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Thursday, 19 September, 2024
होमदेशसामाजिक सुरक्षा योजनाओं पर आवंटन बढ़ाने की जरूरत : सचिन चतुर्वेदी

सामाजिक सुरक्षा योजनाओं पर आवंटन बढ़ाने की जरूरत : सचिन चतुर्वेदी

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नयी दिल्ली, 30 जनवरी (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मंगलवार यानी एक फरवरी को 2022-23 का आम बजट पेश करेंगी। कोरोना महामारी संकट के बीच पेश किए जाने वाले बजट में सरकार की क्या प्राथमिकताएं होंगी और नौकरीपेशा व आमलोगों के लिये इसमें क्या होगा, इस पर सभी की निगाहें होंगी। इसी के बारे में जाने-माने अर्थशास्त्री, लेखक, रिजर्व बैंक निदेशक मंडल के सदस्य तथा शोध संस्थान आरआईएस (विकासशील देशों की अनुसंधान एवं सूचना प्रणाली) के महानिदेशक सचिन चतुर्वेदी से ‘भाषा’ के पांच सवाल:

सवाल : कोविड-19 महामारी अब भी जारी है। ऐसी परिस्थिति में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के लिये बजट में क्या प्राथमिकताएं होंगी?

जवाब: श्रम बाजार में कोविड से जुड़ी बाधाओं को देखते हुए बीमा समेत सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए बजट में आवंटन बढ़ाने की जरूरत है। मौजूदा सरकार ने इस संदर्भ में कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम शुरू किये हैं। वर्तमान स्थिति को देखते हुए उन्हें और मजबूत किये जाने की आवश्यकता है। इस समय चुनौती विनिर्माण क्षेत्र को विस्तार देने और आपूर्ति श्रृंखला व्यवस्था को मजबूत बनाने की है। ये दोनों आत्मनिर्भर भारत के लिये जरूरी हैं। वित्त मंत्री उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) को और समर्थन दे सकती हैं।

इसके अलावा वित्त मंत्री कौशल विकास को गति देने तथा डिजिटल लेन-देन की लागत में और कमी लाने तथा योजनाओं के मामले में विभिन्न स्तरों पर गड़बड़ी की रोकथाम को लेकर नयी प्रौद्योगिकियों को अपनाने को समर्थन देने के लिए भी उपाय कर सकती हैं।

सरकार के लिये लोगों के बेहतर स्वास्थ्य तथा मानव पूंजी को मजबूती प्रदान करना प्रमुख उद्देश्यों में से एक रहा है। यह बात सामाजिक सेवाओं पर 2014-15 से सरकारी व्यय में लगातार वृद्धि से पता चलती है। केंद्र और राज्यों का संयुक्त रूप से सामाजिक सेवाओं पर खर्च वित्त वर्ष 2014-15 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6.2 प्रतिशत रहा, जो 2020-21 में बढ़कर 8.8 प्रतिशत हो गया। हालांकि, यह अब भी वैश्विक मानकों से कम है। उदाहरण के लिये यूरोपीय संघ के सदस्य देशों में केवल स्वास्थ्य सेवाओं पर जीडीपी का लगभग 10 प्रतिशत तथा शिक्षा पर पांच प्रतिशत खर्च होता है।

सवाल : एक अर्थशास्त्री और विशेषज्ञ होने के नाते क्या आपको लगता है कि नौकरीपेशा और आम लोगों को बजट से कोई राहत मिलेगी? कर दर या मानक कटौती में वृद्धि की कोई उम्मीद है?

जवाब: माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के लागू होने के बाद से भारत में कर व्यवस्था काफी स्थिर हुई है। मेरे हिसाब से, मुझे नहीं लगता कि व्यक्तिगत आयकर स्लैब में कोई बहुत बदलाव होगा। भारत की वित्तीय संचालन व्यवस्था में कर का भरोसेमंद होना एक महत्वपूर्ण कारक बनता जा रहा है।

सवाल: वित्त मंत्री के लिये बजट में क्या चुनौतियां होंगी? क्या राजकोषीय घाटे को काबू में लाने को लेकर चुनौती है?

