नयी दिल्ली, 23 जनवरी (भाषा) विदेशी बाजारों में तेजी के रुख के बीच जाड़े में हल्के तेलों की मांग बढ़ने से बीते सप्ताह देशभर के तेल-तिलहन बाजार में लगभग सभी तेल-तिलहनों के भाव सुधार दर्शाते बंद हुए।
बाजार सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन के तेल सहित खल (डीओसी) की ही तरह मूंगफली के डीओसी की मांग कमजोर होने से केवल मूंगफली दाने के भाव हानि दर्शाते बंद हुए। मूंगफली तिलहन की गिरावट का दबाव मूंगफली तेल कीमतों पर भी हुआ, लेकिन मूंगफली तेलों के भाव समीक्षाधीन सप्ताह में अपरिवर्तित रहे।
सूत्रों ने कहा कि पिछले सप्ताह के दौरान विदेशों में सोयाबीन के दाम 70 डॉलर बढ़े हैं तथा कच्चे पामतेल (सीपीओ) के दाम में 30-40 डॉलर प्रति टन की वृद्धि हुई है जिससे इनके रिफाइंड तेलों के भाव में सुधार आया। सोयाबीन डीओसी की मांग मामूली कमजोर होने से समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज के भाव मामूली सुधार के साथ बंद हुए। सोयाबीन तेल कीमतों में सुधार के कारण सोयाबीन तिलहन के दाम भी सुधर गए।
सूत्रों ने कहा कि सीपीओ के दाम में तो बढ़ोतरी हुई है, लेकिन जाड़े में इसकी मांग कम हो जाती है और इसलिए भाव में ही तेजी है मगर बाजार में इस तेल के लिवाल कम हैं। सीपीओ का प्रसंस्करण कर तेल बनाने की लागत कहीं ऊंची पड़ती है और इसका भाव हल्के तेल में सोयाबीन से भी अधिक है। निश्चित तौर पर उपभोक्ता सस्ता व हल्का तेल खाने को तरजीह दे रहे हैं।
सूत्रों ने कहा कि सरसों की उपलब्धता काफी कम रह गई है। जाड़े की मांग बढ़ने के बीच सप्ताह के दौरान कोटा, सलोनी वालों ने सरसों का दाम 8,700 रुपये से बढ़ाकर लगभग 8,800 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। इसका असर देशभर में सरसों तेल-तिलहन की कीमत पर हुआ और इनके दाम सुधार के साथ बंद हुए।
देश में 5-7 हजार की संख्या में सरसों की छोटी पेराई मिलें हैं और ये मिलें खुदरा ग्राहकों को माल बेचती हैं। इनकी प्रति मिल औसत दैनिक मांग पांच से 15 बोरी के लगभग है। इन छोटे मिलवालों की मांग होने के अलावा सरसों खल की मांग बढ़ने से इसके तेल-तिलहन के दाम में सुधार आया।
सूत्रों ने कहा कि विभिन्न तेल संगठनों को सरसों सहित विभिन्न खाद्य तेलों के स्टॉक की जानकारी समय पर सरकार को देनी चाहिये ताकि वास्तविक स्टॉक की स्थिति के अनुसार समय रहते आगे के इंतजाम किये जा सकें।
उन्होंने कहा कि अधिकतम खुदरा मूल्य के संदर्भ में भी सरकार को लगातार निगरानी रखनी होगी और शुल्क कटौती का लाभ उपभोक्ताओं को दिलाना सुनिश्चित करना होगा। इसकी सख्त निगरानी करना जरूरी है क्योंकि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमआरपी) का नाजायज फायदा बड़ी दुकानें, बड़े मॉल और परचून विक्रेता उठाते हैं।
सूत्रों ने बताया कि बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 350 रुपये सुधरकर 8,645-8,675 रुपये प्रति क्विंटल हो गया, जो पिछले सप्ताहांत 8,295-8,325 रुपये प्रति क्विंटल था। सरसों दादरी तेल का भाव पिछले सप्ताहांत के मुकाबले 700 रुपये सुधरकर समीक्षाधीन सप्ताहांत में 17,550 रुपये क्विंटल हो गया। वहीं सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमत क्रमश: 85-85 रुपये सुधरकर क्रमश: 2,605-2,730 रुपये और 2,785-2,900 रुपये प्रति टिन हो गई।
सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज के भाव क्रमश: 40-40 रुपये के लाभ के साथ क्रमश: 6,515-6,540 रुपये और 6,355-6,405 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन तेल कीमतों में भी सुधार रहा। सोयाबीन दिल्ली, इंदौर और सोयाबीन डीगम के भाव क्रमश: 510 रुपये, 410 रुपये और 500 रुपये का सुधार दर्शाते क्रमश: 13,320 रुपये, 13,000 रुपये और 11,850 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
डीओसी की मांग कमजोर रहने से समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली दाने के भाव 25 रुपये की गिरावट के साथ 5,815-5,905 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए जबकि मूंगफली तेल गुजरात और मूंगफली सॉल्वेंट के भाव के भाव क्रमश: 13,000 रुपये प्रति क्विंटल और 1,910-2,035 रुपये प्रति टिन के पूर्वस्तर पर बने रहे।
मलेशिया में भाव बढ़ने से समीक्षाधीन सप्ताहांत में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल कीमतों में भी सुधार दिखा। सीपीओ का भाव 370 रुपये बढ़कर 11,550 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन दिल्ली का भाव भी 260 रुपये का सुधार दर्शाता 12,760 रुपये और पामोलीन कांडला का भाव 310 रुपये के सुधार के साथ 11,710 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
बिनौला तेल का भाव 200 रुपये का सुधार दर्शाता 12,200 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
भाषा राजेश
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