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Friday, 22 November, 2024
होमदेश‘बिना-मुद्दे’ का सियासी मुद्दा बन जाना त्रासद- हिजाब विवाद पर इस हफ्ते क्या रही उर्दू प्रेस की राय

‘बिना-मुद्दे’ का सियासी मुद्दा बन जाना त्रासद- हिजाब विवाद पर इस हफ्ते क्या रही उर्दू प्रेस की राय

दिप्रिंट का राउंड-अप बता रहा है कि उर्दू मीडिया ने इस हफ्ते विभिन्न न्यूज इवेंट को कैसे कवर किया और उन पर कुछ का संपादकीय रुख क्या रहा.

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नई दिल्ली: कर्नाटक का हिजाब विवाद इस हफ्ते उर्दू प्रेस की सुर्खियों में रहा, जिस पर कई विदेशी राष्ट्र भी दखल देते नजर आए, जबकि मामले में अदालत के निर्णायक फैसले की प्रतीक्षा की जा रही है.

इस बीच, उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में चुनावी पारा भी और चढ़ गया, जिसमें राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप के चलते सारा ध्यान यूपी पर केंद्रित रहा. उर्दू अखबारों ने हिजाब विवाद पर अपनी रिपोर्टिंग के दौरान कवरेज को पूरी तरह संतुलित रखने की पूरी कोशिश की.

दिप्रिंट अपने राउंडअप में बता रहा है कि इस हफ्ते उर्दू अखबारों के पहले पेज की सुर्खियां और संपादकीय रुख क्या रहा.


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हिजाब विवाद ‘त्रासद’

रोजनामा राष्ट्रीय सहारा ने 13 फरवरी को अपने पहले पन्ने पर विदेश मंत्रालय का एक बयान प्रकाशित किया जिसमें कहा गया था कि भारत अपने आंतरिक मुद्दों में किसी के भी दखल को बर्दाश्त नहीं करेगा. यह बयान कर्नाटक में जारी हिजाब विवाद को लेकर कई देशों की तरफ से आलोचना किए जाने के संदर्भ में था. 12 फरवरी को इंकलाब ने अपनी पेज वन लीड स्टोरी में लिखा कि सिख संगठनों ने भी हिजाब प्रतिबंध के खिलाफ विरोध जताने का फैसला किया है.

15 फरवरी को सियासत ने अपने पहले पन्ने पर यह खबर प्रमुखता से छापी की कर्नाटक हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि हिजाब पहनने वाली छात्राओं को स्कूलों में प्रवेश नहीं मिलेगा. उसी दिन इंकलाब ने बताया कि छात्राएं हिजाब पहन सकती हैं या नहीं, इस मामले ने कैसे तूल पकड़ा और अब यह एक बड़ा मुद्दा बन गया है. और टीचर्स से भी इसे हटाने के लिए कहा जा रहा है.

एक दिन बाद रोजनामा की लीड स्टोरी छपी की हिजाब को लेकर तनाव जारी है और तमाम छात्राओं ने हिजाब हटाने के बजाये परीक्षा से बाहर रहने का विकल्प चुना है.

रोजनामा ने 14 फरवरी को अपने एक संपादकीय में लिखा कि हिजाब विवाद के पीछे राजनीतिक कारण हैं और यही वजह है कि एक ‘गैर-मुद्दा’ एक बड़ा मुद्दा बन गया है, जिसने शिक्षण संस्थान बंद होने और स्टूडेंट का भविष्य खराब होने का खतरा उत्पन्न कर दिया है. अखबार ने इसे एक त्रासदी करार दिया.

15 फरवरी को एक अन्य संपादकीय में अखबार ने लिखा कि पहले जब फ्रांस और अन्य यूरोपीय देशों से हिजाब पहनने के खिलाफ आपत्तियों को लेकर खबरें आती थीं, तो यह सोचकर आश्चर्य होता था कि बिना किसी नुकसान वाली कोई चीज कैसे विवाद की जड़ बन सकती है. लेकिन अब कर्नाटक में वही स्थिति उत्पन्न हो गई है. अखबार ने यह भी लिखा कि कर्नाटक में छात्रों और उनके परिवारों के लिए यह मामला सिर्फ उनकी धार्मिक आस्था से जुड़ा नहीं रह गया है. देश के कई अन्य लोगों की तरह, वे इसे अपने अधिकारों का मुद्दा बनाने में लगे हैं, यही वजह है कि उन्होंने अपना केस लड़ने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत को चुना है.


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विधानसभा चुनाव

पांच राज्यों में विधानसभा के लिए चुनावी लड़ाई जैसे-जैसे मतदान के करीब पहुंची और राजनीतिक बयान अधिक से अधिक कटुतापूर्ण होते गए, राजनीतिक घटनाक्रम से जुड़ी खबरें उर्दू अखबारों के पहले पन्नों पर सुर्खियों में छाई रहीं.

