लखनऊ: समाजवादी पार्टी के प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंगलवार को कहा कि जो लोग 300 यूनिट बिजली मुफ्त चाहते हैं, उनके पंजीकरण के लिए सपा बुधवार से अभियान शुरू करेगी.
सपा प्रमुख यादव ने पार्टी मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि भारतीय जनता पार्टी का घोषणा पत्र जारी होने के बाद सपा का घोषणा पत्र जारी होगा.
पूर्व मुख्यमंत्री ने ‘तीन सौ यूनिट मुफ्त पाएं, नाम लिखाएं, नाम न छूट जाए’ नारे के साथ कहा कि सपा ने फैसला किया है कि जिनके पास घरेलू बिजली बिल के कनेक्शन हैं, बिजली के बिल में जो नाम लिखकर आता है, वही नाम लिखाएं. जो लोग 300 यूनिट बिजली मुफ्त चाहते हैं, उनके नाम पंजीकृत करने और फार्म भरने का कार्य कल से अभियान के रूप में शुरू होगा.
यादव ने दावा किया कि प्रदेश के लोगों को बिजली का बढ़ा हुआ बिल मिला और कई शिकायतें आईं, कई लोगों के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज की गयी. उन्होंने कहा कि सपा की सरकार बनने के बाद इसमें सुधार किया जाएगा. यादव ने अपील की कि जिनके पास घरेलू कनेक्शन नहीं है और वे भविष्य में कनेक्शन लेने वाले हैं, वे सभी लोग राशन कार्ड या आधार कार्ड में दर्ज नाम ही लिखवाएं. इसके लिए सपा के कार्यकर्ता घर-घर जाएंगे. उन्होंने कहा कि जिनका घरेलू बिजली बिल 300 यूनिट से अधिक आएगा, उसमें से 300 यूनिट घटा दिया जाएगा.
पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा किया कि पिछले कुछ माह से कई लोगों को बिजली बिल नहीं भेजे गये हैं और सरकार ने जानबूझकर बिल नहीं भेजे, क्योंकि उन्हें डर है कि बिजली का बिल भेजने पर जनता उन्हें ‘करंट’ मारेगी.
एक सवाल के जवाब में सपा प्रमुख ने आरोप लगाया कि जिस तरह भाजपा प्रायोजित पीआईएल ( जनहित याचिका) दाखिल करवाती है, उस तरह पीआईएल हो तो भाजपा पूरे देश में कहीं से चुनाव नहीं लड़ सकती है. उन्होंने दावा किया कि मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के खिलाफ भी गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज हैं और आपराधिक मामलों वाले सबसे ज्यादा विधायक भाजपा के ही हैं.
उन्होंने करीब साढ़े तीन वर्ष पहले संत कबीर नगर के तत्कालीन सांसद और मेंहदावल के विधायक के बीच कथित मारपीट की घटना का जिक्र करते हुए कहा, ‘हमने खुलेआम देखा कि सांसद और विधायक में कितनी मारपीट हुई. इनकी (भाजपा) मान्यता तो पहले ही रद्द हो जानी चाहिए थी.’
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा की सरकार में सपा के लोगों पर लगातार झूठे मुकदमे लगाए गये. उन्होंने आरोप लगाया कि रामपुर के एक जिलाधिकारी दूसरे राज्य (कैडर) से आए थे और उन्होंने सरकार की मनमर्जी के साथ काम किया.
उल्लेखनीय है कि रामपुर से समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान हैं जो विभिन्न आपराधिक मामलों में सीतापुर जेल में बंद हैं और दो दिन पहले ही उनके पुत्र अब्दुल्ला आजम खान जमानत पर रिहा हुए हैं.
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