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Friday, 29 March, 2024
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मोहित कंबोज: एक करोड़पति सर्राफा कारोबारी जो फडनवीस का है करीबी, शिवसेना के लिए है ‘फ्रॉड’

करोड़पति कारोबारी और बीजेपी नेता कंबोज ने शिवसेना सांसद संजय राउत और एनसीपी नेता नवाब मलिक के भ्रष्टाचार के आरोपों का जवाब ‘बॉलीवुड स्टाइल’ में दिया है. वह कुछ समय से सुर्खियों से दूर थे.

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मुंबई: मशहूर डायलॉग ‘फ्लावर नहीं, फ़ायर है मैं’ और बैकग्राउंड में बजते हुए नाटकीय संगीत के साथ स्क्रीन पर मोहित कंबोज दिख रहे हैं. उनके माथे पर तिलक है और वे दाहिने हाथों में कई ब्रेसलेट पहले हुए हैं. अल्लू अर्जून की फिल्म पुष्पा: द राईज के डायलॉग पर अपने होठ हिलाते हुए वह अपने हाथ को गले से लगाते हैं और चुनौती देते की मुद्रा में कैमरे पर उंगली दिखाते हैं. मोहित कंबोज ने अपना नाम बदलकर मोहित भारतीय कर लिया है.

कंबोज ने सात सेकंड का यह वीडियो अपने ऊपर लगाए गए आरोप के तुरंत बाद ट्विटर पोस्ट किया. मंगलवार की शाम शिवसेना राज्यसभा सांसद संजय राउत ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कंबोज सहित बीजेपी के कई नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए.

करोड़पति सर्राफा कारोबारी कंबोज एंटरप्रेन्योर हैं. वह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के धनी नेताओं में एक है.

राउत ने आरोप लगाया कि कंबोज, विपक्ष के नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का ‘फ्रंट मैन’ हैं. राउत ने कंबोज पर ‘पात्र चॉल रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट’ से जुड़ी गड़बड़ियों में शामिल होने का भी आरोप लगाया है. इस प्रोजेक्ट के पूरा होने में काफी देरी हो रही है. राउत ने कहा कि कंबोज ने धोखाधड़ी करके पंजाब और महाराष्ट्र कॉरपोरेशन (पीएमसी) बैंक के फंड का इस्तेमाल पात्र चॉल की जमीन सस्ते दामों में खरीदने के लिए किया. मुंबई में पीएमसी बैंक और पात्रा चॉल प्रोजेक्ट की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कर रही है.

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राउत के आरोपों के तुरंत बाद ही प्रेस कॉन्फ्रेस करके कंबोज ने अपने ऊपर लगाए गए सभी आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा, ‘राउत साहब बड़े नेताओं की बात करते हैं. वह मोदी जी से शुरू करते हैं और फडणवीस साहब की बात करते हैं. महाराष्ट्र की पूरी सरकार और प्रशासन मेरे जैसे एक 36 साल के लड़के से लड़ाई शुरू कर दी है और जीत नहीं पाई है.’

इससे पहले, अक्टूबर में महाविकास अघाड़ी के एक अन्य घटक दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता नवाब मलिक की ओर से लगाए गए आरोपों के जवाब में कंबोज ने आनन-फानन एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी.

मलिक ने आरोप लगाया था कि कॉर्डेलिया ड्रग्स बस्ट मामले में पकड़े गए एक व्यक्ति को इसलिए छोड़ दिया गया, क्योंकि वह कंबोज का रिश्तेदार था. अक्टूबर में इसी मामले में अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान की गिरफ्तारी हुई थी.

पिछले दो सालों में कंबोज कारोबार से जुड़े विवादों में उलझे रहने की वजह से सक्रिय राजनीति से खुद को बाहर कर लिया था. लेकिन, पहले नवाब मलिक और अब राउत की ओर से लगाए गए गंभीर आरोपों की वजह से वह राजनीति के अखाड़े में दम-खम लगा रहे हैं.

कंबोज ने उकसाने वाला बयान दिया है और आरोपों का जवाब देने के लिए बॉलीवुड डायलॉग का इस्तेमाल किया है. उन्होंने मलिक और राउत को बॉलीवुड के लेखक सलीम-जावेद की जोड़ी बताया है. अपने बयान में दोनों से ड्रग टेस्ट रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की है. उन्होंने कहा, ‘वे जिस तरह से बात कर रहे हैं, कोई इस तरह से तभी बात कर सकता है, जब कोई इस तरह की चीजें खाने की वजह से होश में न हो.’

उन्होंने राउत पर ‘अभद्र भाषा’ इस्तेमाल करने और पैसे उधार लेने का भी आरोप लगाया. उन्होंने गुरुवार को एक ट्वीट में कहा, ‘संजय राउत मेरा पैसा वापस दे.’

शुक्रवार को कंबोज ने ट्विटर पर बीजेपी नेता आशीष शेलार के साथ एक फोटो साझा की. जिसमें दोनों मुट्ठी बांधकर हाथ उठाए दिख रहे है. इसका कैप्शन है, ‘आ देखें जरा किसमें कितना है दम.’

माना जाता है कि शेलार ने कारोबारी होने की वजह से कंबोज को पार्टी में शामिल किया था.


