फोरेंसिक परीक्षणों के लिए साक्ष्य को दिल्ली भेजा गया था और पीड़िता के धोए गए कपड़ों के बावजूद, प्रयोगशाला को खून का धब्बा मिल गया, जो यह बयां करता है कि उस मामले की सारी कड़ियां एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं।
नई दिल्लीः कठुआ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले की गुत्थी सुलझाने के लिए पीड़िता की फ्रॉक की तह पर स्पष्ट रूप से खून का सिर्फ एक निशान पाया गया जो नंगी आखों से कभी नहीं दिखाई देगा।
बताया जा रहा है कि खून के धब्बे ने इस बात की पुष्टि की है कि अपराध के दौरान आठ वर्षीय बक्करवाल लड़की ने फ्रॉक पहनी थी और जिसके कारण कथित रूप से अपराध की जगह पर पाए गए साक्ष्यों की अन्य सभी अनसुलझी कड़ियां आपस में जुड़ती चली गई हैं।
लेकिन ऐसा होने के लिए, सबूतों को फोरेंसिक परीक्षणों के लिए जम्मू से दिल्ली भेजना था। जम्मू क्षेत्र में आधुनिक और उन्नत फोरेंसिक टेक्नोलॉजी वाली लैब ना होने के कारण जम्मू-कश्मीर पुलिस को दिल्ली सरकार के गृह विभाग द्वारा संचालित फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी से मदद मांगनी पड़ी।
23 फरवरी को, जम्मू-कश्मीर के डीजीपी ने एक विशेष संदेशवाहक को दिल्ली के गृह सचिव मनोज परिदा के पास भेजा। संदेशवाहक, जो कि जम्मू-कश्मीर पुलिस की दिल्ली यूनिट (इकाई) में तैनात सीआईडी से डीएसपी रैक के अधिकारी हैं, उन्होंने एक पत्र के साथ मनोज परिदा से भेंट की और इस मामले की तत्कालता पर दबाव डाला।
दिल्ली सरकार के गृह विभाग के अतिरिक्त सचिव ओ.पी. मिश्रा ने द प्रिंट को बताया “हमसे संपर्क किया गया था और वहाँ मामले को नहीं उठाने को लेकर कोई बहस नहीं हुई थी। मामला संवेदनशील था और इसे तेजी से ट्रैक करने की आवश्यकता थी। इसलिए हमें इस मामले को गंभीरता से लेना पड़ा।“
सबूत के 14 पैकेट
फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी ने 1 मार्च और 21 मार्च के बीच सबूतों के 14 पैकेट प्राप्त किए।
सबूतों के कुछ पैकेट अपराध की जगह देवीस्थान पर किशोर अभियुक्त की उपस्थिति साबित करने में मदद करते हैं।
“इस मामले में किशोर आरोपी की पहचान को दोहरा सुनिश्चित करने के लिए सबूतों के दो पार्सल भेजे गए थे और जिसके परिणाम सकारात्मक आए। आरोपी की मर्दानगी की जांच और साथ ही में डीएनए जाँच भी की गई। प्रयोगशाला के एक स्रोत ने दिप्रिंट को बताया कि एक तीसरे पार्सल में दो तरीके के बाल थे जो देवीस्थान से पाए गए बालों के नमूने से मेल खाते थे।
खून का एक महत्वपूर्ण धब्बा
ये ज्ञात है कि इस सब घटनाक्रम का सबसे कठिन भाग यह था कि धुले हुए कपड़ों में से सबूत प्राप्त किए जाए जिससे यह पता चल सके कि पीड़िता यही कपड़े पहने हुए थे।
सूत्रों से पता चला कि फ्रॉक को कुछ टुकड़ों में विभाजित किया गया और फिर उनका विश्लेषण किया गया और कुछ घंटों की जांच के बाद, टीम के एक सदस्य को फ्रॉक की झालर पर खून के धब्बे मिले। खून के वे धब्बे पीड़िता के अंतरांग के नमूने से मेल खाते थे, जिससे यह पुष्टि हुई कि यह रक्त पीड़िता का ही है।
प्रयोगशाला के एक उच्च अधिकारी ने कहा, “इस सबूत ने इस मामले को और मजबूत किया है और हमने एक-एक करके इस मामलें से संबंधित पहेलियों को सुलझा लिया है।“