नई दिल्ली: बजट 2022-23 में किसी बड़ी टैक्स राहत का इंतजार करते रहे मध्यम वर्ग को मायूसी ही हाथ लगी है क्योंकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आयकर स्लैब में किसी भी तरह के बदलाव की घोषणा नहीं की है.
सीतारमण ने मंगलवार को चौथा आम बजट पेश किया और इस दौरान उन्होंने करीब डेढ़ घंटे से अधिक समय तक अपना भाषण पढ़ा.
काफी समय से उम्मीद की जा रही थी कि सीतारमण आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत मिलने वाली टैक्स छूट की सीमा बढ़ाने का ऐलान करेंगी. इसके तहत भविष्य निधि, एलआईसी प्रीमियम, इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम, होम लोन की मूल राशि के भुगतान जैसे निवेश पर लोगों को आयकर में छूट मिलती है.
सेक्शन 80सी के तहत आयकर दाताओं को हर साल कुल आय में अधिकतम 1.5 लाख रुपये के निवेश पर टैक्स छूट मिलती है.
पिछले कुछ सालों से आयकर छूट की सीमा नहीं बढ़ाई गई है. सरकार ने 1 अप्रैल, 2020 से एक नई वैकल्पिक कर दर व्यवस्था की घोषणा की थी जिसके तहत उन लोगों के लिए टैक्स की दर कम रखी गई जो कुछ चुनींदा बचत और व्यय पर मिलने वाली छूट का लाभ नहीं लेते.
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थोड़ी राहत
हालांकि, करदाताओं को अपने रिटर्न में किसी गलती को सुधारने का मौका देने के संदर्भ में सीतारमण की तरफ से की गई घोषणा को ही थोड़ी राहत माना जा सकता है जिसके तहत संबंधित मूल्यांकन वर्ष के दो साल बाद तक अपडेटेड रिटर्न फाइल किया जा सकेगा.
उन्होंने कहा, ‘आयकर विभाग ने करदाताओं के लेनदेन की जानकारी के संबंध में एक मजबूत ढांचा स्थापित किया है. इस संदर्भ में, यदि किसी करदाता को लगता है कि उसने कर भुगतान के लिए अपनी आय का सही अनुमान लगाने में कोई चूक या गलती की है तो ऐसी त्रुटियों को सुधारने का मौका देने के लिए मैं करदाताओं को अतिरिक्त कर के भुगतान पर एक अपडेटेड रिटर्न दाखिल करने की अनुमति देने वाले एक नए प्रावधान का प्रस्ताव कर रही हूं. यह अपडेटेड रिटर्न संबंधित मूल्यांकन वर्ष के अंत से दो साल के भीतर दायर किया जा सकता है.’
राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए सरकार की तरफ से प्रावधान किया गया है कि केंद्रीय और राज्य सरकार के कर्मचारियों के साथ एक जैसा व्यवहार किया जाएगा और राष्ट्रीय पेंशन योजना खाते में नियोक्ता के योगदान पर टैक्स कटौती की सीमा को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत किया जाएगा.
सीतारमण ने कहा, ‘यह कदम उनके सामाजिक सुरक्षा लाभों को बढ़ाएगा.’
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