुछ मैनेज किया हुआ लगता है' — जस्टिस लोया का परिवार

‘अब कोई उम्मीद बाकी नहीं, सब कुछ मैनेज किया हुआ लगता है’ — जस्टिस लोया का परिवार

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लेकिन नागपुर पुलिस जोर देकर कहती है कि उनकी जांच ने निष्कर्ष निकाला था कि न्यायाधीश की मौत प्राकृतिक थी और पुलिस उस निष्कर्ष का समर्थन करती है।

मुंबई: पूर्व विशेष सीबीआई न्यायाधीश बीएच लोया के परिवार के सदस्यों ने बताया कि गुरुवार को उनकी मृत्यु की स्वतंत्र जांच की मांग को खारिज करने वाले सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले ने इस मामले का खुलासा होने की उम्मीदों को खत्म कर दिया था और ऐसा लग रहा था कि “सारी खाना पूर्ति हो चुकी है।”

लेकिन महाराष्ट्र के एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने दोहराया कि दिसंबर 2014 में लोया की मौत कार्डियक अरेस्ट (पूर्णहृदरोध) के कारण प्राकृतिक रूप से हुई थी।

न्यायाधीश के चाचा श्रीनिवास लोया ने कहा, “निर्णय हमारी अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं है। अभी भी कई ऐसे प्रश्न हैं जिनका उत्तर नहीं मिला।”

उन्होंने लातूर से फोन द्वारा दिप्रिंट को बताया,”अगर कोई स्वतंत्र जांच की गई होती तो बेहतर होता। लेकिन इस बारे में हमें किसी और से कोई उम्मीद नहीं है। मीडिया और विपक्षी दल इस मुद्दे को उठा तो रहे हैं, लेकिन कोई अपेक्षित परिणाम नजर नहीं आ रहा है।”

न्यायाधीश की बहन अनुराधा बियाणी ने भी इस भावना को दोपराया

बियाणी ने बताया, “क्या बोलूं, जो एक विश्वास था वो भी अब नहीं है। कुछ बोलने के जैसा रखा ही नहीं है चार साल से अब किसी ने।

साक्षात्कार

जब 1 दिसंबर 2014 को एक सहयोगी की बेटी की शादी के लिए जब वह नागपुर में थे तो उनकी मृत्यु हो गई, उस समय न्यायाधीश लोया सोहराबुद्दीन शेख के कथित फर्जी मुठभेड़ की सुनवाई कर रहे थे, जिसमें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह आरोपी थे।

लोया की मौत के बाद वह मुकदमा न्यायाधीश एमबी गोसावी ने अपने हाथो में ले लिया। लोया की मौत के एक महीने बाद भी शाह और कई अन्य प्रमुख आरोपियों को छोड़ दिया गया।

धुले में कार्यरत सरकारी डॉक्टर बियानी ने पिछले साल कैरावैन  पत्रिका के साथ एक साक्षात्कार में आरोप लगाया था कि उनके भाई “मामले में अनुकूल फैसला देने के लिए अत्यधिक दबाव में थे”।

औरंगाबाद के एक शिक्षक के पद पर तैनात, पिता हरिकिशन लोया और बहन सरिता मंडाने के साथ बियाया ने भी लोया की मौत के बारे में संदेह जताया था।

इस रिपोर्ट में,महाराष्ट्र पुलिस द्वारा की गयी जांच में कथित विसंगतियों को इंगित करने वाली अनुवर्ती मीडिया कवरेज के साथ एक पंक्ति की शुरुआत हुई, जो कि संभावित लीपापोती की तरफ इशारा कर रही थी |

कैरावैन रिपोर्ट के कुछ सफ्ताह बाद लोया का निकटतम परिवार शांत हो गया | जबकि उनके माता पिता लातूर जिले में अपने परिवार के घरों को छोड़ गये, उनकी बहनों और बेटे अनुज ने अपने फ़ोन बंद कर दिए |

हालाँकि, विवाद के साथ नष्ट हो जाने से इंकार करते हुए अनुज ने आखिरकार मुंबई में एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की जहाँ उन्होंने कहा कि परिवार को उनके पिता की मौत के बारे में कोई संदेह नहीं था | उन्होंने आगे कहा कि परिवार के अन्य सदस्यों को शुरुआत में जो संदेह था, वो अब स्पष्ट हो गया है | द प्रिंट के समीप आने पर, बियानी ने उस समय इस मुद्दे पर टिपण्णी करने से इंकार कर दिया था |

गुरुवार को, सुप्रीम कोर्ट ने लोया की मौत की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाले पांच याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर पीआईएल को खारिज कर दिया और कहा कि उनकी मृत्यु के समय लोया के साथ मौजूद न्यायाधीशों द्वारा दिए गये बयानों पर संदेह करने का कोई कारण नहीं मिला है| भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और दी.वाई.चंद्रचूड़ की एक पीठ ने भी याचिकाकर्ताओं की विश्वसनीयता पर सवाल उठाये. फैसले के बाद टिप्पणी के लिए अनुज उपस्थित नहीं थे |

‘संदेह पर कोई टिप्पणी नहीं’

नागपुर पुलिस ने जोर देकर कहा है कि जज की मौत प्राकृतिक थी और पुलिस के संयुक्त आयुक्त (ज्वाइंट कमिश्नर) शिवाजी बोधके ने गुरुवार को इस बात को बार बार दोहराया।

“हमारे दृष्टिकोण से, जांच के नतीजों से पता चलता है कि जज की मौत हृदय गति रुक जाने के कारण हुई है और यह एक प्राकृतिक मौत थी मैं इस बात पर टिप्पणी नहीं कर सकता कि किसी व्यक्ति ने क्यों इस पर संदेह जताया है”, बोधके ने फोन से द प्रिन्ट को बताया।

नवंबर में, दिप्रिंट को सूचना मिली थी कि नागपुर में सदर पुलिस स्टेशन, जिसके अधिकार क्षेत्र लोया की मृत्यु हुई थी, में उनकी मृत्यु पर चल रही जांच की फाइल बंद नहीं हो सकी क्योंकि उनके परिवार ने कोई बयान नहीं दिया था और जांच इसके बिना अपूर्ण थी। बाद में पुलिस स्टेशन ने केस विवरणों को फिर से सत्यापित करना शुरू कर दिया और अस्पताल के दस्तावेजों को जुटाना शुरी कर दिया साथ ही में गवाहों के नए बयान लेने प्रारंभ कर दिए हैं।

हालाँकि बोधके ने लातूर में जस्टिस लोया के परिवार से एक बयान में कहा जो कि जरूरी नहीं था।“साक्ष्य आवश्यक परिस्थितियों में अदालत में एकत्र और प्रस्तुत किए गए थे। जो मृत्यु का कारण घोषित करने के लिए जरूरी थे।“

“जब मृत्यु का कारण स्पष्ट नहीं होता है तब घटना के स्थान पर मौजूद रिश्तेदारों के बयान लेना आवश्यक हो जाता है। इस मामले में, यही बात थी, “बोधके ने कहा।

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