नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण आगामी चुनावों से पहले अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) से लगभग एक दर्जन नेताओं के पार्टी छोड़ जाने से चिंता में पड़ी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का ओबीसी मोर्चा नुक़सान संभालने के लिए सक्रिय हो गया है.
इधर बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ओबीसी विधायकों के सिलसिलेवार इस्तीफों से निपटने के लिए रणनीति बनाने में लगा है. उधर ओबीसी मोर्चे को इस समस्या से निपटने के लिए घर-घर जाने और नुक्कड़ सभाएं करने का ज़िम्मा सौंपा गया है ताकि मतदाताओं को नरेंद्र मोदी सरकार और योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा किए गए कल्याणकारी उपायों से अवगत कराया जा सके.
ओबीसी मोर्चा प्रमुख के लक्षमण भी इसी हफ्ते राज्य का अपना दौरा शुरू करने जा रहे हैं.
लक्षमण ने दिप्रिंट से कहा कि ‘हम घर-घर जाकर इस बात को उजागर करेंगे कि जिन विधायकों ने हाल में बीजेपी छोड़ी है उन्होंने ऐसा स्वार्थी उद्देश्यों से ऐसा किया है. अगर उन्हें वास्तव में ओबीसी की चिंता थी और उन्हें लगता था कि उनके साथ अन्याय हो रहा था तो इस्तीफा देने के लिए उन्होंने चुनावों तक इंतज़ार क्यों किया? लोग अच्छी तरह समझते हैं कि ये सब उनके स्वार्थी हितों के लिए है’.
उन्होंने आगे कहा कि मोर्चा सभी असेंबली चुनाव क्षेत्रों में नुक्कड़ सभाएं करेगा- कोविड गाइडलाइन्स को ध्यान में रखते हुए और किसान सम्मान निधि, ग़रीबों के लिए आवास, एक करोड़ मोबाइल फोन्स वितरण जैसे कल्याणकारी उपायों को उजागर करेगा.
एक योजना ये भी तैयार हो रही है कि पार्टी के ओबीसी नेता कुछ ख़ास चुनाव क्षेत्रों में छोटी सभाएं करेंगे. मोर्चे ने केंद्र और राज्य की स्कीमों के लाभार्थियों की एक सूची भी तैयार की हैं और उनके घरों के चक्कर लगाए जाएंगे.
लक्षमण ने ये भी कहा, ‘हर परिवार में हर व्यक्ति को विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से कुछ न कुछ लाभ मिलना निश्चित है. हमने पर्चे तैयार किए हैं जिनमें उन सभी कल्याणकारी उपायों की जानकारी है जो केंद्र और राज्य सरकारों ने शुरू की हैं. एक टीम पर घर-घर जाकर उन्हें उजागर करने का ज़िम्मा सौंपा गया है’.
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OBC फैक्टर
अपने इस्तीफों में विधायकों और मंत्रियों ने आरोप लगाया था कि बीजेपी का ‘दलितों, पिछड़े वर्गों, किसानों, बेरोज़गार युवाओं, छोटे और मझोले कारोबारियों के प्रति बेहद उपेक्षापूर्ण रवैया रहा है’.
इससे बीजेपी को नुक़सान पहुंच सकता था जिसने काफी हद तक ग़ैर-यादव ओबीसी वर्गों के समर्थन के कारण 2017 के विधानसभा चुनावों में भारी जीत हासिल की थी.
कई ओबीसी विधायकों के इस्तीफा देने और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) नेता ओपी राजभर के समाजवादी पार्टी के साथ चले जाने से फिलहाल बीजेपी के लिए स्थिति बहुत अच्छी नज़र नहीं आ रही है. इसलिए मोर्चे ने ओबीसी वर्गों के कल्याण के उपायों को उजागर करने पर ध्यान लगाने का फैसला किया है.
एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘हमारे अनुमान के अनुसार, ओबीसी आबादी क़रीब 40-50 प्रतिशत है. इसके अलावा राज्य की कुल आबादी में ग़ैर-यादव ओबीसी कम से कम 35 प्रतिशत हैं. ओबीसी वोट हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं और हम अपने प्रचार को किसी भी तरह के दुष्प्रचार से प्रभावित नहीं होने देंगे और यही कारण है कि हमने मतदाताओं तक सीधे पहुंचने का फैसला किया है’.
लक्षमण ने कहा कि उनकी इकाई मुख्य सुधारों पर प्रकाश डालेगी जिनमें संविधान संशोधन विधेयक भी शामिल है जो पिछले वर्ष संसद में पारित हुआ था जिसमें राज्यों और केंद्र-शासित क्षेत्रों को अपनी ख़ुद की ओबीसी सूचियों की पहचान करने और अधिसूचित करने का अधिकार दिया गया था.
इसके अलावा, युवाओं को आकर्षित करने के लिए मोर्चा इसपर भी रोशनी डालेगा कि मोदी सरकार ने किस तरह एमबीबीएस और पोस्ट ग्रेजुएट स्तरों पर मेडिकल सीटों के लिए अखिल भारतीय कोटा (एआईक्यू) में ओबीसी आरक्षण लागू करने का फैसला किया था. मेडिसिन के लिए एआईक्यू में ओबीसी कोटा समुदाय की लंबे समय से चली आ रही मांग थी.
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