कुछ महीने पहले, वीर दास का एक स्टैंडअप कॉमेडी शो काफी चर्चा में था. अमेरिका के वाशिंगटन डीसी में ‘टू इंडियाज’ नाम से हुए उनके शो ने इंटरनेट पर काफी हंगामा खड़ा किया था. अभी राहुल गांधी ने भी ठीक वैसा ही कुछ किया है, बस इस बार उनका मंच था संसद और उनके दर्शक थे संसद में बैठे राजनेता. उनके ‘टू इंडियाज’ यानी कि ‘दो भारत’ में अरबपति बनाम बेरोज़गार और दिल्ली के शहंशाह बनाम राज्य का गौरव शामिल था.
हालांकि, कांग्रेस नेता राहुल गांधी बहुत मुश्किल से ही राजनीतिक खबरों में नज़र आते हैं. लेकिन इस सप्ताह, वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से लेकर द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (डीएमके) पर दिए अपने बयानों को लेकर चर्चा में बने रहे. उनके भाषण के तीखे तेवर और मुद्दों से साफ़ पता चलता है कि उनकी बातों को भारत के बाहर अमेरिका, चीन और पाकिस्तान जैसे देशों में भी सुना गया है. इस वजह से राहुल गांधी इस सप्ताह दिप्रिंट की खबरों के सबसे अहम विषय बने रहे.
कभी कलावती के मुद्दे पर, तो कभी मोदी को गले लगाने की वजह से, सोशल मीडिया पर समय-समय पर राहुल गांधी के काफी मीम्स शेयर किए गए हैं. मगर राहुल गांधी ने इन मीम्स से लेकर ‘टू इंडियाज’ तक का सफ़र तय कर लिया है. उनके इस राजनीतिक सफ़र के दौरान उनकी कई नकारात्मक और कमज़ोर छवि भी बनाई गई. लेकिन, जिस तरह से लोगों का कांग्रेस से बाहर जाने का सिलसिला जारी है, जो कि मौजूदा चुनाव में भी दिख रहा है, वह बिल्कुल अलग कहानी पेश करती है. राजनीतिक सफलता हासिल करने के नज़रिए से एक लीडर के तौर पर खुद को साबित करने और अपने बयानों को पेश करने का उनका तरीका, उनकी अलग छवि दिखाती है.
नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले आठ सालों से राहुल गांधी की राजनीति को अप्रासंगिक कहते हुए उन पर हमला किया है, लेकिन बुधवार को दिया गया राहुल गांधी का भाषण एक अलग कहानी कह रहा था.
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राहुल गांधी के भाषण पर आईं कई प्रतिक्रियाएं
राहुल गांधी के इस भाषण का देश भर में काफी ज़ोरदार असर हुआ है और भाजपा नेतृत्व को इस पर जवाब देने के लिए मजबूर होना पड़ा. अगर सोशल मीडिया की बात की जाए, तो कांग्रेस नेता के भाषण को सिर्फ 5 घंटों में 1.6 मिलियन से ज़्यादा बार देखा गया. एक ट्विटर यूज़र ने अपने ट्वीट में इसकी जानकारी दी है.
1.6 M people watched Rahul Gandhi’s speech in 5 Hrs.
Rahul is the Hero 🙂 pic.twitter.com/4b7sazevnk
— Aaron Mathew (@AaronMathewINC) February 2, 2022
हालांकि, हर बार की तरह इस बार भी इंटरनेट पर लोगों की दो तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं. कुछ लोग राहुल गांधी के भाषण की काफी सराहना कर रहे हैं. इस पक्ष का मानना है कि राहुल गांधी पूरी ईमानदारी से संसद में अपनी बात रखते हैं और खुलकर अंबानी और अडानी जैसे लोगों का नाम लेते हैं. वहीं, दूसरा पक्ष राहुल गांधी के इस भाषण के खिलाफ है और इसे सिर्फ एक राजनीतिक षड्यंत्र मान रहा है. कई मामलों में राहुल गांधी एक मंझे हुए राजनेता के तौर पर अपनी बात रखने में सफल नहीं रहे हैं. मगर इस बार उन्होंने इस छवि को बदल दिया है. उन्होंने बड़े साफ़ तौर पर राष्ट्रवाद की पुरानी परिभाषा लोगों के सामने रखी है, जिस पर उनकी पार्टी विश्वास रखती है और जो बीजेपी के राष्ट्रवाद की परिभाषा से बिलकुल अलग है. उनके इस भाषण को बीजेपी के लिए नज़रअंदाज़ करना मुश्किल है.
