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Wednesday, 20 November, 2024
होमदेशओवैसी की कार पर फायरिंग के आरोप में गिरफ्तार शख्स की BJP नेताओं के साथ तस्वीरें, पार्टी का मेंबरशिप कार्ड भी

ओवैसी की कार पर फायरिंग के आरोप में गिरफ्तार शख्स की BJP नेताओं के साथ तस्वीरें, पार्टी का मेंबरशिप कार्ड भी

सचिन पंडित को एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के वाहन पर गुरुवार को कथित रूप से गोलियां चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया. उसने अपने फेसबुक पर मुस्लिमों को निशाना बनाने वाले पोस्ट के साथ-साथ बीजेपी के नेताओं के साथ तस्वीरें भी शेयर की थी.

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लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्यता संख्या दिखाने वाला एक कार्ड, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सांसद महेश शर्मा सहित भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ खिंचाई गई तस्वीरें, अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाने वाले वीडियो के लिंक और सीएए विरोधी बंदूकधारी शख्स का समर्थन करने वाले पोस्ट. ये सब सचिन पंडित के फेसबुक प्रोफाइल की मुख्य विशेषताएं हैं.

सचिन को एक और व्यक्ति शुभम कुमार के साथ गुरुवार शाम ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी के वाहन पर कथित रूप से गोलियां चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. उसकी गिरफ्तारी के कुछ घंटे बाद ही उसके फेसबुक पेज से कुछ तस्वीरें हटा दी गईं थीं. दिप्रिंट द्वारा देखी गई कुछ तस्वीरों में उसे हथियारों के साथ पोज देते हुए भी देखा जा सकता है.

उत्तर प्रदेश के सहायक पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था)- एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर)- प्रशांत कुमार ने शुक्रवार को जानकारी देते हुए कहा, ‘सांसद असदुद्दीन ओवैसी के प्रतिनिधि यामीन खान द्वारा दर्ज कराई गई एक शिकायत के आधार पर हापुड़ जिले के पिलुखवा थाने में आईपीसी की धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई है और इस सिलसिले में दो लोगों सचिन और शुभम को गिरफ्तार किया गया है. इन दोनों के पास से दो पिस्तौलें भी बरामद हुई हैं. इस घटना के दौरान इस्तेमाल की गई एक ऑल्टो कार भी बरामद की गई है. अब तक जो तथ्य सामने आए हैं, उनसे यह लगता है कि इस दोनों ने एआईएमआईएम सांसद के भड़काऊ भाषणों और 2013-14 के दौरान अयोध्या मंदिर मुद्दे पर उनके द्वारा व्यक्त किये गए गुस्से और उनकी टिप्पणियों से आहत होकर इस तरह की घटना को अंजाम दिया.’

सचिन को ग्रेटर नोएडा से गिरफ्तार किया गया, जबकि शुभम को सहारनपुर से हिरासत में लिया गया था.

ओवैसी पर हमले वाली इस घटना से कुछ दिन पहले ही सचिन ने अपने फेसबुक पेज पर एआईएमआईएम सांसद की इस टिप्पणी का एक वीडियो भी साझा किया था कि ‘लोगों को याद रखना चाहिए कि योगी लंबे समय तक सीएम नहीं रहेंगे और मोदी भी लंबे समय तक पीएम नहीं रहेंगे.’ अब हटाई जा चुकी इस पोस्ट का स्नैपशॉट एक ऑनलाइन समाचार पोर्टल ‘ट्राइसिटी टुडे‘ द्वारा साझा किया गया था. सचिन ने अपने एक पोस्ट में हिंदू-मुस्लिम एकता की बात करने वालों पर भी सवाल उठाए थे.

यूपी पुलिस ने कहा कि सचिन और शुभम को एआईएमआईएम नेता द्वारा एक ‘विशेष धर्म’ पर की गयी टिप्पणी ने उकसाया था.

इस बीच, सूत्रों का कहना है कि ज्यादा संभावना इस बात की है कि ये दोनों आरोपी सोशल मीडिया के जरिए एक-दूसरे से मिले हों. एक पुलिस सूत्र ने कहा, ‘इस घटना के पीछे काम करने वाला दिमाग सचिन का है जिसने शुभम को भी इस योजना में शामिल कर लिया था. वे संभवतः सोशल मीडिया के माध्यम से मिले थे.’

सूत्र ने कहा, ‘आरोपी ने गुरुवार को किये गए अपराध (हमले) से पहले कुछ पोस्ट भी साझा किए थे.’


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कौन है सचिन पंडित?

फेसबुक पर खुद को ‘देशभक्त सचिन हिंदू’ बताने वाले सचिन पंडित ग्रेटर नोएडा के दुरयाई गांव का रहने वाला है.

