नयी दिल्ली, 31 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति यू यू ललित ने 2013 के यौन उत्पीड़न मामले में पत्रकार तरुण तेजपाल की याचिका पर सुनवाई से सोमवार को खुद को अलग कर लिया। इस याचिका में तेजपाल ने मामले में उन्हें बरी किये जाने को चुनौती देने संबंधी अपील की सुनवाई बंद कमरे में कराने का अनुरोध किया है।
बंबई उच्च न्यायालय ने उनका यह अनुरोध अस्वीकार कर दिया था।
न्यायमूर्ति ललित पीठ की अध्यक्षता कर रहे थे और पीठ में न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा भी शामिल थे। न्यायमूर्ति ललित ने खुद को इस मामले से अलग कर लिया क्योंकि उन्होंने पहले उच्चतम न्यायालय के समक्ष तेजपाल का प्रतिनिधित्व किया था।
मामले को अब प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण को एक ऐसी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने के लिए भेजा गया है जिसमें न्यायमूर्ति ललित और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव इसका हिस्सा नहीं होंगे।
इससे पहले, 21 जनवरी को न्यायमूर्ति राव ने इस मामले से अलग कर लिया था और कहा था, ‘‘मैं इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर रहा हूं क्योंकि 2016 में मैं एक समय इस मामले में गोवा सरकार की ओर से पेश हो चुका हूं। इसको अगले सप्ताह किसी अन्य अदालत के समक्ष सूचीबद्ध किया जाना चाहिये।’’
न्यायमूर्ति ललित ने भी खुद को अलग कर लिया है और अब मामले की सुनवाई तीसरी पीठ करेगी।
तेजपाल ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 327 के तहत इस मामले की बंद कमरे में सुनवाई कराने का अनुरोध किया है। तेजपाल के इस अनुरोध को पिछले साल 24 नवंबर को बंबई उच्च न्यायालय की गोवा पीठ ने अस्वीकार कर दिया था। इसके बाद तेजपाल ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल की थी।
तहलका पत्रिका के पूर्व प्रधान संपादक तेजपाल पर नवंबर 2013 में गोवा में एक पंच-सितारा होटल की लिफ्ट में अपनी एक महिला सहयोगी के यौन उत्पीड़न करने का आरोप था। मई 2021 में एक सत्र अदालत ने उन्हें बरी कर दिया था। राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय की गोवा पीठ में इस फैसले को चुनौती दी थी।
तेजपाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने बंद कमरे में सुनवाई के उनके आवेदन के समर्थन में विधि आयोग और उच्च न्यायालयों के विभिन्न फैसलों का हवाला दिया था। लेकिन उच्च न्यायालय ने उन दलीलों को अस्वीकार कर दिया था।
गोवा सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया था कि जिला अदालत का फैसला (तेजपाल को बरी करने का) सार्वजनिक और लोगों के सामने है।
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देवेंद्र अनूप
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