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Saturday, 19 October, 2024
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सुरक्षा परिषद में भारत के रुख पर विपक्ष ने कहा: बगल हो जाने की नहीं, बल्कि खड़े होने की जरूरत

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नयी दिल्ली, 26 फरवरी (भाषा) कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने यूक्रेन के खिलाफ रूस के ‘आक्रामक बर्ताव’ की ‘कड़े शब्दों में निंदा’ करने वाले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव पर हुए मतदान में भारत के हिस्सा नहीं लेने के बाद शनिवार को सरकार पर निशाना साधा और कहा कि इस मामले में बगल हो जाने की नहीं, बल्कि खुलकर खड़े होने की जरूरत थी।

लोकसभा सदस्य और कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने यह भी कहा कि भारत को यूक्रेन के लोगों के साथ एकजुटता प्रकट करते हुए मतदान में भाग लेना चाहिए था।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘ऐसे समय आते हैं जब राष्ट्रों को खड़े होने और बिल्कुल अलग खड़े नहीं होने की जरूरत होती है। काश भारत ने सुरक्षा परिषद में यूक्रेन की उस जनता साथ एकजुट प्रकट करते हुए मतदान किया होता जो अप्रत्याशित और अनुचित आक्रमण का सामना कर रही है। ‘मित्र’ जब गलत हों तो उन्हें यह बताने की जरूरत है कि वो गलत हैं।’’

पूर्व केंद्रीय मंत्री तिवारी ने कहा, ‘‘दुनिया के ऊपर से आवरण हट गया है। भारत को पक्षों को चुनना होगा।’’

पूर्व विदेश राज्य मंत्री और कांग्रेस नेता शशि थरूर ने एक लेख में कहा, ‘‘आक्रमण तो आक्रमण है। हमें अपने मित्र रूस को यह बताना चाहिए….अगर मित्र एक दूसरे से ईमानदारी से बात नहीं कर सकते तो फिर मित्रता का क्या मतलब रह जाता है।’’

उनके मुताबिक, बहुत सारे लोगों का मानना है कि मतदान में हिस्सा नहीं लेकर भारत ने खुद को इतिहास के गलत पक्ष की तरफ कर दिया।

शिवसेना नेता और राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने सरकार पर पाखंड का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा, ‘‘दिलचस्प बात है कि जो लोग भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू को अक्सर भला-बुरा कहते हैं और उनकी आलोचना करते हैं, वो आज संयुक्त राष्ट्र में अपने रुख को सही ठहराने के लिए गुटनिरपेक्ष नीति का सहारा ले रहे हैं।’’

गौरतलब है कि भारत ने यूक्रेन के खिलाफ रूस के ‘आक्रामक बर्ताव’ की ‘कड़े शब्दों में निंदा’ करने वाले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव पर हुए मतदान में हिस्सा नहीं लिया। सुरक्षा परिषद में यह प्रस्ताव अमेरिका की तरफ से पेश किया गया था।

भारत ने युद्ध को तत्काल समाप्त करने की मांग करते हुए कहा कि मतभेदों को दूर करने के लिए बातचीत ही एकमात्र रास्ता है।

भाषा हक हक माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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