नयी दिल्ली, 21 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक लिमिटेड को आदेश दिया कि वह एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के 40 मंजिला ट्विन टावरों में घर खरीदने वालों को उनकी राशि ब्याज सहित 28 फरवरी तक वापस करे।
इससे पहले न्यायालय ने सुपरटेक लिमिटेड को नोएडा में एमराल्ड कोर्ट परियोजना के दो 40-मंजिले टावर को ध्वस्त करने का आदेश दिया था।
न्यायालय ने रियल एस्टेट कंपनी द्वारा रिफंड राशि को लेकर सुझाए गए फॉर्मूले को खारिज कर दिया और कहा कि ‘एमिकस क्यूरी’ (न्यायालय के निष्पक्ष सलाहकार) गौरव अग्रवाल द्वारा सुझाए गए गणना फार्मूले के आधार पर धनराशि दी जाए।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी की पीठ ने घर खरीदारों की अवमानना याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया। इन याचिकाओं में आरोप लगाया गया था कि बिल्डर शीर्ष न्यायालय के पिछले साल 31 अगस्त के निर्देशों का पालन नहीं कर रहा है, जिसमें ब्याज सहित बकाया चुकाने की बात कही गई थी।
पीठ ने कहा कि इस अदालत द्वारा जारी किए गए निर्देशों की प्रकृति को देखते हुए वह उस गणना को स्वीकार करेगी, जिसे ‘एमिकस क्यूरी’ ने सुझाया है।
पीठ ने कहा, ‘‘इसलिए, वरिष्ठ अधिवक्ता एस गणेश (सुपरटेक के वकील) द्वारा बताए गए तरीके से डेवलपर को काम करने की अनुमति देने का इस स्तर पर कोई सवाल नहीं है।’’
न्यायालय ने आगे कहा, ‘‘ऐसे में डेवलपर मेसर्स सुपरटेक 28 फरवरी को या उससे पहले ‘एमिकस क्यूरी’ द्वारा तैयार की गई गणना के आधार पर देय राशि वापस कर देगा।’’
भाषा पाण्डेय रमण
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