Solid speech by @RahulGandhi in LS yesterday..Raised plight of Unorganised sector, Unemployment, students protests, need to respect India’s diversity, Farmers protests,
totalitarian attitude of govt. , the erosion of institutions of the state, Pegasus & National security..
??????— Swara Bhasker (@ReallySwara) February 2, 2022
Rahul Gandhi’s speech completely overshadowed the budget speech, single-handedly.
— Deeksha Nitin Raut (@DeekshaNRaut) February 3, 2022
Rahul Gandhi’s speech to parliament yesterday is eminently worth listening to. It defends the only idea of India that can work: respectful of states, sympathetic to the poor & deprived, one based on conversation & negotiation. If Delhi imposes itself on India, we will lose India.
— Ashutosh Varshney (@ProfVarshney) February 3, 2022
Yesterday, Rahul Gandhi taught BJP that its possible to deliver a speech without crying or using a teleprompter.
— Deeksha Nitin Raut (@DeekshaNRaut) February 3, 2022
इस वजह से, सरकार के मंत्रियों की एक फौज को बाहर आकर इस पर अपना बयान देना पड़ा. संसद में 25 मिनट तक चले इस भाषण का आगे चलकर होने वाले प्रभाव को भाजापा अच्छी तरह भांप चुकी है और इसकी चुनौतियां उन्हें साफ़ नज़र आ रही हैं.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मोदी सरकार की विदेश नीति के खिलाफ राहुल गांधी के आरोपों पर जवाब दिया है. उन्होंने ट्विटर पर इतिहास के पन्नों को खंगालते हुए राहुल गांधी पर सवाल दागा है. जयशंकर ने राहुल गांधी से पूछा है कि क्या कांग्रेस के शासन में चीन और पाकिस्तान एक-दूसरे से दूर थे.
Rahul Gandhi alleged in Lok Sabha that it is this Government which brought Pakistan and China together.Perhaps, some history lessons are in order:
-In 1963,Pakistan illegally handed over the Shaksgam valley to China.
-China built the Karakoram highway through PoK in the 1970s.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) February 2, 2022
इसके साथ ही, उन्होंने राहुल गांधी के उस बयान पर भी अपना जवाब दिया है जिसमें राहुल गांधी ने कहा था कि गणतंत्र दिवस के समारोह में सरकार किसी भी विदेशी मेहमान को आमंत्रित नहीं कर पाई. उन्होंने राहुल गांधी के इस बयान पर जवाब देते हुए कहा, ‘देश के लोगों को पता है कि उस समय हमारा देश कोविड की तीसरी लहर के चपेट में था. हमारे प्रधानमंत्री मोदी ने उन पांच मध्य एशियाई देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ वर्चुअल शिखर बैठक की जिन्हें गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होना था.’
राहुल गांधी ने मोदी सरकार को उनकी विदेश नीति पर घेरते हुए कहा था, ‘भारत की विदेश नीति का एकमात्र सबसे बड़ा रणनीतिक लक्ष्य पाकिस्तान और चीन को अलग रखना है और आप उन्हें करीब ले आए हैं.’
