मेलबर्न, 12 फरवरी (भाषा) विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को यहां कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया ने अधिक विश्वसनीय एवं लचीली आपूर्ति श्रृंखला तथा सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में व्यापक एवं समावेशी वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए एक साथ मिलकर काम करने का संकल्प लिया है।
ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मारिस पायने के साथ द्विपक्षीय बैठक और शुक्रवार को यहां क्वाड के विदेश मंत्रियों की अहम बैठक में भाग लेने के बाद जयंशकर ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उन्होंने पायने के साथ क्षेत्रीय, बहुपक्षीय और वैश्विक मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही दक्षिण एशिया, दक्षिण-पूर्व एशिया और सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में घटनाक्रम पर भी चर्चा की।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने कोविड की चुनौती से निपटने और अन्य मैत्रीपूर्ण देशों की, खासतौर से टीकों के मामलों में मदद करने के अपने अनुभव साझा किए। हम अधिक विश्वसनीय और लचीली आपूर्ति श्रृंखला बनाने तथा हिंद-प्रशांत में व्यापक, समावेशी वृद्धि सुनिश्चित के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’
जयशंकर ने कहा कि उदार लोकतंत्रों के तौर पर भारत और ऑस्ट्रेलिया सभी देशों की क्षेत्रीय अखंडता तथा संप्रभुता का सम्मान करते हुए नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था, अंतरराष्ट्रीय समुद्री क्षेत्र में नौवहन की स्वतंत्रता, संपर्क, वृद्धि और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक साथ मिलकर काम करते रहेंगे।
उनकी यह टिप्पणी स्पष्ट तौर पर चीन के संदर्भ में है जो क्षेत्र में आक्रामक व्यवहार कर रहा है।
मंत्रियों ने सुरक्षा सहयोग में प्रगति पर भी चर्चा की, जो दोनों देशों के बढ़ते रणनीतिक संबंधों को दिखाती है।
जयशंकर ने कहा, ‘‘मंत्री पायने और मैंने आतंकवाद तथा चरमपंथ पर चिंताएं भी साझा कीं। सीमा पार आतंकवाद को लेकर हमारी गंभीर चिंताएं हैं तथा बहुपक्षीय मंच पर आतंकवाद रोधी सहयोग गहरा करने का साझा प्रयास है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हमने बहुत सार्थक, उपयोगी और व्यापक चर्चा की, जो वास्तव में हमारे संबंधों में वास्तविक गहन परिवर्तन को दर्शाती है, जो कोविड के इस बहुत कठिन दौर में हुआ है।’’
यूक्रेन संकट के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा कि यूक्रेन की स्थिति के बारे में भारत की स्थिति को संयुक्त राष्ट्र में एक लंबे बयान में रखा गया है और इसका संक्षिप्त सारांश यह है कि ‘हम वास्तव में यह सोचते हैं कि कूटनीति के माध्यम से ही समाधान का रास्ता है।’
भारत 31 जनवरी को यूक्रेन सीमा पर स्थिति पर चर्चा करने के लिए एक बैठक से पहले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रक्रियात्मक मतदान से अनुपस्थित रहा था। इसने रेखांकित किया था कि रचनात्मक कूटनीति ‘समय की आवश्यकता’ है और अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के हित में सभी पक्षों द्वारा तनाव बढ़ाने वाला कोई भी कदम टाला जा सकता है।
जयशंकर ने उत्तर-पूर्वी हिंद महासागर क्षेत्र में और मैत्री छात्रवृत्ति पर भागीदारी बढ़ाने तथा सांस्कृतिक भागीदारी कार्यक्रमों के लिए ऑस्ट्रेलिया सरकार का आभार व्यक्त किया।
विदेश मंत्री ने एक बयान में कहा, ‘‘हमने हाल में 12वां विदेश मंत्री स्तरीय फ्रेमवर्क संवाद (एफएमएफडी) पूरा किया है और समान रूप से महत्वपूर्ण पहला विदेश मंत्री स्तरीय साइबर फ्रेमवर्क संवाद। साइबर फ्रेमवर्क संवाद हमारे प्रधानमंत्रियों के बीच जून में हुए वर्चअल शिखर सम्मेलन का प्रत्यक्ष नतीजा है, जब हमने व्यापक रणनीतिक भागीदारी के अपने संबंधों को असल में बढ़ाया था।’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘शिखर सम्मेलन के कई अन्य सीधे नतीजे रहे हैं, जिनमें पहला ‘टू प्लस टू’ मंत्री स्तरीय संवाद शामिल है जब मुझे आपका और मंत्री डटन का भारत में स्वागत करने का सौभाग्य मिला।’’
उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष पायने को भारत आने का न्योता भी दिया।
गौरतलब है कि जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले साल नयी दिल्ली में अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्षों पायने तथा डटन के साथ पहली ‘टू प्लस टू’ वार्ता की थी।
भाषा नेत्रपाल माधव
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