scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमदेशकोविड सेंटर, निरंतर निगरानी, ड्यूटी पर डॉक्टर्स- तीसरी लहर में क्या है दिल्ली की जेलों का हाल

कोविड सेंटर, निरंतर निगरानी, ड्यूटी पर डॉक्टर्स- तीसरी लहर में क्या है दिल्ली की जेलों का हाल

अनिवार्य जांच, सभी नए कैदियों को क्वारेंटाइन, तिहाड़ में नया ऑक्सीजन प्लांट स्थापित. तीसरी लहर में जेल के कुल 99 कैदी और 88 स्टाफ कोविड-19 पॉज़िटिव पाए गए हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: सोलह कोविड केयर डिस्पेंसरी और मेडिकल ऑब्ज़र्वेशन आईसोलेशन वॉर्ड्स, चौबीसों घंटे ड्यूटी पर डॉक्टर, कैदियों के बीच कोविड के अनुरूप व्यवहार की निगरानी करता जेल का स्टाफ- ये वो बंदोबस्त हैं जो दिल्ली की जेलों में कोविड महामारी की तीसरी लहर से निपटने के लिए किए गए हैं.

भारत की सबसे बड़ी और दुनिया की सबसे बड़ी जेलों में से एक- तिहाड़ जेल परिसर के अंदर एक नया ऑक्सीजन प्लांट भी स्थापित किया गया है और वो जल्द ही चालू हो जाएगा.

राजधानी शहर में तीन कारागार हैं- तिहाड़, मंडोली और रोहिणी- और वो कुल 16 जेलों में विभाजित किए गए हैं, जो जेल नंबर 1 से 16 तक हैं. 1 से 9 तक जेलें तिहाड़ में हैं, जेल नंबर 10 रोहिणी में है और 11 से 16 तक जेलें मंडोली कारागार में हैं.

दिल्ली की जेलें कोविड-19 के विनाशकारी असर से जूझ रही हैं, इसके बावजूद कि पिछले दो वर्षों में कोर्ट के आदेशों के बाद जेलों में भीड़ कम हुई है.

जेलों में बंद कैदियों की संख्या अभी भी उनकी पूरी क्षमता का 1.8 गुना है. तीनों जेल की कुल क्षमता करीब 10,026 है लेकिन फिलहाल उनमें 18,000 कैदी बंद हैं.

दिप्रिंट के हाथ लगे डेटा से पता चला है कि तीसरी लहर के दौरान दिसंबर और 15 जनवरी के बीच, जेल के कुल 99 कैदी और 88 स्टाफ कोविड-19 पॉज़िटिव पाए गए हैं, जिनमें से 17 कैदी और 14 स्टाफ सदस्य ठीक हो गए हैं.

मामलों में उछाल से निपटने के लिए सभी नए कैदियों को कोविड जांच करानी पड़ती है. जिन लोगों की जांच पॉजिटिव आती है, उन्हें सात दिन के लिए क्वारेंटाइन में रखा जाता है. सभी जेल स्टाफ का टीकाकरण भी पूरा हो चुका है.

दिल्ली जेल विभाग ने कोविड मरीज़ों के इलाज के लिए जेलों के अंदर चिकित्सा केंद्र स्थापित किए हैं. तीन जेल परिसरों के अंदर मौजूद 16 डिस्पेंसरी को कोविड देखभाल केंद्रों में तब्दील कर दिया गया है, जिनमें चौबीसों घंटे डॉक्टर्स ड्यूटी पर रहते हैं, एक चिकित्सा जांच कक्ष है, मरीज़ों के लिए 10-12 बिस्तर हैं और एक फार्मेसी है.

इन कोविड देखभाल केंद्रों के अलावा, दो जेल अस्पताल भी हैं- तिहाड़ की सेंट्रल जेल नंबर 3 में 120 बिस्तरों का अस्पताल और मंडोली की जेल नंबर 13 में 48 बिस्तरों का अस्पताल.


यह भी पढ़ें: ‘क़र्ज़ के जाल’ में श्रीलंका, भारत की प्रतिक्रिया दिखाती है कि चीन को पीछे धकेलने का काम शुरू हो गया है


निरंतर निगरानी, सभी स्टाफ को वैक्सीन

दिप्रिंट से बात करते हुए महानिदेशक जेल संदीप गोयल ने कहा, ‘कोविड महामारी के मद्देनज़र बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने पिछले साल दो जेल अस्पतालों को कोविड स्वास्थ्य केंद्र और सभी जेल डिस्पेंसरियों को कोविड देखभाल केंद्र घोषित कर दिया था’.