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने राहुल गांधी से न्यायपालिका और चुनाव आयोग पर उनकी टिप्पणी के लिए तत्काल माफी की मांग की है. उन्होंने राहुल गांधी को ‘चुनाव आयोग और राज्यों के संघ की आवाज़ नष्ट करने का साधन कहा है.’
रिजिजू ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘पहले वे खुद को देश का युवराज मानते थे और अब उन्हें लगता है कि वे भारत के ‘राजा’ हैं.’
राहुल के भाषण पर उनके पुराने पार्टी सहयोगियों ने भी प्रतिक्रियाएं दी हैं. असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा, ‘कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की मानसिकता के बारे में देश की जनता बहुत अच्छे से जानती है.’ भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भी राहुल पर निशाना साधते हुए उन पर भारत को ‘एक राष्ट्र के रूप में’ नहीं बल्कि ‘राज्यों के संघ’ के रूप में देखने का आरोप लगाया है. राहुल गांधी ने कहा था कि भाजपा भारत को अपना ‘राज्य’ नहीं मान सकती, क्योंकि भारत राज्यों का एक संघ है.
बीजेपी के राष्ट्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रभारी अमित मालवीय ने कहा कि राहुल गांधी को संविधान को फिर से पढ़ना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘राहुल गांधी का यह दावा कि भारत एक राष्ट्र नहीं है, बल्कि राज्यों का एक संघ है, गंभीर रूप से चिंताजनक और खतरनाक बयान है.’
इन बयानों को देखकर ऐसा लगा रहा है कि भाजपा ने राहुल गांधी के भाषण पर पूरा मंथन किया है, उसकी पड़ताल की है और फिर पार्टी के अलग-अलग विभागों से जवाब सामने आ रहे हैं. इस बार, भाजपा की तरफ आ रही प्रतिक्रियाएं जल्दबाज़ी में दिया गया कोई बयान नहीं लग रहा है.
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने संसद में तमिलों की लंबे समय से चली आ रही दलीलों को आवाज़ देने के लिए ट्विटर पर राहुल को धन्यवाद दिया है.
राहुल गांधी ने अपने भाषण में कहा था, ‘एक राजनीतिक सोच यह है कि भारत पर केंद्र की छड़ी के सहारे शासन किया जा सकता है. मगर अब बहुत समय हो गया है और यह छड़ी टूट गई है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘आप अपने पूरे जीवन तमिलनाडु के लोगों पर शासन नहीं कर सकते. यह एक साझेदारी है न कि एक साम्राज्य. आपको लगता है कि आप उन्हें दबा सकते हैं, तो हम राजा के इस विचार को तोड़ देते हैं. अब इस राजा की सोच पर कोई विश्वास नहीं करता.’
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पहले भी सरकार पर खुलकर किया है हमला
राहुल गांधी के मामले में यह पहला किस्सा नहीं रहा है. इससे पहले भी उन्होंने कई बार संसद में भाजपा को घेरते हुए भाषण दिए हैं और फिर कुछ दिनों के लिए छुट्टी पर गायब हो गए.
Rahul Gandhi speaks sense. Then goes for holiday. https://t.co/uUAXPyI45z
— No if, no but, only Jatt چوہدری جٹ ?? He/His/Him (@LeChaudhrySahab) February 2, 2022
इस बार राहुल गांधी के भाषण का विषय बहुत सोच समझकर चुना गया था और उनके भाषण में बेरोज़गारी सबसे बड़ा मुद्दा रहा. नौकरियों की राजनीति, सांप्रदायिक राजनीति का मुकाबला कर सकती है या नहीं, यह तो समय ही बताएगा. पिछले कुछ सालों से, राहुल गांधी ने सरकार पर खुलकर हमला करना शुरू कर दिया है. संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान, कांग्रेस नेता ने सरकार से मांग की थी कि कोविड -19 की वजह से हुई मौतों के सही आंकड़े पेश किए जाए और इस वायरस की वजह से जिन लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी उनके घर वालों को चार लाख का मुआवजा दिया जाए.
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