नयी दिल्ली, सात फरवरी (भाषा) विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को अपने श्रीलंकाई समकक्ष जी.एल. पेइरिस के साथ सार्थक वार्ता की। इसमें श्रीलंका की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत करने, द्विपक्षीय व्यापार एवं निवेश बढ़ाने के लिए कदम उठाने और मछुआरों का विवादास्पद मुद्दा शामिल है।
श्रीलंका को भारत द्वारा 50 करोड़ डॉलर की ऋण सहायता दिये जाने के कुछ दिनों बाद यह वार्ता हुई है। पेइरिस तीन दिनों की आधिकारिक यात्रा पर रविवार को दिल्ली पहुंचे थे।
जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘‘श्रीलंका के विदेशमंत्री जी.एल. पेइरिस के साथ सार्थक वार्ता हुई। आर्थिक एवं निवेश पहलों पर चर्चा हुई जो इस वक्त श्रीलंका को मजबूती प्रदान करेगा। श्रीलंका की ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने के अतिरिक्त कदमों पर भी जोर दिया गया।’’
विदेश मंत्री ने मछुआरों के मुद्दे का जिक्र करते हुए कहा कि इस बात पर सहमति बनी है कि इसके लिए द्विपक्षीय तंत्र को शीघ्र बैठक करनी चाहिए और व्यापक संपर्क के जरिए दोनों देशों के लोगों के बीच संबंध के महत्व का जिक्र किया गया।
जयशंकर ने कहा, ‘‘मछुआरों के मुद्दे पर विचारों का आदान-प्रदान किया गया और सहमति बनी कि द्विपक्षीय तंत्र को शीघ्र बैठक करनी चाहिए। अर्थव्यवस्था को संकट से उबारने के लिए कहीं अधिक व्यापक पर्यटन के महत्व को स्वीकार किया गया। साथ ही, व्यापक संपर्क के जरिए दोनों देशों के लोगों के बीच संबंध के महत्व का भी जिक्र किया गया। ’’
मछुआरों का मुद्दा, दोनों देशों के बीच संबंधों में एक विवाददास्पद मुद्दा है। श्रीलंका ने 25 जनवरी को 56 भारतीय मछुआरों को रिहा कर दिया था।
अतीत में, श्रीलंकाई नौसेना कर्मियों द्वारा भारतीय मछुआरों के खिलाफ पाक जलडमरूमध्य में बल प्रयोग किये जाने की कई कथित घटनाएं हैं।
पिछले हफ्ते विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने राज्यसभा में कहा था कि दोनों पक्ष मछली पकड़ने के मुद्दे पर संयुक्त कार्यकारी समूह के पांचवें दौर की बैठक शीर्ष बुलाने को लेकर परामर्श कर रहे हैं।
जयशंकर ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘हम हमारी आजादी और राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ उपयुक्त तरीके से मनाएंगे। ’’
वार्ता से पहले जयशंकर ने एक अन्य ट्वीट में कहा था, ‘‘श्रीलंका के विदेश मंत्री जी. एल. पेइरिस का स्वागत कर बहुत खुश हूं, आज सुबह होने वाली हमारी वार्ता को लेकर उत्सुक हूं। ’’
भारत ने पेट्रोलियम उत्पाद खरीदने में मदद करने के लिए बुधवार को श्रीलंका को ऋण सहायता दी थी। श्रीलंका विदेशी मुद्रा की घोर कमी और ऊर्जा संकट से जूझ रहा है।
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सुभाष उमा
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