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Thursday, 19 December, 2024
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76 साल की उम्र में चिदंबरम को पहला मौका- गोवा कांग्रेस के लिए राजनीतिक रणनीतिकार बनकर कर रहे हैं काम

पी.चिदंबरम ने गोवा कांग्रेस में फिर से जान फूंकने का बीड़ा उठाया है. पार्टी सदस्यों का कहना है कि ज़मीनी स्तर पर वरिष्ठ नेता की सहभागिता एक संकेत है, कि गोवा को लेकर कांग्रेस कितनी गंभीर है.

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पणजी: पिछले क़रीब पांच महीने से वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पी चिदंबरम, हर दो-तीन हफ्ते में गोवा का दौरा कर रहे हैं. वो तटीय प्रदेश के सभी 40 चुनाव क्षेत्रों में जा चुके हैं, जहां उन्होंने ब्लॉक-स्तर की बैठकों को संबोधित किया, सदस्यता नामांकन अभियान शुरू कराए, और उपयुक्त उम्मीदवारों के चयन की रणनीति बनाई है.

ऐसी ही कुछ बैठकों में 76 वर्षीय नेता ने व्यक्तिगत तौर पर पार्टी की ओर से माफी तक मांगी है कि 2017 में सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद भी उनकी पार्टी गोवा में सरकार नहीं बना पाई. उन्होंने लोगों को आश्वान दिया कि इस बार बहुमत मिल जाने पर पार्टी ‘पांच मिनट के भीतर’ सरकार बना लेगी.

ये है राज्यसभा सांसद चिदंबरम का नया अवतार- जो अतीत में केंद्रीय वित्त मंत्री और गृह मंत्री के अपने कार्यकाल के लिए जाने जाते हैं. एक राजनीतिक रणनीतिकार जो 2022 असेम्बली चुनावों के लिए समय रहते, दलबदल से ग्रस्त गोवा कांग्रेस को फिर से एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं.

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) गोवा प्रभारी दिनेश गुण्डू राव के साथ मिलकर, माइक्रो-प्लानिंग से स्तर पर चिदंबरम की भागीदारी ने काफी हद तक परेशानी में घिरी हुई पार्टी में जान डाल दी है, 2017 में विधान सभा में जिसकी संख्या, 17 विधायकों से घटकर केवल दो रह गई है.

पर्यवेक्षक और कांग्रेस सदस्य कहते हैं कि चिदंबरम ने पिछले तीन-चार महीने में गोवा में काफी समय बिताया है जिसमें उन्होंने ब्लॉक-स्तर के नेताओं से मुलाक़ात की है, चुनावी रणनीति पर चर्चा की है, उनका पार्टी सदस्यता बढ़ाने तथा विश्वसनीय कार्यकर्त्ताओं को भर्ती करने का आह्वान किया है और उनमें बहुत आवश्यक ऊर्जा का संचार किया है.

लेकिन चुनावों से तीन सप्ताह पहले, कुछ चुनाव क्षेत्रों में पार्टी ज़मीनी काडर की बग़ावत का भी सामना कर रही है, जहां स्थानीय नेताओं के मुताबिक़ चिदंबरम ने उम्मीदवारों के चयन को लेकर लंबे-लंबे दावे किए थे लेकिन उन पर पूरे नहीं उतरे.


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केंद्रीय मंत्री, प्रवक्ता, लेकिन चुनावी रणनीतिकार कभी नहीं

योग्यता और पेशे से एक वकील चिदंबरम ने एक कांग्रेसी नेता के रूप में कई भूमिकाएं निभाई हैं, लेकिन क़रीब चार दशक लंबे अपने करियर में पार्टी ने उन्हें पहले कभी चुनाव पर्यवेक्षक की ज़िम्मेदारी नहीं दी है.

उन्होंने अपना सियासी करियर एमआरएफ के एक यूनियन लीडर के तौर पर शुरू किया था. कांग्रेस में सीढ़ियां चढ़ते हुए वो तमिलनाडु युवा कांग्रेस के अध्यक्ष, और तमिलनाडु प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव रहे हैं.

