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Wednesday, 25 December, 2024
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1961 में दिल्ली के रामलीला मैदान पहुंची थीं महारानी एलिजाबेथ, एम्स की इमारत का किया था उद्घाटन

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नयी दिल्ली, सात फरवरी (भाषा) प्लैटिनम जयंती मनाने वाली पहली ब्रिटिश साम्राज्ञी महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का जनवरी 1961 में दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में भव्य स्वागत किया गया था, जहां उन्होंने भारत की अपनी पहली शाही यात्रा के दौरान एक विशाल जनसभा को संबोधित किया था।

रविवार को 95 वर्षीय महारानी ने अपने शासन के 70 साल पूरे कर लिए। वह छह फरवरी 1952 को अपने पिता सम्राट जॉर्ज षष्टम के निधन के बाद ब्रिटिश सिंहासन पर काबिज हुई थीं। जॉर्ज षष्टम भारत के आखिरी सम्राट भी थे।

महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का राज्याभिषेक जून 1953 में हुआ था और उन्होंने 1961 में अपने पति प्रिंस फिलिप (ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग) के साथ भारत की पहली शाही यात्रा की थी। वह तब 1947 में औपनिवेशिक शासन से आजादी के बाद भारत की यात्रा करने वाली पहली ब्रिटिश साम्राज्ञी बनी थीं।

अभिलेखों के मुताबिक, जनवरी में शुरू हुए अपने शाही दौरे के दौरान महारानी 26 जनवरी को राजपथ पर भव्य गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल हुईं। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की मौजूदगी में भारी भीड़ के बीच ऐतिहासिक रामलीला मैदान के भव्य प्रांगण में उनका शानदार स्वागत हुआ था।

बड़ी संख्या में भारतीय और ब्रिटिश ध्वज से सजे रामलीला मैदान में जब दिल्ली के तत्कालीन महापौर शाम नाथ ने शाही जोड़े को फूलों का हार पहनाकर सम्मानित किया, तब दोनों देशों के झंडे लहराते हजारों दर्शक उनकी जयकार करते नजर आए थे।

अभिलेखीय फुटेज के अनुसार, कार्यक्रम में महारानी को 12वीं सदी में निर्मित कुतुब मीनार का कलात्मक मॉडल, जबकि ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग को चांदी का मोमबत्ती स्टैंड भेंट किया गया था।

1961 के अपने शाही दौरे के दौरान महारानी ने राजघाट पहुंचकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को पुष्पांजलि भी अर्पित की थी।

प्रिंस फिलिप के साथ उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की मौजूदगी में एक भव्य समारोह के दौरान अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के भवनों का औपचारिक उद्घाटन भी किया था। एम्स की स्थापना 1956 में हुई थी।

घटना की याद में तैयार एक पट्टिका आज भी जेएल नेहरू सभागार में खड़े एक स्तंभ पर मौजूद है और 2016 में इसकी हीरक जयंती पर परिसर में आयोजित एक प्रदर्शनी में प्रतिष्ठित संस्थान की उनकी यात्रा से जुड़ी कुछ दुर्लभ तस्वीरें प्रदर्शित की गई थीं।

एम्स परिसर के भव्य उद्घाटन के दौरान महारानी ने एक पौधा भी लगाया था, लेकिन समय बीतने के साथ इसे दीमक खा गई।

एम्स के तत्कालीन निदेशक डॉ एमसी मिश्रा ने 2016 में ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया था, ‘‘यह एक शानदार समारोह था और उद्घाटन के दिन उन्होंने एक पौधा लगाया था। दुर्भाग्य से, उस पौधे को दीमक ने नष्ट कर दिया, लेकिन हमने वहां नए पौधे लगाए हैं।’’

ब्रिटिश शाही परिवार ने अतीत में अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर देश के कई शहरों के दौरे से जुड़ी पुरानी तस्वीरों को साझा करते हुए महारानी की भारत यात्रा की यादों को ताजा किया है।

2017 में शाही परिवार ने ट्वीट किया था, ‘‘महारानी और शाही परिवार का भारत के साथ निजी जुड़ाव है तथा उन्होंने कई बार देश का दौरा किया है।’’ उसने आगे लिखा था, ‘‘महारानी की भारत की पहली राजकीय यात्रा भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की अतिथि के रूप में 1961 में हुई थी।’’

2019 में शाही परिवार ने 1961 के दौरे की दो तस्वीरें साझा करते हुए ट्वीट किया था, ‘‘महारानी ने भारत की तीन राजकीय यात्राएं की हैं, जिनमें से पहली 1961 में हुई थी और उस दौरान उन्होंने रामलीला मैदान में एक जनसभा को संबोधित किया था और ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग के साथ नई दिल्ली के भ्रमण पर गई थीं।’’

अपनी पहली शाही यात्रा के दौरान महारानी एलिजाबेथ और प्रिंस फिलिप ने आगरा में ताजमहल के अलावा मुंबई, बनारस, उदयपुर, जयपुर, बेंगलुरु, चेन्नई और कोलकाता का भी दौरा किया था। भारतीय उपमहाद्वीप की अपनी यात्रा के दौरान वह पाकिस्तान भी गई थीं।

महारानी एलिजाबेथ द्वितीय 1961 में अपने दादा सम्राट जॉर्ज पंचम और महारानी मैरी की 1911 की दिल्ली दरबार की ऐतिहासिक यात्रा के बाद भारत आने वाली पहली ब्रिटिश साम्राज्ञी बनी थीं। 1911 में भारत एक ब्रिटिश उपनिवेश था।

महारानी एलिजाबेथ द्वितीय और प्रिंस फिलिप ने भारत की तीन यात्राएं कीं, जो 1961, 1983 और 1997 में हुई, जब भारत अपनी आजादी की 50वीं वर्षगांठ मना रहा था।

महारानी एलिजाबेथ और प्रिंस फिलिप नवंबर 1947 में शादी के बंधन में बंधे थे। ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग, जो 1959 में भी भारत आए थे, का पिछले साल 99 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था।

भाषा पारुल मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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