नयी दिल्ली, 17 फरवरी (भाषा) नवीकरणीय ऊर्जा कंपनियों ने राष्ट्रीय हाइड्रोजन नीति का स्वागत किया है लेकिन राज्य के भीतर ग्राहक तक बिजली पहुंचाने से जुड़े शुल्क (व्हीलिंग चार्ज) को लेकर स्थिति साफ करने की मांग की है।
एसीएमई ग्रुप के संस्थापक और चेयरमैन मनोज के उपाध्याय ने कहा कि यह नीति देश में हरित हाइड्रोजन और अमोनिया क्षेत्र के लिये अनुकूल नियामकीय और परिवेश बनाने की दिशा में पहला ठोस कदम है।
हरित अमोनिया के निर्यात के लिये बंदरगाहों के पास बंकर स्थापित करने के प्रावधान का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘सरकार ने खुली पहुंच, ग्रिड बैंकिंग और हरित हाइड्रोजन और अमोनिया परियोजनाओं के लिये तेजी से मंजूरी को लेकर उद्योग की प्रमुख मांगों को पूरा किया है।’’
रिन्यू पावर के मुख्य वाणिज्यिक अधिकारी मयंक बंसल ने कहा कि नीति सही दिशा में उठाया गया अच्छा कदम है। देश का 2070 तक शुद्ध रूप से शून्य कार्बन उत्सर्जन वाली अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य है और यह उस महत्वपूर्ण लक्ष्य को गति प्रदान करेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘वर्तमान में, हरित हाइड्रोजन का उत्पादन महंगा पड़ता है। सरकार ने 25 साल की अवधि के लिए अंतरराज्यीय पारेषण शुल्क से छूट देने की घोषणा की है। इससे हरित हाइड्रोजन की लागत को कम करने में मदद मिलेगी।’’
हालांकि कंपनी ने कहा कि चूंकि नीति में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन विभिन्न स्थानों पर विभिन्न पक्षों को करने की अनुमति दी गयी है, ऐसे में एक की कीमत पर दूसरे को सब्सिडी (क्रॉस सब्सिडी) पर अधिभार और अतिरिक्त ‘क्रॉस सब्सिडी’ अधिभार पर चीजें साफ करने की जरूरत है।
बंसल ने कहा कि इसकी काफी जरूरत थी और अब राज्यों को इसका अनुसरण करना चाहिए तथा राज्य के भीतर पारेषण शुल्क और बिजली शुल्क में छूट का लाभ देना चाहिए। ‘‘इससे भारत को हरित हाइड्रोजन केंद्र बनाने में मदद मिलेगी।’’
केपीएमजी इंडिया में ऊर्जा मामलों के राष्ट्रीय प्रमुख (प्राकृतिक संसाधन और रसायन) अनीश डे ने कहा कि 2025 तक पारेषण शुल्क से छूट दोहरी तलवार की तरह है।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर काफी क्षमता आती है, तो नीति की सफलता होगी लेकिन अगर यह अन्य पारेषण नेटवर्क उपयोगकर्ताओं की लागत पर होता है, तो सही नहीं होगा। उच्च पारेषण शुल्क को लेकर पहले से आवाज उठायी जा रही हैं’’
भाषा
रमण अजय
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