गोयल ने आगे कहा, ‘कोविड मरीज़ों को संभालने के लिए कुछ अतिरिक्त सुविधाएं भी हैं, जैसे दवाएं, ऑक्सीजन उपलब्धता, पीपीई किट्स आदि. हर जेल में करीब तीन डॉक्टर हैं, तथा पर्याप्त संख्या में नर्सिंग स्टाफ और फार्मेसिस्ट भी हैं’.

अधिकारी ने आगे कहा, ‘सभी मरीज़ों- कैदियों तथा स्टाफर्स के स्वास्थ्य पर निरंतर नज़र रखी जाती है. बिना लक्षण के या हल्के कोविड मामलों को अंदर ही संभाल लिया जाता है. गंभीर मामलों को सरकारी अस्पतालों में भेज दिया जाता है. लेकिन तीसरी लहर में अभी तक कोई गंभीर मामले नहीं रहे हैं’.

दिप्रिंट के हाथ लगे आंकड़ों के अनुसार, 31 दिसंबर 2021 तक कैदियों को कोविड के कुल 22,620 डोज़ दिए जा चुके थे- 15,452 कैदियों को पहला डोज़ मिल चुका था और 7,168 को दूसरा डोज़ भी लग चुका था. गोयल ने बताया कि सभी जेल स्टाफ का पूरा टीकाकरण हो चुका है.


यह भी पढ़ें: मोदी, राहुल गांधी, जोकोविच- उदारवादी जमात से क्या चूक हुई


महामारी की लहरों से बचे

कोविड-19 की विनाशकारी दूसरी लहर के दौरान दिल्ली की जेलों में कोविड से जुड़ी जटिलताओं से कम से कम आठ कैदियों की मौत हुई, जबकि 383 के टेस्ट पॉज़िटिव पाए गए. पिछले साल की लहर के चरम पर 224 जेल स्टाफ भी संक्रमित हुए.

उसी दौरान सरकार ने मामलों में उछाल से निपटने के लिए डिस्पेंसरियों को कोविड देखभाल केंद्रों में तब्दील करने का फैसला किया.

मरने वालों में एक 45 वर्षीय कैदी मोहम्मद अनीस भी था, जिसकी कोविड-19 का पॉज़िटिव पाए जाने के बाद मौत हुई. नारकोटिक्स ड्रग्स साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट के तहत दर्ज एक मामले में, वो दिसंबर 2019 से तिहाड़ जेल में बंद था. गैंग्सटर से राजनेता बने पूर्व आरजेडी सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन, जो तिहाड़ में थे, उनकी भी दिल्ली के एक अस्पताल में कोविड जटिलताओं के चलते मौत हो गई.

A jail staff member attends a Covid-infected prisoner at Mandoli Jail hospital | By special arrangement
दिल्ली के मंडोली जेल अस्पताल में कोविड संक्रमित कैदी से मिलते हुए जेल स्टाफ | फोटो: विशेष प्रबंध

2020 में पहली लहर के दौरान, दो कैदियों की कोविड से मौत हुई थी और 120 कैदियों के टेस्ट पॉजिटिव पाए गए थे. जेल स्टाफ के 293 सदस्य भी पॉज़िटिव निकले थे.

फिलहाल, नियम के तौर पर सभी नए कैदियों को कोविड रैपिड एंटिजन टेस्ट से गुज़रना होता है. अगर कोई पॉज़िटिव निकलता है तो उसे सीधे जेल के कोविड हेल्थ सेंटर में भर्ती करा दिया जाता है. जिनके टेस्ट निगेटिव आते हैं उन्हें सात दिन के लिए क्वारेंटाइन में रखा जाता है, जिसके बाद उन्हें जेल की बैरकों में भेज दिया जाता है.

गोयल ने कहा, ‘कैदियों को नियमित रूप से कोविड-19 के लक्षणों और उसके नए वैरिएंट्स के बारे में शिक्षित किया जाता है. उन्हें नियमित रूप से कहा जाता है कि जैसे ही किसी को ईली (इंफ्लुएंज़ा जैसी बीमारी) के लक्षण महसूस हों, उन्हें तुरंत जेल स्टाफ को सूचित करना चाहिए. इसके अलावा सीनियर जेल स्टाफ और डॉक्टर्स भी स्थिति पर नज़र रखने के लिए वार्ड्स का दौरा करते रहते हैं’.

उन्होंने आगे कहा, ‘जैसे ही किसी कैदी में ईली लक्षणों का पता चलता है, उसे तुरंत ही दूसरों से अलग करके एक आइसोलेशन वॉर्ड में भेज दिया जाता है. वहां उसे चिकित्सा निगरानी में रखा जाता है और जरूरत पड़ने पर किसी जेल डिस्पेंसरी या जेल अस्पताल में भेज दिया जाता है’.


