नयी दिल्ली, 31 जनवर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि हिन्दू उत्तराधिकार कानून, 1956 की धारा 15 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई तीन-सदस्यीय पीठ करेगी।
इस धारा को इस आधार पर चुनौती दी गयी है कि बिना वसीयत मरने वाले पुरुष और महिला की सम्पत्तियों के हस्तांतरण के मामले में भेदभाव है। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 15 हिन्दू महिलाओं के मामले में उत्तराधिकार का सामान्य नियम प्रदान करती है।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने इस मामले में पेश हो रहे वकीलों से कहा कि चूंकि इस याचिका में एक प्रावधान की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गयी है इसलिए इसकी लंबी सुनवाई की आवश्यकता है और यह उचित होगा कि मामले की सुनवाई तीन-सदस्यीय पीठ करे।
पीठ ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह गैर-मिश्रित (नन-मिशलेनियस) दिवस को तीन-सदस्यीय पीठ के समक्ष याचिका सूचीबद्ध करे।
भाषा सुरेश रंजन
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