नयी दिल्ली, 28 जनवरी (भाषा) गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण पुरस्कार दिए जाने की घोषणा के बाद से कांग्रेस के कुछ नेताओं के बीच हुई कलह की पृष्ठभूमि में पार्टी नेता राज बब्बर ने इस संदर्भ में चल रही बहस को गैरजरूरी करार देते हुए कहा है कि किसी पुरस्कार की अहमियत तो तब है जब विरोधी पक्ष किसी नेता की उपलब्धियों को सम्मान दे।
उन्होंने यह बयान उस वक्त दिया है जब जब ऐसी चर्चा है कि पूर्व सांसद बब्बर समाजवादी पार्टी में शामिल हो सकते हैं।
बब्बर ने ट्वीट किया, ‘‘अवार्ड की अहमियत तो तब है जब विरोधी पक्ष किसी नेता की उपलब्धियों को सम्मान दे – अपनी सरकार में तो कोई भी ख़्वाहिश पूरी कर सकते हैं लोग। पद्म भूषण को लेकर जारी बहस मुझे लगता है ग़ैरज़रूरी है।’’
बब्बर कांग्रेस के उस ‘जी 23’ का हिस्सा हैं जिसने साल 2020 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कांग्रेस में आमूल-चूल परिवर्तन और जमीन पर सक्रिय संगठन की मांग की थी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण से सम्मानित किए जाने की घोषणा के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने उन पर कटाक्ष किया था, हालांकि पार्टी के ‘जी 23’ समूह में शामिल कई नेताओं ने आजाद को बधाई दी और कहा कि उनके योगदान को स्वीकार किया गया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने बुधवार को अपनी ही पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा था कि यह विडंबना है कि कांग्रेस को आजाद की सेवाओं की जरूरत नहीं है, जबकि राष्ट्र उनके योगदान को स्वीकार कर रहा है।
सरकार की ओर से मंगलवार को पद्म सम्मानों की घोषणा की गई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री आजाद को सार्वजनिक मामलों में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण से नवाजा जाएगा।
रमेश ने पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य की ओर से पद्म भूषण सम्मान को अस्वीकार किए जाने को लेकर आजाद पर कटाक्ष करते हुए ट्वीट किया था, ‘‘यही सही चीज थी करने के लिए। वह आजाद रहना चाहते हैं, गुलाम नहीं।’’
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