उन्होंने अपना पहला लोकसभा चुनाव 1984 में, तमिलनाडु के शिवगंगा से लड़ा और विजयी रहे. उसके बाद से वो चार बार केंद्रीय वित्त मंत्री, दो बार केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्री, और एक बार केंद्रीय गृह मंत्री रहे हैं. उन्होंने केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय में भी काम किया और गृह मामलों की एक संसदीय समिति से भी जुड़े.

चिदंबरम का राजनीतिक करियर रंगारंग रहा है. 1996 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और टूटकर अलग हुए एक गुट, तमिल मनिला कांग्रेस में शामिल हो गए, जिसके बाद उसे छोड़कर उन्होंने कांग्रेस जननायगा पेरावई के नाम से अपनी पार्टी बना ली, और अंत में 2004 लोकसभा चुनावों से पहले, उसका मुख्य कांग्रेस पार्टी में विलय कर लिया.

एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने अपना नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘चिदंबरम ने कांग्रेस प्रवक्ता के तौर पर काम किया है, उन्होंने केंद्रीय चुनाव पत्र और प्रचार समितियों पर काम किया है. राज्यों के चुनावों के लिए वो उन चेहरों में से होते थे, वो बड़ी प्रेस वार्त्ताओं को संबोधित करते थे, जिनमें राज्य और केंद्र के वित्तीय और आर्थिक मुद्दों पर ज़्यादा ज़ोर दिया जाता था. लेकिन एक काम उन्होंने इससे पहले कभी नहीं किया और वो है कांग्रेस के लिए चुनावी रणनीतिकार.

PC ‘3-4 महीने के लिए ज़मीन पर’

गोवा कांग्रेस के बहुत से नेताओं ने दिप्रिंट से कहा कि इस चुनाव में चिदंबरम और गुण्डू राव की सक्रिय सहभागिता ने, गोवा में पार्टी की चुनावी तैयारियों में एक ख़ास व्यवस्था क़ायम की है.

दिप्रिंट से बात करते हुए गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत ने, जो विधान सभा में बचे कुल दो कांग्रेस विधायकों में से एक हैं, उन्होंने कहा, ‘पिछले कुछ महीनों में हमारे कार्यकर्त्ताओं ने बहुत मेहनत की है. चिदंबरम जी आए, उन्होंने बैठकें कीं, और लोगों से मुलाक़ात की’.

कामत ने कहा, ‘अगस्त के बाद से, हर दो-तीन हफ्ते में उन्होंने (चिदंबरम) ने लगातार चार से पांच दिन गोवा में बिताए हैं. उनके साथ मिलकर हमने ब्लॉक समितियों और ज़िला समितियों को मज़बूत किया है. वो कार्यकर्त्ताओं से मिले हैं और जानने की कोशिश की है कि उनकी क्या समस्याएं हैं’.

दिप्रिंट से बात करने वाले बूथ-स्तर के कार्यकर्त्ताओं ने कहा कि चिदंबरम ने एक से अधिक बार ब्लॉक अध्यक्षों से मुलाक़ात की, और गुण्डू राव, कामत, तथा गोवा कांग्रेस अध्यक्ष गिरीश चोडनकर के साथ मिलकर, हर ब्लॉक में कार्यकर्त्ताओं को संबोधित किया.

उनका कहना है कि चिदंबरम ने उन्हें सितंबर-अक्टूबर में ही कह दिया था, चुनावी तैयारियां सब उन्हीं के हाथ में हैं- ब्रोशर डिज़ाइन करने और प्रचार की शैली तथा उम्मीदवारों के चयन तक. चिदंबरम ने ब्लॉक नेताओं को फॉर्म दिए और उसे कहा कि पार्टी का काम करने के लिए, चुनाव क्षेत्र में सक्रिय पार्टी सदस्यों का नामांकन करें.

