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Monday, 25 November, 2024
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कम उम्र के लोगों में बढ़ रहा कैंसर का खतरा, जेनेरिक दवाओं के जरिए हो सकता है सस्ते में इलाज

भारत में अब तुलनात्मक रूप से कम उम्र के लोगों में कैंसर का खतरा बढ़ रहा है. जागरुकता की कमी और इलाज महंगा होने के कारण इसका खतरा और ज्यादा बढ़ जाता है.

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नई दिल्लीः भारत में दिन-ब-दिन कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. हालांकि, नई नई तकनीकें और इलाज भी बढ़े हैं लेकिन भारत में कैंसर को लेकर जागरुकता, कम जानकारी और महंगा इलाज एक बड़ी समस्या है जिसकी वजह से इस बीमारी का समय से इलाज नहीं हो पाता और यह ज्यादा भयावह रूप ले लेती है. वैसे तो आमतौर पर कैंसर के कारणों का पता नहीं है. लेकिन, कैंसर का मूल कारण जेनेटिक और खराब लाइफ स्टाइल से जुड़ा है.

क्या है जेनेटिक का अर्थ

जेनेटिक होने का अर्थ है कि जीन्स या डीएनए के स्तर पर गड़बड़ी का होना. एशियन हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट और बोन मैरो ट्रांसप्लांट हेड डॉक्टर प्रशांत मेहता ने दिप्रिंट को बताया कि जब व्यक्ति के जेनेटिक मटीरियल में गड़बड़ी हो जाती है और उसकी वजह से शरीर की पुरानी कोशिकाएं मरती नहीं बल्कि ज्यादा से ज्यादा बढ़ने लगती हैं. क्योंकि डीएनए कोशिकाओं को लगातार बढ़ने के संकेत भेजने लगता है. यही बढ़ती कोशिकाएं जब शरीर के किसी अंग में इकट्ठा होकर ट्यूमर बनाती है तो वहीं कैंसर का रूप ले लेता है. हालांकि, उनका कहना है खराब लाइफ स्टाइल और खान-पान का सही न होना कैंसर के खतरे को और भी ज्यादा बढ़ा देता है.

सबसे ज्यादा हो रहा फेफड़े का कैंसर

भारत में सबसे ज्यादा मामले फेफड़े के कैंसर के देखने को मिल रहे हैं. हालांकि, महिलाओं की बात करें तो उनमें ब्रेस्ट कैंसर के सबसे ज्यादा मामले देखने को मिलते हैं. राजीव गांधी कैंसर हॉस्पिटल में मेडिकल ऑन्कॉल्जिस्ट डॉ उल्लास बत्रा का कहना है भारत में ब्रेस्ट कैंसर के सालाना करीब सवा लाख मामले आ जाते हैं. इसके अलावा उनका कहना है कि महिलाओं में सर्विक्स कैंसर यानी बच्चेदानी के मुंह का कैंसर भी काफी संख्या में होता है, खासकर ग्रामीण इलाकों में. क्योंकि, गांवों में अक्सर महिलाएं सैनिटरी पैड वगैरह का ठीक से यूज़ नहीं कर पातीं जिसकी वजह से सर्विक्स कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. साथ ही एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) या एसटीडी से ग्रस्त व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से भी सर्विक्स कैंसर होने के काफी चांसेज बढ़ जाते हैं. उन्होंने कहा कि गांवों में मुंह के कैंसर पुरुषों में ज्यादा देखने को मिल रहे हैं क्योंकि तंबाकू इत्यादि का सेवन वहां ज्यादा किया जाता है.

कम उम्र के लोगों में बढ़ रहा खतरा

खराब रहन-सहन, सिगरेट व अल्कोहल इत्यादि के सेवन की वजह से न सिर्फ कैंसर के मामले बढ़े हैं, बल्कि पहले की तुलना में अब कम उम्र के लोगों को कैंसर हो रहा है. डॉ. प्रशांत का कहना है कि पहले 60-65 साल के उम्र के लोगों में कैंसर के मामले ज्यादा देखने में आते थे लेकिन अब 40 से 50 साल के उम्र के लोगों में कैंसर के ज्यादा मामले देखने में आ रहे हैं. वहीं डॉ. उल्लास का कहना है कि पहले की तुलना में शहरों में कैंसर बढ़ रहा है क्योंकि लोगों में नशे की आदतें बढ़ रही हैं.


