नयी दिल्ली, 24 जनवरी (भाषा) ‘हिंदू सेना’ और ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ नाम के दो हिंदू संगठनों ने उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया है कि हरिद्वार और नयी दिल्ली में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषणों के आरोपों से संबंधित याचिका में पक्षकार के रूप में उन्हें शामिल किया जाए। दोनों संगठनों ने इस मामले में हस्तक्षेप की अनुमति के साथ आवेदन दाखिल किए हैं।
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने हरिद्वार और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हाल में आयोजित हुए कार्यक्रमों में कथित रूप से नफरत फैलाने वाले भाषण देने वाले लोगों के खिलाफ जांच और कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली याचिका पर 12 जनवरी को केंद्र, दिल्ली पुलिस और उत्तराखंड पुलिस को नोटिस जारी किये थे।
गैर सरकारी संगठन ‘हिंदू सेना’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अधिवक्ता बरुण कुमार सिन्हा के माध्यम से दाखिल आवेदन में हिंदू समुदाय और उनके देवी-देवताओं के खिलाफ कथित रूप से नफरत फैलाने वाले भाषण देने के लिए एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी और साथ ही तौकीर रजा, साजिद राशिदी, अमानतुल्ला खां, वारिस पठान समेत अन्य के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश राज्य सरकारों को देने का अनुरोध किया गया है।।
गुप्ता ने आवेदन में हिंदू समुदाय के सदस्यों, उनके देवी-देवताओं के खिलाफ दिये गये कथित घृणा भाषणों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) को निर्देश देने का अनुरोध भी किया है।
एक अन्य संगठन ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ ने वकील विष्णु शंकर जैन के माध्यम से हस्तक्षेप आवेदन दायर कर अनेक मुस्लिम नेताओं के कथित नफरत फैलाने वाले भाषणों के इंटरनेट लिंक दिये हैं।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने 12 जनवरी को पत्रकार कुर्बान अली और पटना उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश एवं वरिष्ठ अधिवक्ता अंजना प्रकाश की याचिका पर प्रतिवादियों को नोटिस जारी किये थे।
इस याचिका में विशेष तौर पर 17 और 19 दिसंबर 2021 को हरिद्वार और दिल्ली में दिए गए कथित रूप से नफरत पैदा करने वाले भाषणों का उल्लेख किया गया और इस प्रकार के भाषणों से निपटने के लिए शीर्ष अदालत के दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने का अनुरोध किया गया।
याचिका में कहा गया है कि एक कार्यक्रम हरिद्वार में यति नरसिंहानंद की तरफ से और दूसरा कार्यक्रम दिल्ली में ‘हिंदू युवा वाहिनी’ की तरफ से आयोजित किया गया था और इन कार्यक्रमों में एक विशेष समुदाय के सदस्यों के ‘‘नरसंहार का’’ कथित तौर पर आह्वान किया गया था।
उत्तराखंड पुलिस ने हरिद्वार की घटना को लेकर पिछले साल 23 दिसंबर को भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत संत धर्मदास महाराज, साध्वी अन्नपूर्णा उर्फ पूजा शकुन पांडे, यति नरसिंहानंद और सागर सिंधु महाराज सहित कुछ लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। इसी तरह की शिकायत दिल्ली पुलिस से राष्ट्रीय राजधानी में हुए दूसरे कार्यक्रम के संदर्भ में की गई।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि उत्तराखंड और दिल्ली पुलिस ने कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की है।
भाषा वैभव अनूप
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