13 फरवरी को लखनऊ में विपक्ष के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हमले की खबर, जिसमें उन्होंने वंशवाद की राजनीति और भ्रष्टाचार में डूबे रहने का आरोप लगाया, इंकलाब के पहले पन्ने पर सुर्खियों में रही.

हालांकि, 18 फरवरी को उनके पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह की तरफ से एक दुर्लभ राजनीतिक दखल सुर्खियों में रहा.

मनमोहन सिंह की तरफ से मोदी सरकार की आलोचना की खबर को रोजनामा के पहले पन्ने पर छापा गया. 15 फरवरी को अखबार ने पहले पन्ने पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एक इंटरव्यू छापा था, जिसमें उन्होंने कहा कि सपा-बसपा के शासन के दौरान ऐसा लग रहा था कि जैसे राज्य में कर्फ्यू लगा दिया गया हो. उन्होंने राज्य की पूरी आबादी को अपने लिए परिवार जैसा बताया और दावा किया कि विपक्ष सिर्फ अपने परिवार के 25 सदस्यों का ही ख्याल रखता है.

रोजनामा ने 15 फरवरी को अपने पहले पन्ने पर अरविंद केजरीवाल, नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी को एक बैनर शीर्षक के तहत समान जगह दी, जिसका शीर्षक था, ‘पंजाब में, भाजपा, कांग्रेस और आप ने अपनी ताकत आजमाना शुरू कर दिया है.

उत्तर प्रदेश में 14 फरवरी का दूसरे चरण का मतदान और उत्तराखंड का मतदान भी पहले पन्ने पर छाया रहा. इंकलाब ने उसी दिन अपने पहले पन्ने पर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के बयान को प्रमुखता से प्रकाशित किया कि वह अपने भाई राहुल के लिए अपनी जान तक दे सकती हैं. वही भाषण सियासत में इस शीर्षक से छपा कि प्रधानमंत्री को पिछले 70 वर्षों में जो हुआ उस पर लोगों को गुमराह करना बंद करके ‘वास्तविक मुद्दों’ पर बात करनी चाहिए.

इंकलाब ने अपने 18 फरवरी के संपादकीय में लिखा कि ‘जिन्ना से हिजाब तक और तीन तलाक से पलायन तक का मुद्दा उठाकर ध्रुवीकरण’ की भाजपा की कोशिश उत्तर प्रदेश में मतदाताओं को प्रभावित करने में नाकाम रही है, जहां लोग पार्टी से नाराज हैं. विकास का पुराना वादा जमीनी स्तर पर ध्वस्त हो गया है क्योंकि पिछले पांच सालों में राज्य में इस तरह का कोई उल्लेखनीय विकास कार्य नहीं हुआ है.

13 फरवरी को एक संपादकीय, जो सीधे तौर पर चुनाव से जुड़ा नहीं था, लेकिन उस पर परोक्ष प्रभाव डालने वाला था, में सियासत ने लिखा कि नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ प्रदर्शनकारियों की संपत्तियां जब्त करने के लिए आदित्यनाथ सरकार को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से लगाई गई फटकार के मद्देनजर सरकार को अपने गवर्नेंस मॉडल पर पुनर्विचार करना चाहिए.


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दुनियाभर की क्या खबरें छाई रहीं

दुनियाभर में चिंता का विषय बने रूस-यूक्रेन सीमा पर तनाव की खबर भी उर्दू अखबारों के पहले पन्नों पर छाई रही.

17 फरवरी को सियासत ने खबर दी कि भारत ने अपने नागरिकों के लिए कीव में एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है.

15 फरवरी को इंकलाब ने भारत सरकार की तरफ से कुछ और चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगाए जाने की खबर छापी. उसी दिन अपने संपादकीय में अखबार ने लिखा कि एक बात तो तय है कि चीन भरोसे के लायक देश नहीं है और ऐसा करना खुद को बेवकूफ बनाने जैसा है. इसने यह भी लिखा कि बीजिंग विंटर ओलंपिक का बहिष्कार ‘देरी से उठाया गया एक मामूली कदम’ है क्योंकि चीन ने इस तथ्य की पूरी तरह अनदेखी कर दी थी कि गलवान ‘हीरो’ को मशाल वाहक बनाना दिल्ली को असहज कर सकता है.


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‘डिस्को किंग’ का निधन

17 फरवरी को रोजनामा और सियासत दोनों ने अपने पहले पन्ने पर यह कहते हुए लेख छापे कि हिंदी फिल्म उद्योग अभी लता मंगेशकर के निधन के शोक से उबरा भी नहीं था कि संगीतकार बप्पी लाहिरी के न रहने की चौंकाने वाली खबर आई. सियासत ने उन्हें ‘डिस्को म्यूजिक चैंपियन’ बताया, वहीं, रोजनामा ने अपने शीर्षक के लिए ‘डिस्को किंग’ शब्द का इस्तेमाल किया, जिस उपनाम से वह जाने जाते थे.

(उर्दूस्कोप को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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