(इयान टेलर, लोबॉरो यूनिवर्सिटी)
लोबॉरो (ब्रिटेन), दो फरवरी (द कन्वरसेशन) अगर इस साल अधिक व्यायाम करने का आपका संकल्प कमजोर पड़ रहा है तो आप अकेले नहीं हैं। ऐसा संकेत मिलता है कि करीब 80 प्रतिशत लोग फरवरी तक नए साल पर लिए अपने संकल्पों को तोड़ देंगे।
लेकिन आपकी प्रेरणा के कमजोर पड़ने की वजह यह हो सकती है कि आपने गलत उद्देश्यों और लक्ष्यों के साथ इसकी शुरुआत की हो। अनुसंधान हमें दिखाता है कि सही तरह के लक्ष्य का चुनाव करना लंबे समय तक हमें प्रेरित रखने के लिए अहम है।
प्रयास कम करें:
हम में से कई लोगों का मानना है कि हमें स्वस्थ जीवन जीने के लिए अधिक पसीना बहाने की आवश्यकता है। इसलिए जनवरी की शुरुआत में हम अपने लक्ष्यों तक पहुंचने में मदद करने के प्रयासों का बोझ उठा लेते हैं।
दुर्भाग्यपूर्ण रूप से हमारा मस्तिष्क हमें शारीरिक प्रयास से बचने के लिए प्रेरित करता है। यही वजह है कि व्यायाम करते वक्त हम जो अत्यधिक प्रयास करते हैं वह लंबे समय में हमारे खिलाफ काम करेगा जिससे हम जनवरी के अंत तक आते-आते व्यायाम करने के लिए कम प्रेरणा महसूस करते हैं। हमारा मस्तिष्क आराम की स्थिति में किसी भी बदलाव के लिए हमारे शरीर पर लगातार नजर रख रहा है जिसका मतलब है कि हमारे स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है।
इसलिए प्रयास कम करने के लिए हमें ऐसे व्यायाम करने की आवश्यकता है जो लंबे समय तक हमारे संकल्पों पर टिके रहने के लिए बेहतर तरीके से हमारी मदद कर सके। उदाहरण के लिए अगर आप 15 मिनट की जॉगिंग से भी डर रहे हैं तो आप इसके बजाय पांच मिनट करें। या अगर आपको दौड़ने के बजाय जुम्बा करने में आनंद आता है तो यही करिए।
जब नए साल में नया व्यायाम शुरू करने की बात आती है तो अपनी दिनचर्या में व्यायाम के लिए वक्त निकालना और एक घंटे पहले सोकर उठने के लिए मनोवैज्ञानिक प्रयास की आवश्यकता होती है।
अनुसंधान से भी पता चलता है कि जब हम सोचते हैं कि हमारे लक्ष्यों को हासिल करने के लिए कम प्रयास की आवश्यकता होती है तो उन्हें हासिल करने की संभावना अधिक होती है।
छोटी अवधि के लक्ष्यों को चुनें :
हमारे में से कई लोगों ने जनवरी में जो अन्य मूल प्रेरक गलती की, वह थी भविष्य में बहुत लंबे समय बाद लक्ष्यों को हासिल करना। कई लोग कुछ पाउंड वजन कम करने के उद्देश्य से व्यायाम करना शुरू कर देते हैं ताकि उनकी पसंदीदा जीन्स फिर से फिट हो सके। लेकिन जब भविष्य में नतीजा बहुत दूर होता है तो हमारा मस्तिष्क व्यायाम के साथ इस प्रेरणा से जुड़ नहीं पाता इसलिए हमारे अंदर व्यायाम करने की दिलचस्पी कम हो जाती है।
निकट भविष्य में नतीजे देने वाले लक्ष्य का चुनाव करके हमारा मस्तिष्क सकारात्मक रूप से नतीजा देगा। कम शब्दों में कहे तो ऐसे लक्ष्य तय कीजिए जिसे आप तुरंत हासिल कर सकें और इसके दीर्घकालीन फायदे आने लगेंगे।
जो ‘है’ उसके बजाय भविष्य में ‘होने’ वाले पर ध्यान लगाएं:
अंतिम प्रेरक बात है कि आपके पास जो लक्ष्य है उसमें बदलाव किया जाए। तथाकथित ‘है’ लक्ष्य हमारे प्रेरक मस्तिष्क के लिए कम फायदेमंद साबित होता है। हमारा मस्तिष्क इस तरह के लक्ष्य को कम महत्वपूर्ण मानता है क्योंकि यह हमें उन आवश्यक लक्ष्यों को पूरा करने में मदद नहीं करता जो हमें आगे बढ़ने के लिए मदद करते हैं।
द कन्वरसेशन गोला शोभना
शोभना
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