नई दिल्ली: भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) को 31 जनवरी 2022 तक कोवैक्सीन की बिक्री पर भारत बायोटेक से 171.74 करोड़ रुपये की रॉयल्टी प्राप्त हुई है. सरकार ने मंगलवार को संसद को बताया.
आईसीएमआर ने भारत बायोटेक द्वारा बनाई गई स्वदेशी वैक्सीन के अनुसंधान और विकास पर 35 करोड़ रुपये खर्च किए, जिससे वैक्सीन पर 136 करोड़ रुपये का लाभ हुआ है. वित्त वर्ष 2022-23 के लिए स्वास्थ्य अनुसंधान के विकास के लिए कुल बजट, जिसमें से आईसीएमआर एक हिस्सा है, 3,200 करोड़ रुपये है.
राज्य सभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खडगे द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने कहा, ‘आईसीएमआर को कोवैक्सीन की बिक्री से भारत बायोटेक से 31 जनवरी 2022 तक 171.74 करोड़ रुपये की रॉयल्टी मिली है. आईसीएमआर ने कोवैक्सीन के अनुसंधान एवं विकास में लगभग 35 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. आईसीएमआर के साथ धन का उपयोग उभरती अनुसंधान प्राथमिकताओं और अनुसंधान क्षमता निर्माण सहित स्वास्थ्य अनुसंधान गतिविधियों के लिए किया जाता है.’
कोवैक्सीन को आईसीएमआर और भारत बायोटेक के बीच एक संयुक्त उद्यम के रूप में विकसित किया गया था. सार्स-कोव-2 वायरस (मूलरूप से वुहान स्ट्रेन) को जनवरी 2020 में पुणे में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी द्वारा अलग कर दिया गया था. इसे निर्माता के साथ साझा किया गया था और एक पूरी तरह से वायरस निष्क्रिय टीका विकसित किया गया था, जिसमें मानव जाति के लिए ज्ञात शुरुआती टीकों में से कुछ के लिए उपयोग की जाने वाली तकनीक का उपयोग किया गया था, जैसे कि पोलियो वैक्सीन.
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5 फीसदी रॉयल्टी का हकदार है आईसीएमआर
पिछले साल आईसीएमआर प्रमुख डॉ. बलराम भार्गव ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन पर संसद की स्थायी समिति को बताया था कि शीर्ष चिकित्सा अनुसंधान निकाय कोवैक्सीन के बिक्री मूल्य पर पांच प्रतिशत की रॉयल्टी का हकदार है. इसका मतलब है कि 31 जनवरी 2022 तक कोवैक्सीन की कुल बिक्री कीमत लगभग 3,263 करोड़ रुपये है.
निजी क्षेत्र में कोवैक्सीन की डोज़ लेने वालों के लिए इसकी कीमत 1,200 रुपये है – इसमें वे भी शामिल हैं जिन्हें वर्तमान में एहतियाती खुराक दी जा रही है. सरकारी क्षेत्र में वैक्सीन मुफ्त में दी जाती है.
जबकि स्वदेशी स्तर पर काफी वैक्सीन बनाई गई है लेकिन कोवैक्सीन के लिए उत्पादन की दर एक बड़ी सीमा रही हैं क्योंकि भारत में लोगों को दी जाने वाली कुल वैक्सीन का सिर्फ 14 प्रतिशत ही कोवैक्सीन दिया गया है.
भारत ने अब तक कोविड टीकों की 170 करोड़ से अधिक खुराकें दी हैं, जिनमें से काफी कम मात्रा में यानी 25 करोड़ से कुछ ही अधिक कोवैक्सीन की खुराकें हैं.
एडवॉन्स्ड बायोसेफ्टी
इसके निर्माण को बढ़ाने के लिए एडवॉन्स्ड बायो सेफ्टी की जरूरतें कई मुद्दों में से एक रही हैं, लेकिन सरकार में उम्मीद है कि इस साल संख्या बढ़ेगी.
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