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पैरेंट्स से बच्चे को हो सकता है ट्रांसफर

डॉ. प्रशांत मेहता का कहना है कि माता-पिता से बच्चों में कैंसर ट्रांसफर होने का 10 से 15 फीसदी चांस होता है. उनका कहना है कि इस बात की संभावना होती है माता-पिता से बच्चे में कैंसर पैदा करने वाला डीएनए का पैटर्न ट्रांसफर हो जाए. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अगर लाइफ स्टाइल को सही रखी जाए तो इसको लेकर डरने की जरूरत नहीं है. क्योंकि, सही रहन-सहन कैंसर के खतरे को काफी कम कर देता है.

क्या विटामिन-डी कमी से होता कैंसर

कई लोगों का मानना है कि विटामिन डी की कमी से कैंसर होता है. हालांकि, डॉक्टर्स का कहना है कि ऐसा कोई भी स्थापित तथ्य नहीं है कि विटामिन-डी की कमी से कैंसर होता है. लेकिन उनका मानना है कि अक्सर देखा गया है कैंसर के मरीजों में विटामिन-डी की कमी हो जाती है. डॉक्टर्स का मानना है कि विटामिन डी के लिए दवाओं के बजाए सूर्य की रोशनी का सेवन करना बेहतर होता है.

भारत मे बढ़ी है जागरुकता

डॉ. उल्लास का कहना है कि पहले की तुलना में लोगों में अब कैंसर को लेकर जागरुकता बढ़ी है और इस वजह से डायग्नोसिस भी ज्यादा हो रहे हैं. उनका कहना है कि लोग अब शुरुआती स्टेज में ही जांच करवा लेते हैं और लगातार नई नई तकनीकों और दवाओं के बढ़ने की वजह से अब ज्यादा से ज्यादा लोग ठीक भी हो रहे हैं.


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कैसे खुद से जानें लक्षण

डॉ. प्रशांत मेहता का कहना है कि अगर किसी को शरीर में कोई गांठ या ट्यूमर नज़र आता है, खासकर अगर इसमें सेंसेशन नहीं होता है तो यह कैंसर की गांठ हो सकती है. इसके अलावा लगातार एक हफ्ते तक खांसी आती है, बुखार आता है, उल्टी इत्यादि महसूस होती है तो भी कैंसर होने के चांसेज होते हैं. ऐसी स्थिति में व्यक्ति को तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए क्योंकि अगर कैंसर का शुरुआती स्टेज में पता लग जाए तो उसे ठीक करना काफी आसान होता है.

फलों और सब्जियों का सेवन ज्यादा करें

डॉक्टर्स का मानना है कि खान-पान को दुरुस्त करके व लाइफ स्टाइल को बेहतर बनाकर कैंसर के खतरे को 70 फीसदी तक कम किया जा सकता है. डॉ प्रशांत का कहना है कि भोजन में 50 से 60 फीसदी मात्रा फलों और सब्जियों की रखनी चाहिए. इसके अलावा रोजाना एक्सरसाइज करने से कैंसर का खतरा काफी कम हो जाता है.

रोबोटिक सर्जरी के जरिए होता है इलाज

डॉक्टर्स का मानना है कि रोबोटिक सर्जरी एक अत्याधुनिक तकनीक है जिसके जरिए कैंसर के मरीजों की उन स्थानों की सर्जरी की जा सकती है जहां पर डॉक्टर्स के लिए ऐक्सेस आसान नहीं होता. डॉक्टर प्रशांत मेहता का कहना है कि गले के पीछे या प्रोस्टेट कैंसर के इलाज में यह काफी कारगर है. हालांकि, उनका यह भी कहना है कि रोबोटिक सर्जरी, डॉक्टर्स की भूमिका को पूरी तरह से प्रतिस्थापित नहीं कर सकती है.

सस्ते में भी हो सकता है इलाज

कैंसर के मरीजों के सामने एक सबसे बड़ी समस्या खड़ी होती है इलाज के खर्च की. कैंसर का इलाज काफी महंगा है. डॉ. उल्लास बत्रा का कहना है कि इसके लिए भारत में जेनेरिक दवाओं को बढ़ावा दिया जाना चाहिए. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि भारत में विदेशों की तुलना मे इलाज अभी भी सस्ता है इसलिए काफी दूसरे देशों से भी लोग यहां इलाज कराने के लिए आते हैं. वहीं डॉ. प्रशांत का कहना है कि लोग कोशिश कर सकते हैं कि वे सरकारी अस्पतालों में इलाज कराएं जहां सरकार सस्ते में सारी सुविधाएं उपलब्ध कराती है.


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