जवाब: राजकोषीय जवाबदेही और बजट प्रबंधन कानून (एफआरबीएम कानून) में संशोधन के साथ सरकार ने अर्थव्यवस्था में नकदी डालने तथा महत्वपूर्ण लोक परिसंपत्तियां सृजित करने के लिए नये रास्ते खोले हैं। सरकार ने पूंजीगत संपत्ति बढ़ाने की प्रतिबद्धता दिखायी है और 2021-22 में पूंजीगत व्यय बढ़कर 5.54 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया जो 2020-21 में 4.12 लाख करोड़ रुपये था। गति शक्ति की घोषणा, राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा पाइपलाइन (एनआईपी) योजना के साथ सार्वजनिक संपत्तियों को बाजार पर चढ़ाने (संपत्ति मौद्रिकरण) को लेकर और कदम उठाये जाने की संभावना है।

के वी कामत की अध्यक्षता में विकास वित्त संस्थान (डीएफआई) के गठन ने वास्तविक रूप ले लिया है। बजट में संस्थान के लिये और समर्थन दिये जाने की उम्मीद है। मुद्रास्फीति में वृद्धि और सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के लिये बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए बजट में इस क्षेत्र के लिये और राहत उपायों की घोषणा की जा सकती है। एयर इंडिया के सफल विनिवेश के बाद वित्त मंत्री इस प्रक्रिया में तेजी ला सकती हैं।

सवाल : महामारी से लोगों की आजीविका पर असर पड़ा है। ऐसी स्थिति में क्या आपको लगता है कि किसान सम्मान निधि जैसी नकद सहायता योजना अन्य जरूरतमंद लोगों को भी उपलब्ध कराई जानी चाहिए?

जवाब: सरकार ने पहले ही एमएसएमई के लिये कर्ज पुनर्गठन समेत 4.5 लाख करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन के साथ आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) शरू की है। यह कदम एक करोड़ से अधिक उद्यमों के साथ ही करीब 5.45 करोड़ रोजगार को बचाने के लिये है। इसकी समयसीमा बढ़ाकर 31 मार्च, 2022 की गयी है। वित्त मंत्री इसकी समयसीमा और आगे बढ़ा सकती हैं। इसी प्रकार सरकार की स्टार्टअप इंडिया सीड फंड योजना उद्यमियों को समर्थन देने को लेकर एक और महत्वपूर्ण कदम है।

स्थानीय स्तर पर विकास तथा सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने के लिये तालमेल को लेकर स्थानीय संस्थानों तथा भागीदारी को बढ़ावा दिये जाने की जरूरत है। इस दिशा में सहकारिता मंत्रालय की घोषणा महत्वपूर्ण कदम है। आजीविका सृजन, स्थानीय स्तर पर मूल्य सृजन तथा बाजार व्यवस्था को समर्थन दिये जाने की जरूरत है। इसके लिये स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) और एफपीओ (कृषि उत्पादक संगठन) के जरिये समर्थन जारी रखे जाने की आवश्यकता है।

प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना (प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि ) को पहले ही मार्च, 2022 तक बढ़ाया जा चुका है। इसके तहत कार्यशील पूंजी कर्ज के रूप में प्रत्येक व्यक्ति को 10,000 रुपये उपलब्ध कराने का प्रावधान है।

सवाल: कृषि क्षेत्र में तीन कानूनों को निरस्त करने के बाद इस क्षेत्र के लिये और किसानों की बेहतरी को लेकर आगे का रास्ता क्या है? क्या बजट में कुछ घोषणा हो सकती है?

जवाब: कृषि क्षेत्र को लेकर राज्यों के बजट में कदम उठाये जाने की उम्मीद है। मुझे उम्मीद है कि राज्य सरकारें अपने किसानों की समस्याओं को दूर करने के लिये कदम उठाएंगी और उनकी उपज के लिये बाजार उपलब्ध कराने को लेकर जरूरी उपाय करेंगी, जिसकी क्षेत्र को जरूरत है।

भाषा रमण

अजय अविनाश

अविनाश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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