नयी दिल्ली, आठ फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने अडानी पावर (मुंद्र) लिमिटेड और गुजरात ऊर्जा विकास निगम (जीयूवीएनएल) के बीच हुए समझौते पर मंगलवार को संज्ञान लिया और निजी कंपनी की ओर से बिजली खरीद समझौता (पीपीए) रद्द करने को बरकरार रखने के 2019 के शीर्ष अदालत के फैसले के खिलाफ राज्य के सार्वजनिक उपक्रम की क्यूरेटिव (उपचारात्मक) याचिका को बंद कर दिया।
प्रधान न्यायाधीश एन.वी.रमण की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को जीयूवीएनएल की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने बताया कि तीन जनवरी को राज्य के सार्वजनिक उपक्रम और अडानी पावर (मुद्रा) लिमिटेड के बीच समझौते पर सहमति बन गई है।
वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि समझौते के मद्देनजर क्यूरेटिव याचिका बंद की जा सकती है और उसके अनुरूप ही फैसले में बदलाव किया जा सकता है।
संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति यूयू ललित, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत शामिल हैं। पीठ ने कहा कि वह यह दर्ज करते हुए मामले को बंद कर देगी कि दोनों पक्ष समझौते के तहत कार्य करेंगे।
अडानी पावर के वकील ने भी वेणुगोपाल के अनुरोध का समर्थन किया और कहा कि समझौते के तहत कंपनी जीयूवीएनएल को दो हजार मेगावाट बिजली की आपूर्ति बहाल करेगी।
गौरतलब है कि 17 सितंबर 2021 को हुई अहम घटना में शीर्ष अदालत से कहा कि वह जीयूवीएनएल की ओर से दायर क्यूरेटिव याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई करेगी जिसमें उद्योग के आकलन के मुताबिक अड़ानी समूह को करीब 1100 करोड़ रुपये का हर्जाना दिया जाना था।
उच्चतम न्यायालय की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने जुलाई 2019 में फैसला दिया था कि अडानी पावर द्वारा वर्ष 2009 में जीयूवीएनएल को पीपीए को रद्द करने का नोटिस कानूनी रूप से वैध था।
भाषा धीरज अनूप
अनूप
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.