मुंबई, छह फरवरी (भाषा) सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर के निधन पर शोक जताते हुए प्रसिद्ध गीतकार गुलजार ने कहा कि वह एक चमत्कार हैं, जिन्हें शब्दों में नहीं बांधा जा सकता।
भारत रत्न लता मंगेशकर के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए तो जैसे गीतकार का शब्द भंडार खाली हो गया था।
गुलजार और लता दीदी ने पहली बार 1963 में आयी फिल्म ‘बंदिनी’ के गीत ‘मोरा गोरा रंग लेइले’ में पहली बार काम किया था और दोनों ने अंतिम बार 2021 ‘ठीक नहीं लगता’ में काम किया था। इस गीत को 26 साल पहले एक फिल्म के लिए रिकॉर्ड किया गया था, लेकिन वह कभी रिलीज नहीं हुई।
पीटीआई/भाषा के साथ साक्षात्कार में अनुभवी गीतकार ने कहा, ‘‘लताजी अपने-आप में करिशमा हैं और यह करिशमा हमेशा नहीं होता है और आज यह करिशमा मुक्कमल हो गया। वह चली गईं। वह चमत्कारिक गायिका थीं, जिनकी आवाज में चमत्कार था। उनके लिए विशेषण खोजना कठिन है। हम उनके बारे में चाहे कितनी भी बातें कर लें, वह कम होगा। उन्हें शब्दों में नहीं बांधा जा सकता।’’
गुलजार और लता ने ‘खामोशी’, ‘किनारा’, ‘लेकिन’, ‘रूदाली’, ‘मासूम’, ’लिबास’, ‘दिल से…’, ‘सत्या’, ‘हु तू तू’ और ‘माचिस’ सहित तमाम फिल्मों में साथ काम किया।
गुलजार निर्देशित फिल्म ‘किनारा’ का गीत ‘नाम गुम जाएगा’ आज मंगेशकर के ब्रह्मलीन होने को स्पष्ट रूप से व्यक्त कर रहा है। गुलजार ने कहा कि उनके बारे में बात करते हुए यह गीत बिल्कुल ‘उचित’ है।
उन्होंने याद किया, ‘‘हमने एक फिल्म के लिए गीत लिखा था। मुझे याद है, मैंने उनसे कहा था कि जब आप ऑटोग्राफ देंगी तो इसका इस्तेमाल (गीत की लाइनों का) कर सकती हैं। ‘मेरी आवाज ही मेरी पहचान है, अगर याद रहे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगा नहीं था कि ऐसा होगा (यह उनकी पहचान बन जाएगा), लेकिन यह उनकी पहचान बन गया और उनकी पहचान इसी से होने लगी।’’
गुलजार का कहना है कि जिस दिन यह गीत रिकॉर्ड हुआ था, उन्हें वह दिन और लता के साथ हुई बातचीत अच्छी तरह याद है।
गौरतलब है कि लता मंगेशकर का रविवार की सुबह ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया। 92 वर्षीय गायिका को कोविड से ग्रस्त होने के बाद आठ जनवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
भाषा अर्पणा दिलीप नरेश
नरेश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.