गाजियाबाद के एमएमएच कॉलेज में विधि (लॉ) का छात्र सचिन पंडित छात्र राजनीति में काफी सक्रिय रहा है और उसने स्थानीय भारतीय जनता युवा मोर्चा और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (एबीवीपी) के नेताओं के साथ अपनी कई तस्वीरें फेसबुक पर पोस्ट की हैं.

इससे पहले उसने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीरें और वीडियो भी पोस्ट किए थे और मुसलमानों को निशाना बनाने वाली विषय सामग्री (कंटेंट) भी साझा की थी.

एक अदालत द्वारा पिछले साल अगस्त में राम भक्त गोपाल, वह व्यक्ति जिसने साल 2020 में दिल्ली में सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं थी, को जमानत दिए जाने के कुछ दिनों बाद ही सचिन पंडित ने आरोपी के समर्थन में पोस्ट साझा किए थे.

7 जुलाई 2019 को साझा किए गए एक सोशल मीडिया पोस्ट में पंडित ने अपनी भाजपा सदस्यता कार्ड की एक तस्वीर साझा की थी और फिर उसने सार्वजनिक समारोहों और कॉलेज के कार्यक्रमों के दौरान पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ कई तस्वीरें भी डालीं थीं.

पार्टी नेताओं के साथ सचिन पंडित की तस्वीरों को लेकर दिप्रिंट ने यूपी भाजपा के प्रवक्ताओं और इसके राज्य मीडिया प्रभारी से संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन इस खबर के प्रकाशित होने तक उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं प्राप्त हुई थी.


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‘सच्चा राष्ट्रवादी’

सचिन के दोस्तों का कहना है कि वह एक ‘सच्चा राष्ट्रवादी’ है और ‘वे सोच भी नहीं सकते थे’ कि वह इतना बड़ा कदम उठा सकता है. उसके एक दोस्त नितिन ने कहा कि उसके गांववालों को इस घटना के बारे में तब तक कोई जानकारी नहीं थी जब तक मीडिया ने इसके बारे में खबर नहीं दी थी. वह आसपास के बच्चों को उनकी पढ़ाई के लिए पैसे भी देता था और उन्हें राष्ट्र सेवा के लिए प्रेरित करता रहता था. वह तो पूरे समय समाज सेवा में ही लगा रहता था. वह मेरा दोस्त है, इसलिए मुझे यह सुनकर दुख हुआ. लेकिन वह ऐसा नहीं था. मैं उसकी ऐसी किसी भी मंशा से एकदम से अनजान हूं. उसने पढ़ाई पूरी कर ली है और कॉलेज में छात्र नेता रहा था.’

उसके गांव के एक अन्य निवासी भोपाल सिंह ने कहा कि वे सोच भी नहीं सकते थे कि सचिन ऐसा कुछ करेगा. पता नहीं अचानक क्या हो गया… हम सब दुखी हैं. उन्होंने कहा, ‘वह 26 जनवरी और स्वतंत्रता दिवस पर बच्चों को इकट्ठा करके राष्ट्रीय झंडा फहराता था, लेकिन उसने उन्हें कभी गुमराह नहीं किया था. वह तो उन्हें पढ़ने के लिए ही कहता था.’

उन्होंने कहा, ‘हम एक ही गोत्र से हैं इसलिए मुझे बहुत दुख होता है कि उसने अपना जीवन खराब कर लिया है.’

जहां पुलिस का कहना है कि पंडित के पास किसी पार्टी में कोई बड़ा पद नहीं था, वहीं सूत्रों ने कहा कि उनकी गतिविधियां ‘अतिवाद’ की श्रेणी में आती हैं.

एक सूत्र ने कहा, ‘गौतम बुद्ध नगर पुलिस ने उसके परिवार वालों से पूछताछ की है और वरिष्ठ अधिकारियों ने भी हापुड़ पुलिस से समन्वय स्थापित करने के बाद आरोपी से सीधे बात की है. अब तक यह तो स्पष्ट है कि उसके पास कोई बड़ा पद नहीं था, लेकिन उसके विचार अतिवादी थे.’


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विपक्ष ने बीजेपी पर साधा निशाना

इस बीच विपक्षी दलों के नेताओं ने ओवैसी पर हुए इस हमले की निंदा करते हुए सत्तारूढ़ भाजपा पर हमला बोला है.

भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि लोगों को खुले तौर पर भीड़ को भड़काने वाले मुख्यमंत्री के समर्थकों से और क्या उम्मीद की जा सकती है. उन्होंने ट्वीट किया, ‘ओवैसी पर हुए हमले से राज्य के खराब शासन और प्रशासन का पता चलता है.’

कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए प्रचार करने नोएडा आए कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा कि राजनीति में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है. साथ ही उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को इस मामले में कार्रवाई करनी चाहिए.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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