उन्होंने फिर ये भी परिभाषित किया कि सक्रिय सदस्य कौन होता है. उन्होंने कहा कि ये वो होता है जो सप्ताह में कम से कम दो दिन, दो-दो घंटे काम करने के लिए तैयार हो, और घर-घर जाकर प्रचार करने, तथा रैलियों और दूसरी गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिए तैयार हो.

गोवा कांग्रेस के सोशल मीडिया प्रभारी हिमांशु तिरवेकर ने दिप्रिंट को बताया, ‘हर चुनाव क्षेत्र में हमारे पास 3,000 से 4,000 कार्यकर्त्ता पहले से मौजूद थे. हमें उन्हें बस सक्रिय करना था. पी चिदंबरम जैसे नेता के चुनाव क्षेत्रों की नुक्कड़ सभाओ में जाने से, ये संकेत गया कि कांग्रेस इस बार गोवा के लेकर कितनी गंभीर है. दिनेश गुण्डू राव ने भी एक अहम भूमिका अदा की. दोनों नेता पिछले 3-4 महीने से ज़मीन पर रहे हैं. गोवा की राजनीति अलग तरह की है. आपको अपने मतदाताओं के संपर्क में रहना पड़ता है’.

सूत्रों ने बताया कि ब्लॉक अध्यक्षों के साथ अपनी नियमित बैठकों के दौरान, चिदंबरम उन लोगों की खिंचाई करते थे, जो सक्रिय सदस्यों के नामांकन में अपेक्षाओं पर पूरा नहीं उतरते थे.

एक कांग्रेस नेता ने नाम छिपाने की शर्त पर कहा, ‘अक्तूबर में एक समय कालनगूट ब्लॉक ने केवल 174 सक्रिय सदस्यों का नामांकन किया था. चिदंबरम ने बड़े धैर्य के साथ समझाया, कि इसका मतलब है कि एक बूथ के लिए सिर्फ पांच सक्रिय सदस्य होंगे, जो चुनाव प्रचार चलाने के लिए बिल्कुल भी काफी नहीं है. उन्होंने ब्लॉक अध्यक्ष से नामांकन को बढ़ाने के लिए कहा’.

डैबोलिम से कांग्रेस उम्मीदवार और एक सामाजिक कार्यकर्त्ता विरियाटो फर्नाण्डिस ने, जो पिछले महीने ही पार्टी में शामिल हुए, दिप्रिंट को बताया कि चिदंबरम ने पार्टी में उनके प्रवेश को सुगम बनाया था.

‘पार्टी में शामिल होने से पहले उन्होंने मेरे साथ, एक घंटा 40 मिनट तक बातचीत की, जिसमें गोवा को लोगों के मुद्दों पर मेरे विचारों के प्रति बहुत आदर दिखाया. उन्होंने पार्टी के अंदर एक ढांचा खड़ा किया. डैबोलिम में कोई ब्लॉक मौजूद नहीं था. उन्होंने उसे शुरू से खड़ा किया. सभी पुराने कांग्रेस समर्थकों का पता लगाकर उन्हें वापस लाया गया’.

उम्मीदवारी पर वादे और क्यों नाराज़ हैं कुछ ब्लॉक

सूत्रों ने कहा कि उम्मीदवारों के चयन के मामले में, चिदंबरम ने पार्टी कार्यकर्त्ताओं को आश्वस्त किया था, कि इस बारे में फैसला नीचे से किया जाएगा, ऊपर से नहीं थोपा जाएगा. पार्टी सूत्रों ने बताया कि उन्होंने हर चुनाव क्षेत्र में कार्यकर्त्ताओं से, दो या तीन उम्मीदवार नामित करने के लिए कहा, और उनसे वादा किया कि पार्टी नेतृत्व उनकी दी हुई सूची से ही उम्मीदवार चुनेगा.

उन्होंने उम्मीदवारों के चयन के लिए कठोर मानदंड भी निर्धारित किए- पार्टी के प्रति निष्ठा, ईमानदारी, कार्यकर्त्ताओं में स्वीकार्यता, और मतदाताओं के बीच जीतने की क्षमता, प्राथमिकता के इसी क्रम में.

