नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस जयशंकर प्रसाद ने शनिवार को कहा कि उन्होंने भारत और चीन के बीच सीमा-विवाद को लेकर जारी गतिरोध के मामले को लेकर ऑस्ट्रेलिया और क्वाड के अन्य सदस्य देशों, अमेरिका और जापान से बातचीत की है.
उन्होंने कहा कि क्वाड के सदस्य देशों ने चीन की ओर से लिखित समझौते का पालन न करने पर चिंता जताई है. विदेश मंत्री जयशंकर प्रसाद ऑस्ट्रेलिया में हैं जहां शुक्रवार को क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की मुलाकात हुई. उन्होंने क्वाड और क्वाडेट्रल सिक्योरिटी डायलॉग को ‘सकारात्मक संदेश और सकारात्मक दिशा’ वाला बताया.
शनिवार को मैरिस पाईन के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा, ‘हां, हमने भारत-चीन के संबंधों के बारे में चर्चा की, क्योंकि हम अपने पड़ोस की गतिविधियों की जानकारी एक दूसरे को दिया. इस मुद्दे में कई देश दिलचस्पी ले रहे हैं, खास तौर पर हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के देश, क्योंकि 2020 में चीन की तरफ से हमारे बीच हुए लिखित समझौते को तोड़ने के बाद स्थिति खराब हुई है, जिसमें सीमा पर बड़ी संख्या में सेना न जमा करने की बात थी.’
जयशंकर प्रसाद का बयान, शुक्रवार को चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान के बाद आया है. चीन ने क्वाड को ‘नियंत्रण के लिए बनाया गया’ बताया है.
विदेश मंत्री ने कहा कि चीन की ओर से इस समूह की आलोचना करने से यह ‘कम विश्वनीय’ नहीं बनेगा.
जयशंकर ने कहा, ‘जब कोई बड़ा देश सीमा समझौते का पालन नहीं करता है, तो मेरी समझ से यह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंता का विषय बन जाता है.’
पाईन ने कहा कि क्वाड के विदेश मंत्रियों की ओर से जारी संयुक्त बयान में चीन को लेकर चिंता जाहिर की गई है.
बयान में कहा गया है, ‘हिन्द-प्रशांत इलाके में विकास और स्थिरता के लिए, समुद्री क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय कानून का पालन, शांति और सुरक्षा बनाए रखना ज़रूरी है.’
बयान में अंतर्राष्ट्रीय कानून, खासतौर पर यूएन कन्वेंशन ऑफ़ लॉ ऑफ़ सी(UNCLOS) के पालन करने की बात कही गई है, ताकि दक्षिण-पूर्व चीन सागर सहित समुद्री व्यापार से जुड़े कानूनों को लागू किया जा सके.
क्वाड के विदेश मंत्रियों की बैठक खत्म होने के तुरंत बाद चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने बयान जारी करके क्वाड समूह को ‘विवादों को भड़काने वाला और अंतर्राष्ट्रीय भाईचारे और सहयोग को खत्म करने वाला’ बताया.
उन्होंने कहा, ‘ऐसे देशों को शीत युद्ध की पिछड़ी सोच को छोड़कर सामूहिक विवाद और भू-राजनैतिक वैमनस्यता को बढ़ावा देने से बाज आना चाहिए. इसकी जगह पर उन्हें एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता बढ़ाने के लिए काम करना चाहिए.’
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भारत चीन की ओर से गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है: व्हाइट हाउस
व्हाइट हाउस ने शुक्रवार को हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के लिए अपनी नीति जारी की. इसमें चीन की कार्रवाई को उकसाने वाला बताते हुए कहा गया है कि ‘लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) को ले कर चीन के रवैये’ की वजह से ‘भारत गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है’.
मीडिया से बातचीत करते हुए व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हम अन्य लोकतांत्रिक देशों के साथ काम करने की असीम संभावनाएं देखते हैं, खासकर एक ऐसे देश के साथ जो पारंपरिक तौर पर दुनिया की साझी सम्पत्ति के महत्व को समझती रही है.’
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