जयपुर, सात फरवरी (भाषा) अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख एवं दरगाह दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने सोमवार को कहा कि हिजाब मुस्लिम महिलाओं का संवैधानिक एवं धार्मिक अधिकार है इस पर किसी प्रकार से रोक लगाना महिलाओं के संवैधानिक अधिकार को बाधित करना होगा।
कर्नाटक के कॉलेज में हिजाब को लेकर चल रहे विवाद के संदर्भ में उन्होंने कहा कि हिजाब पहनना मुस्लिम महिलाओं का धार्मिक एवं संवैधनिक अधिकार है इसमें किसी प्रकार की रोक नहीं लगानी चाहिए क्योंकि सभी धर्मों के छात्रों को अपने अपने धर्मों के प्रतीक इस्तेमाल करने की पूरी स्वतंत्रता है तो कॉलेज परिसर में हिजाब पहनकर आने पर पाबंदी लगाना न सिर्फ संवैधनिक अधिकार को चुनौती देना है बल्कि देश में सांप्रदायिक माहौल तैयार करना है।
खान ने सोमवार को ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती के 810वें उर्स के मौके पर देश भर से आए हुए विभिन्न दरगाह के सज्जादानशीनों धर्म प्रमुखों सूफ़ियों की वार्षिक सभा में संबोधित करते हुए कहा कि भड़काऊ व विभाजनकारी भाषण देने वालों को बिना किसी अपवाद के कानून के अनुसार सजा का प्रावधान हो।
एक बयान में उन्होंने नफरत की राजनीति को भ्रष्टाचार के समान करार दिया और सभी राजनीतिक दलों व उनके नेताओं को नफरत फैलाने वह समाज के एक वर्ग को दूसरे वर्ग के खिलाफ खड़ा करने से बचने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि सभी तरह के नफरत भरे भाषणों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और दंड प्रक्रिया संहिता में संशोधन समेत विधायी कदम उठाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें यह समझना होगा की दुनिया में विकास और सफलता हथियार और आतंकवाद से नहीं बल्कि कड़ी मेहनत और समर्पण से हासिल होती है।’’
दीवान ने कहा कि इसलिये देश वासियों को किसी भी हिंसक गतिविधियों से परहेज करना है और दूसरे गुमराहों को भी नेक राह दिखाकर मुल्क की तरक्की में खिदमत करनी है।
भाषा कुंज बिहारी अर्पणा
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