scorecardresearch
Wednesday, 20 November, 2024
होममत-विमतUP चुनाव में अब छवि का खेल, योगी 'बाबा, महंत और गोरखनाथ' हैं तो अखिलेश 'बदलाव के प्रतीक'

UP चुनाव में अब छवि का खेल, योगी ‘बाबा, महंत और गोरखनाथ’ हैं तो अखिलेश ‘बदलाव के प्रतीक’

भाजपा के असर की कुंजी है ‘मोदी-योगी एक ही है’ जबकि अखिलेश की छवि परिवर्तकारी युवा नेता की.

Text Size:

योगी आदित्यनाथ का प्रभाव और रसूख हमारे समाज के धर्म तंत्र से मिलता है. कुछ के लिए वे ‘बाबा’ हैं तो कुछ के लिए ‘महाराज जी’ या ‘महंत जी’. लेकिन ज्यादातर लोग उन्हें ‘योगी जी’ कहते हैं. गोरखपुर के एक गांव में एक बुजुर्ग अशिक्षित महिला उन्हें ‘गोरखनाथ’ बताती है. वह उनका असली नाम नहीं जानती. उसकी तरह, इस इलाके के अनेक गरीब लोगों के लिए योगी ‘गोरखनाथ’ हैं.

पूर्व मध्य युग में नाथपंथ के संस्थापक गुरु गोरखनाथ की छवि योगी आदित्यनाथ से जुड़ गई है. उत्तर प्रदेश के कुछ खास हिस्सों में निचले समुदायों की बस्तियों में आप पाएंगे कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की छवि एक करिश्माई धर्मगुरु की है और उनके प्रति काफी आदर है. इन दिनों बतौर नेता और मुख्यमंत्री उनकी छवि पर भी चर्चाएं जारी है.


यह भी पढ़ें: ‘रेत माफिया, गुंडा टैक्स’: अवैध खनन कोई राज की बात नहीं, फिर भी पंजाब में बन रहा है चुनावी मुद्दा


छवि और राजनीति

राजनैतिक नेताओं की छवियां सांकेतिक पूंजी के सहारे उभरती हैं, जो उन्होंने अर्जित की है या उन्हें विरासत में हासिल हुई है. उत्तर प्रदेश के मौजूदा विधानसभा चुनावों में चार नेताओं की छवियों के बीच टक्कर है. ये नेता हैं- योगी आदित्यनाथ, अखिलेश यादव, मायावती और प्रियंका गांधी.

योगी की छवि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ करीब से जुड़ी हुई है. उत्तर प्रदेश के एक गांव में मैं पहुंचा तो वहां पीएम आवास योजना और आयुष्मान भारत जैसी केंद्रीय योजनाओं पर चर्चा चल रही थी, एक बुजुर्ग सारा श्रेय ‘योगी जी’ को दे रहे थे. मैंने उन्हें टोका तो फौरन जवाब आया, ‘योगी मोदी एकै (एक ही) हैं.’

मीडिया में नैरेटिव भले यह हो कि योगी और मोदी की छवियों में टकराव है, मगर आम लोगों के लिए ये दोनों साथ मिलकर काम कर रहे हैं. वे अपनी सांकेतिक ताकत को एक-दूसरे को ऐसे हस्तांतरण करते हैं कि जब भी वोटर के दिमाग में योगी का नाम आता है तो उसमें मोदी की ताकत जुड़ी होती है और मोदी में योगी की ताकत जुड़ी दिखती है.

अखिलेश यादव की सांकेतिक पूंजी का अपना मिलाजुला रूप है, जो उन्हें मुलायम सिंह यादव की छवि के साथ अपने सार्वजनिक जीवन में अर्जित पूंजी से हासिल हुई है. वे राममनोहर लोहिया की विरासत से भी ताकत पाते हैं. हालांकि मुलायम की छवि अब मोटे तौर पर पृष्ठभूमि तक सीमित है और परिवर्तनकारी युवा नेता की अखिलेश की अपनी छवि आगे आ गई है. उनके नज़रिए में निरंतरता के साथ बदलाव की इच्छा भी दिखती है.

भाजपा योगी की ताकतवर प्रशासक की छवि पेश कर रही है. ऐसे नेता की छवि, जिसने अपनी पुलिस और बुलडोजर के जरिए माफियाओं पर निशाना साधा. इसी के साथ संवेदनशील मुख्यमंत्री की छवि भी पेश की जा रही है, जिसने कोविड पर नियंत्रण पाया और लॉकडाउन से बुरी तरह प्रभावित होने वाले प्रवासी मजदूरों की मदद की. मकसद उनके हिंदुत्व और विकास के चेहरे दोनों को पेश करने का है.


यह भी पढ़ें: ‘K’ आकार की आर्थिक रिकवरी के लिए बजट में रोजगार बढ़ाने और बॉन्ड बाजार में सुधारों पर ज़ोर देना जरूरी


भाजपा के परे योगी की छवि

उत्तर प्रदेश में भाजपा का काडर बहुसंख्यक मतदाताओं पर जोर डालने के लिए यह संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि पूर्ववर्ती सरकारों में ‘लुंगी-टोपी वाले गुंडों’ का दबदबा था लेकिन योगी ने अब उन पर नकेल कस दी है. उत्तर प्रदेश में कई लोग मुख्यमंत्री को हिंदुत्व का प्रतीक मानते हैं, जिनमें विकास कार्य करने की क्षमता है.

राज्य के कुछ हिस्सों में योगी आदित्यनाथ का असर पार्टी की मौजूदगी के बगैर भी कायम है. हमारे अध्ययन के दौरान बुंदेलखंड इलाके में सपेरों के एक गांव में लोगों ने जोरदार इच्छा जाहिर की कि मुख्यमंत्री उनके गांव में बन रहे स्थानीय देवता के मंदिर का उद्घाटन करें. उन्होंने कहा कि वे अपने तक्ष बाबा मंदिर के लिए सरकार से कोई मदद नहीं चाहते, बस उस पवित्र मौके पर योगी की मौजूदगी ही काफी है.

इस चुनाव में भाजपा के असर को समझने की कुंजी ‘योगी-मोदी एकै है ’ ही है.

(लेखक जी.बी. पंत सोशल साइंस इंस्टीट्यूट के निदेशक और प्रोफेसर हैं. उनका ट्विटर हैंडल है @poetbadri. व्यक्त विचार विचार निजी हैं)

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: BKU नेता राकेश टिकैत ने कहा- ‘BJP का ध्रुवीकरण UP में काम नहीं करेगा, किसान जानते हैं किसे वोट देना है’


 

share & View comments