यह भी पढ़ें: हरक सिंह की वापसी को लेकर कांग्रेस में दो गुट, हरीश रावत खेमा इसके लिए कतई तैयार नहीं


‘सामाजिक दूरी बनाना मुश्किल’

कोरोनावायरस की पहली दो लहरों के दौरान विचाराधीन और अपराधी जो कुछ निश्चित मानदंडों को पूरा करते थे, उन्हें कोर्ट के आदेशों के बाद रिहा कर दिया गया, ताकि जेलों में भीड़ कम की जा सके. इस साल किसी को रिहा नहीं किया गया है.

डीजी गोयल ने कहा, ‘दूसरी लहर के दौरान रिहा किए गए लोग भी बाहर ही हैं और सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के मद्देनज़र, उन्हें समर्पण करने के लिए नहीं कहा गया है’. उन्होंने आगे कहा कि ऐसा जेलों को भीड़ से बचाने के लिए किया गया है.

पहली लहर के दौरान, 1,184 सज़ायाफ्ता अपराधियों और 5,556 विचाराधीन कैदियों को रिहा किया गया था. दूसरी लहर के दौरान क्रमश: 882 सज़ायाफ्ता और 4,621 विचाराधीन कैदी, इमरजेंसी पेरोल और अंतरिम ज़मानत पर रिहा किए गए थे.

जेल अधिकारियों ने कहा कि भीड़ अधिक होने की वजह से मामलों में आई उछाल को संभालना बेहद मुश्किल रहा है. इसके अलावा सामाजिक दूरी बनाए रखने में भी बहुत मुश्किलें पेश आई हैं.

An inmate getting tested for Covid | By special arrangement
जेल में बंद कैदी का कोविड टेस्ट होता हुआ | फोटो: विशेष प्रबंध

गोयल ने कहा, ‘चूंकि जेलों में पहले से ही बहुत भीड़ है, इसलिए सामाजिक दूरी बनाना मुश्किल होता है. संक्रमण की संख्या को नियंत्रण में रखने का एक ही तरीका है कि बीमारी के लक्षण दिखा रहे किसी भी कैदी को तुरंत अलग करके आइसोलेट किया जाए. हर कैदी को पर्याप्त फेस मास्क उपलब्ध कराए गए हैं और इस पर नज़र रखी जाती है कि दूसरे से मिलते समय वो उसे पहने रहें, खासकर खुले समय के दौरान जब वो अपनी बैरकों से बाहर आकर, वॉर्ड के दूसरे कैदियों से मिलते हैं’.

उन्होंने आगे कहा, ‘दूसरी जगहों पर जहां अलग-अलग वॉर्ड्स के कैदी मिलते हैं, जैसे डिस्पेंसरी, कैंटीन, टेलीफोन सुविधा, कोर्ट में पेशी के लिए वीडियो कॉनफ्रेंसिंग आदि, वहां सामाजिक दूरी का सख्ती से पालन किया जाता है, जिसके लिए फर्श पर गोले बना दिए जाते हैं’.


यह भी पढ़ें: IAS अफसरों को डेपुटेशन पर भेजने से मना नहीं कर सकते राज्य, मोदी सरकार का संशोधित प्रस्ताव आते ही टकराव बढ़ा


जेल स्टाफ को सबसे अधिक खतरा

जेल अधिकारियों ने बताया कि हालांकि सभी 16 जेलों में मेडिकल आइसोलेशन वॉर्ड्स हैं लेकिन उन बैरकों पर खास तवज्जो दी जाती है, जहां बुज़ुर्ग कैदी रखे जाते हैं.

जेल स्टाफ जिस पर ये सुनिश्चित करने का जिम्मा होता है कि कैदी कोविड प्रोटोकॉल्स का पालन करें, सबसे ज्यादा खतरे में रहता है.

गोयल ने कहा, ‘अलग-अलग कामों से कैदियों से लगातार मिलते रहने के अलावा कैदियों को प्रेरित रखना और उनसे कोविड के अनुरूप व्यवहार कराना आसान काम नहीं है. इसके अलावा जेल स्टाफ को उन कैदियों की भी देखभाल करनी पड़ी है, जो बीमार हैं, जिनमें लक्षण हैं और जो कोविड पॉज़िटिव हो जाते हैं. साथ ही उन्हें कुछ ऐसे कैदियों से भी निपटना होता है, जो सहयोग नहीं करते और आक्रामक होते हैं’.

पॉज़िटिव पाए जाने वाले जेल स्टाफ के परिवारों को सहायता पहुंचाने के लिए वेलफेयर कमेटियों का गठन किया गया है. साथ ही कैदियों की मानसिक तंदुरुस्ती सुनिश्चित रखने के लिए नियमित रूप से काउंसलिंग सेशन भी आयोजित किए जाते हैं.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: क्यों एक दुखद विवाह वाले जोड़े की तरह साथ रहने को मजबूर हैं नीतीश कुमार और BJP ?


 

share & View comments