जयपुर, 12 फरवरी (भाषा) राजस्थान सौर ऊर्जा क्षमता विकसित करने के क्षेत्र में ऊंची छलांग लगाते हुए समूचे देश में पहले पायदान पर आ गया है। अतिरिक्त मुख्य ऊर्जा सचिव व राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के अध्यक्ष डॉ. सुबोध अग्रवाल ने शनिवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार के नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा 31 जनवरी 2022 तक के जारी आंकड़ों के अनुसार राजस्थान ने 10 गीगावाट से अधिक सौर ऊर्जा क्षमता विकसित कर इस क्षेत्र के दिग्गज कर्नाटक व गुजरात आदि राज्यों को काफी पीछे छोड़ दिया है।
उन्होंने बताया कि अब देश में कुल विकसित सौर ऊर्जा क्षमता में अकेले राजस्थान की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत से भी अधिक हो गई है।
अग्रवाल ने बताया कि दिसंबर 2019 में राजस्थान सौर ऊर्जा नीति और राजस्थान पवन व हाईब्रिड नीति जारी की गई थी, जिनके कारण राज्य में सौर ऊर्जा क्षेत्र का परिदृश्य बदल गया और तीन साल में साढ़े छह गीगावाट यानी 6,552 मेगावाट से अधिक अतिरिक्त सौर ऊर्जा क्षमता विकसित की जा चुकी है।
उन्होंने बताया कि आज देश में स्थापित कुल 49 गीगावाट क्षमता में अकेले राजस्थान ने 10.5 गीगावाट सौर ऊर्जा क्षमता विकसित कर ली है।
ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में राजस्थान की गौरवशाली उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए अक्षय ऊर्जा निगम के अधिकारियों, कर्मचारियों और इस क्षेत्र के निवेशकों को बधाई दी। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 2030 तक देश में 500 गीगावाट सोलर ऊर्जा क्षमता विकसित करने के लक्ष्य को हासिल करने में राजस्थान की प्रमुख भूमिक होगी।
उन्होंने बताया कि पिछले दिनों प्रदेश में सौर ऊर्जा क्षेत्र में सार्वजनिक व निजी क्षेत्र की कंपनियों के साथ बड़े समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
अधिकारी ने केंद्र सरकार के नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के हवाले से बताया कि देश में 49,346 मेगावाट सौर ऊर्जा क्षमता विकसित हो गई है। इसमें राजस्थान 10,506 मेगावाट सौर ऊर्जा क्षमता विकसित कर समूचे देश में शीर्ष पर आ गया है। उन्होंने बताया कि रिपोर्ट के अनुसार 7,534 मेगावाट क्षमता के साथ कर्नाटक दूसरे स्थान पर और 6,309 मेगावाट क्षमता के साथ गुजरात तीसरे स्थान पर है।
भाषा पृथ्वी राजकुमार पाण्डेय
पाण्डेय
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