नयी दिल्ली, 20 फरवरी (भाषा) भारतीय मौसम विभाग के आंकड़ों के मताबिक केरल में वर्ष 2015 के बाद से बहुत भारी बारिश की घटनाओं में करीब तीन गुना इजाफा हुआ है।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक इस तटवर्ती राज्य में वर्ष 2015 के दौरान बहुत अधिक भारी बारिश की 43 घटनाएं दर्ज की गई थीं, जबकि यह संख्या वर्ष 2021 में बढ़कर 115 हो गई। बहुत अधिक बारिश की घटना का वर्गीकरण ऐसे दिन के रूप में किया गया है, जब 115.6 से 204.4 मिलीमीटर के बीच वर्षा दर्ज की जाए।
वर्ष 2015 में बहुत भारी वर्षा की 43 घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें से 19 जून में दर्ज की गईं। वर्ष 2016 में यह संख्या 23 थी, जिनमें से 16 घटनाएं अकेले जून में दर्ज की गईं। वर्ष 2017 में बहुत भारी बारिश की 38 घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें से 14 घटनाएं सितंबर की हैं। वर्ष 2018 में बहुत भारी बारिश की 163 घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें से 74 घटनाएं अगस्त में दर्ज की गईं। वर्ष 2019 में बहुत भारी बारिश की 117 घटनाएं हुईं, जिनमें से 71 अगस्त में और 22 जुलाई में दर्ज की गईं।
वर्ष 2020 में बहुत भारी वर्षा की 110 घटनाएं हुईं। वर्ष 2021 में बहुत भारी बारिश की 115 घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें से 51 घटनाएं केवल मई में दर्ज की गईं।
कांग्रेस सदस्य शशि थरूर के एक सवाल पर पृथ्वी विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में कहा था, ‘‘गर्मी बढ़ने से अत्यधिक वर्षा की घटनाओं की आवृत्ति पूरे भारत में बढ़ सकती है खासकर मध्य और दक्षिणी भागों में।’’
केरल में वर्ष 2015 में भारी बारिश (64.5-115.5 मिमी प्रति दिन) की कुल घटनाएं 10 महीनों में 360 थीं, जबकि साल 2016 में यह संख्या 225, साल 2017 में 360, साल 2018 में 607 और साल 2019 में भारी बारिश की 528 घटनाएं दर्ज की गईं। केरल में 2020 में भारी वर्षा की 484 घटनाएं देखी गईं, जिसमें अगस्त में अधिकतम (132) घटनाएं दर्ज की गईं।
वर्ष 2021 में भारी वर्षा की 574 घटनाएं हुईं जिनमें से अधिकतर मई (130) में दर्ज की गई थीं, इसके बाद अक्टूबर (112 दिन) और जुलाई में 107 दिन थे। राज्य में वर्ष 2015 और 2016 में अत्यधिक भारी वर्षा (204.4 मिमी प्रति दिन से अधिक) एक-एक दिन हुई, जबकि वर्ष 2017 में दो दिन हुई। वर्ष 2018 में अत्यधिक बारिश की 32 घटनाएं दर्ज की गईं। अत्यधिक बारिश की घटनाएं वर्ष 2019 में 33, वर्ष 2020 में आठ और वर्ष 2021 में 11 दर्ज की गईं।
भाषा संतोष अमित
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