लेकिन, कुछ स्थानों पर सब कुछ योजना के मुताबिक़ नहीं हुआ.

इसी महीने कालनगूट ब्लॉक कमेटी के सभी सदस्यों ने ये कहते हुए इस्तीफा दे दिया, कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने उम्मीदवार के चयन के लिए अपने वादे पर अमल नहीं किया. सदस्यों में कांग्रेस से उस वक़्त नाराज़गी पैदा हो गई, जब पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) छोड़कर आने वाले माइकल लोबो के पार्टी में शामिल कर लिया, और उन्हें कालनगूट से उम्मीदवार बना दिया.

कालनगूट जैसी और भी कई सीटें हैं, जहां ब्लॉक कमेटी सदस्यों में उम्मीदवारों को लेकर कांग्रेस के चयन से नाराज़गी फैली हुई है.

वास्को के पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष उलैरिको रॉड्रिगस, कांग्रेस द्वारा इस सीट से उनके नाम की अनदेखी किए जाने के बाद, निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने पर विचार कर रहे हैं.

नाराज़ रॉड्रिगस ने दिप्रिंट से कहा, ‘चिदंबरम ने हर चीज़ को बहुत ख़राब तरीक़े से संभाला. उन्होंने पार्टी के कुछ लोगों को फैसलों को प्रभावित करने दिया. उम्मीदवारों के लिए चिदंबरम की पहली प्राथमिकता पार्टी के प्रति निष्ठा थी. मैं 1984 से पार्टी के साथ बना हुआ हूं, लेकिन फिर भी ये सीट एक ऐसे व्यक्ति को दे दी गई, जो सिर्फ एक महीने से पार्टी के साथ रहा है’.

उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि कुछ पार्टी नेताओं ने ब्लॉक कार्यकर्त्ताओं को, वास्को उम्मीदवार का नाम अपने नामांकन में शामिल करने के लिए मजबूर किया. कांग्रेस ने दो बार के बीजेपी विधायक कार्लोस अलमेदा को इस सीट से नामांकित किया है. अलमेदा पिछले महीने बीजेपी विधायकी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे.

बेनॉलिम और पोरवोरि के ब्लॉक नेता भी कांग्रेस उम्मीदवारों के चयन को लेकर ख़फा हैं.

बेनॉलिम कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष मेनिनो फर्नाण्डिस ने पिछले हफ्ते कहा, कि चिदंबरम ने ‘उसका उलट किया जो उन्होंने ब्लॉक कमेटी से वादा किया था’, और ब्लॉक की ओर से प्रस्तावित सभी चार नामों की अनदेखी करते हुए, पार्टी में नए शामिल होने वाले एंथनी दास को टिकट दे दिया.

पोरवोरिम ब्लॉक कमेटी ने भी 14 जनवरी को, गोवा कांग्रेस अध्यक्ष चोडनकर एक नाराज़गी भरा पत्र लिखा, कि ब्लॉक सदस्यों ने सर्व-सम्मति से विकास प्रभुदेसाई की उम्मीदवारी का विरोध करने का फैसला किया है, चूंकि चुनाव क्षेत्र में उनका कोई आधार नहीं है. दिप्रिंट ने उस पत्र की कॉपी देखी है.

लेकिन, वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिगंबर कामत ने कहा, कि ये मुद्दे इतने व्यापक नहीं हैं जितना इन्हें दिखाया जा रहा है. ‘कुछ चुनाव क्षेत्रों में, जो हमारे गठबंधन सहयोग गोवा फॉर्वर्ड पार्टी के हिस्से में गए हैं, हमारे कार्यकर्त्ता नाराज़ हैं. और कुछ दूसरी सीटों पर हमें उम्मीदवारों की जीत की क्षमता देखनी थी’.

उन्होंने आगे कहा, ‘लेकिन अधिकतर उम्मीदवार ब्लॉक वर्कर्स में से ही चुने गए हैं. इस बार कांग्रेस चुनावी तैयारियों में पहले से ज़्यादा व्यवस्थित रही है’.


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