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कारोबारी से राजनेता बनने का सफर

कंबोज मूल रूप से वाराणसी से हैं. उन्होंने रत्न और ज्वैलरी कारोबार के गुर अपने कारोबारी पिता बनवारी लाल से सीखी. वह अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए मुंबई आए और बाद में केबीजे ज्वैलरी के नाम से 2005 में अपना कारोबार शुरू किया. कुछ सालों में वे रियल एस्टेट, फार्मिंग, हॉस्पिटैलिटी, एंटरटेनमेंट, शिक्षा सेक्टर वगैरह में भी कारोबार करने लगे.

कंबोज साल 2012 से 2019 तक भारतीय सर्राफा और ज्वेलरी एसोशिएसन के राष्टीय अध्यक्ष भी रहे.

वे साल 2013 में बीजेपी में शामिल हुए. वह बीजेपी की युवा इकाई भारतीय जनता युवा मोर्चा की मुंबई शाखा के अध्यक्ष भी रहे.

मुंबई के एक बीजेपी नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘साल 2013 में ऐसा लग रहा था कि मुंबई में बीजेपी तेजी से आगे बढ़ रही है और आशीष शेलार उस समय बीजेपी के मुंबई के अध्यक्ष थे. उन्होंने कंबोज को पार्टी में यह कहकर लाया था कि अगर वे राजनीति में आते हैं, तो पार्टी उन्हें पद देगी.

उन्होंने कहा, ‘ऐसे बहुत कम नेता हैं जो वरिष्ठ नेताओं के दिलों में जगह बना पाते हैं, लेकिन कंबोज ऐसा करने में जल्द ही कामयाब हो गए. उनमें योग्यता है, क्षमता है, और हिम्मत है. उन्होंने देवेंद्र फडनवीस के लिए बहुत काम किया है.

यह हमेशा से जगजाहिर था कि कंबोज के पास खूब पैसे हैं. बीजेपी के सूत्रों का कहना है कि कंबोज और उनके संपर्क के दूसरे लोग पार्टी के लिए फायदेमंद हैं.

उनकी संपत्ति का पता तब चला, जब साल 2014 में उन्होंने मुंबई के डिंडोशी विधानसभा से चुनाव में नामांकन के समय अपनी संपत्ति सार्वजनिक की. उन्होंने शपथ-पत्र में 353.53 करोड़ के मालिक होने की बात कही थी. वह चुनाव में शामिल उम्मीदवारों में सबसे ज़्यादा धनी थे. उनके पास रियल स्टेट के मालिक बीजेपी विधायक मंगल प्रभात लोढ़ा से भी ज़्यादा संपत्ति थी.


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फडनवीस के खास हैं कंबोज

मुंबई में साल 2019 में बीजेपी के चुनाव अभियानों में राष्ट्रवाद पर पूरा जोर था. साल 2016 में सेना के कैंप पर आतंकी हमला और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के हिस्से में सेना की ओर से की गई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद, कंबोज ने आधिकारिक रूप से अपना टाइटल बदलकर भारतीय कर लिया था. उन्होंने मुंबई में बिलबोर्ड और होर्डिंग लगाकर नाम बदलने की घोषणा की थी.

कंबोज ने अपने नाम बदलने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘मैंने जाति, समुदाय और क्षेत्र के नाम पर बहुत करीब से भेदभाव को देखा है. मैं पीएम के एक भारत, श्रेष्ठ भारत के नारे से प्रेरित हूं और एक जातिविहीन समाज बनाना चाहता हूं.’

एक अन्य बीजेपी नेता ने दिप्रिंट से कहा, ‘कंबोज मुंबई में देवेंद्र फडणवीस के चुनावी अभियान की योजना बनाने में सक्रिय रूप से शामिल थे. वह कहते थे कि अगर फडणवीस सीएम नहीं बन पाते हैं, तो वह राजनीति छोड़ देंगे. हम सभी जानते हैं कि बाद में क्या हुआ.

बीजेपी नेता ने कहा, ‘साल 2019 में फडणवीस के सत्ता से बाहर होने के बाद, कंबोज अपने कारोबार में उलझ गए और पार्टी में उनकी सक्रिय भागीदारी नहीं रही. अपने कारोबार की वजह से विवादों में रहने के बाद, वह बीजेपी कार्यकर्ता की तरह ही पार्टी से जुड़े रहने का फैसला किया.

साल 2019 में, बैंक ऑफ बड़ौदा ने अखबार में विज्ञापन देकर कंबोज को विलफुल डिफॉल्टर घोषित करने की कार्रवाई शुरू करने की बात कही थी. इस मामले में उन्होंने अव्यन ऑर्नामेंट्स नाम के फर्म से बैंक से उधार ली थी. बैंक ऑफ बड़ौदा सार्वजनिक क्षेत्र की बैंक है.

कंबोज ने इसके जवाब में कहा था कि वह इस कंपनी के न तो प्रमोटर हैं और न ही डायरेक्टर हैं और बतौर पर्सनल गारंटर के तौर पर 76 करोड़ की देनदारी बैंक को दे दिया है.

साल 2020 में, केन्द्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने कंबोज के खिलाफ अव्यन ओवरसीज की ओर से लोन लेने को लेकर मामला दर्ज किया. कंबोज इसके मैनेजिंग डायरेक्टर और गारंटर थे. कंबोज इस आरोपों से खुद को बरी करते हैं. वह कहते हैं कि साल 2018 में बैंक और उनके बीच वन-टाइम सेटलमेंट को लेकर सहमति बन गई थी.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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